1983 में जब टीम इंडिया क्रिकेट वर्ल्ड कप के लिए आई थी, तब किसी को उनपर यकीन नहीं था. बल्कि ग्रुप स्टेज मैच में जिम्बाब्वे के खिलाफ कपिल देव के नाबाद 175 रनों की शानदार पारी, जिसने भारत को टूर्नामेंट में बने रहने में मदद की, उसे बीबीसी ने कवर करने के लायक भी नहीं समझा था. कबीर खान की फिल्म '83', भारत की ऐतिहासिक जीत के ऐसे ही कई शानदार पलों को पर्दे पर एक बार फिर जिंदा कर देती है.
हर किसी को एक अंडरडॉग कहानी पसंद आती है, और 1983 की जीत उसके लिए परफेक्ट स्क्रिप्ट है. 1983 का भारत आज से काफी अलग था. तब आज की तरह करोड़ों की डील्स नहीं थीं या आज की तरह BCCI दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड नहीं था. तब, क्रिकेटर्स अपने और अपने खेल के लिए संघर्ष कर रहे थे. ये ऐसा क्रू था जिसने इससे पहले कभी कोई वर्ल्ड कप मैच नहीं जीता था. किसी को उम्मीद नहीं थी कि वो जीत पाएंगे.
भारत से लोग इतने नाउम्मीद थे कि जब कप्तान कपिल देव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि वो यहां जीतने आए हैं, तो प्रेस उनकी ये बात सुनकर हंसने लगा था. कमजोर अंग्रेजी, लेकिन मजबूत इरादों वाली इस टीम ने फिर इतिहास रच दिया.
अपनी फिल्म में कबीर खान ने इस ऐतिहासिक जीत के सभी पलों को कैद करने की कोशिश की है, कि क्यों इस जीत के मायने इतने ज्यादा थे. जीत और गर्व की भावना ने पूरे देश को एक साथ ला दिया, और टीम इंडिया की जय-जयकार करने में लोगों के सभी दूसरे मतभेद दूर होते दिखे.
मौजूदा चैंपियन वेस्टइंडीज के घातक गेंदबाजी आक्रमण - जो उस समय वर्ल्ड क्रिकेट पर हावी थे - से लेकर टीम मैनेजर पीआर मान सिंह की एक ग्रुप फोटो में अपनी गर्दन घुमाने तक, एक इंटीमेट कहानी के लिए, कबीर खान ने असली वीडियो फुटेज और तस्वीरों का इस्तेमाल किया है.
रणवीर सिंह ने सिर्फ लुक में ही नहीं, बल्कि हाव-भाव और बोलचाल में भी कपिल देव को शानदार तरह से कॉपी किया है. स्क्रीन पर क्रिकेट को बढ़िया तरीके से दिखाया गया है. अपने कैमरा वर्क से असीम मिश्रा ने फील्ड की टेंशन को शानदार तरीके से कैप्चर किया है. Julius Packiam का बैकग्राउंड स्कोर भी अपना काम करता है और फिल्ड की टेंशन को आप करीब से महसूस कर पाते हैं.
पंकज त्रिपाठी, ताहिर राज भसीन, जतिन सरना, साकिब सलीम, एमी विर्क जैसे एक्टर्स को सोच-समझकर कास्ट किया गया है और वो अपना बेस्ट देते हैं.
फिल्म में दीपिका पादुकोण की एंट्री इंटरवल के बाद होती है. फिल्म में कपिल देव की पत्नी के रोल में उनके लिए करने को कुछ ज्यादा नहीं है.
फिल्म में कुछ सीन ऐसे हैं जो थोड़े बनावटी लगते हैं, लेकिन एक पूरी फिल्म के तौर पर '83' अच्छी फिल्म है, जिसे इंजॉय किया जा सकता है.
कबीर खान की '83' को 5 में से 4 क्विंट!
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