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खंडवा से मिट जाएगी किशोर दा की आखिरी निशानी, गिराया जाएगा उनका घर

किशोर खंडवा से भले ही मुंबई चले गए थे, लेकिन उनका दिल यही बसता था. 

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बॉलीवुड में अपनी अदाकारी और गायिकी से सबके दिलों पर राज करने वाले किशोर कुमार का पुश्तैनी मकान जमींदोज होने जा रहा है. मध्यप्रदेश के खंडवा में 100 साल पुराने किशोर के घर को गिराने का नोटिस जारी कर दिया गया है. इस घर से किशोर कुमार की कई यादें जुड़ी हुई हैं, यहीं उनका जन्म हुआ था.

अपने भाई अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ उन्होंने इसी घर में अपना बचपन बिताया था, लेकिन उनकी ये निशानी अब यहां नहीं रहेगी.

किशोर खंडवा से भले ही मुंबई चले गए थे, लेकिन उनका दिल यही बसता था. 
किशोर कुमार का पुश्तैनी मकान
(फोटो: ट्विटर)
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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 250 किलोमीटर दूर खंडवा में ये मकान है. कहा जा रहा है कि मकान के पीछे के हिस्सा बुरी तरह से जर्जर हो गया है, जो बेहद खतरनाक हाल में है. ये कभी भी गिर सकता है, इसलिए इसे गिराने के का नोटिस लगा दिया गया है.

इस घर में बसता था किशोर का दिल

किशोर कुमार के लिए ये सिर्फ मकान नहीं था, बल्कि उनकी जिंदगी के कई यादगार लम्हों का गवाह था, वो खंडवा से भले ही मुंबई चले गए थे, लेकिन उनका दिल यही बसता था. वह अक्सर मुंबई से लौटकर यहां आने की बात किया करते थे, लेकिन अचानक उनकी मौत हो गई और उनकी ये तमन्ना अधूरी ही रह गई. हालांकि उनकी इच्छा के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार खंडवा में ही किया गया था.

किशोर कुमार की आखिरी इच्छा थी कि मौत के बाद आखिरी बार उनके शरीर को उसी कमरे में रखा जाए, जिसमें उनका जन्म हुआ था. किशोर कुमार का निधन मुंबई में हुआ था, लेकिन उनकी आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए उनको खंडवा के इस मकान में लाया गया और उनके पार्थिव शरीर को उसी कमरे में आखिरी दर्शन के लिए रखा गया था.

किशोर खंडवा से भले ही मुंबई चले गए थे, लेकिन उनका दिल यही बसता था. 
इसी घर में रखा गया था किशोर का पार्थिव शरीर
(फोटो: ट्विटर)

100 साल पुराना है ये मकान

खंडवा की पहचान ही किशोर कुमार से है और इस शहर से उनकी आखिरी निशानी भी मिटने जा रही है. सालों से जर्जर पड़े इस मकान की कभी मरम्मत भी नहीं की गई. किशोर दा के घरवाले भी कभी यहां नहीं आते हैं. कई बार इस घर को किशोर की याद में मेमोरियल बनाने की चर्चा भी हुई, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया.

किशोर कुमार हिंदी फिल्म जगत की एक ऐसी धरोहर हैं, जिसे बनाने-संवारने में कुदरत को भी सदियां लग जाती हैं, लेकिन उनकी इस विरासत को बचाने वाला कोई नहीं है.

किशोर खंडवा से भले ही मुंबई चले गए थे, लेकिन उनका दिल यही बसता था. 
खंडवा में किशोर का पुश्तैनी मकान
(फोटो: ट्विटर)

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