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रिव्यू: पागलपन और मनोरंजन भरा सफर है ‘AK vs AK’ 

फिल्म बोर नहीं होने देगी

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AK vs AK

‘AK vs AK’ रिव्यू: क्या एंटरटेन कर पाएं अनिल कपूर और अनुराग कश्यप

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विक्रमादित्य मोटवानी की नई फिल्म 'AKvsAK' का मतलब है 'अनुराग कश्यप vs अनिल कपूर'. 24 दिसंबर को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई इस फिल्म को अविनाश संपत ने लिखा है. इस फिल्म में सोनम कपूर, हर्षवर्धन कपूर और बोनी कपूर का कैमियो है और ये तीनों अपने ही किरदार निभा रहे हैं.

तो असल में हीरो अनिल कपूर ही हैं, जैसा कि ट्रेलर में देखा गया था, अनिल विद्रोही फिल्ममेकर अनुराग कश्यप के साथ काम करने की इच्छा जताते हैं. हालांकि, कश्यप इसे लेकर उत्साही नहीं हैं और अपनी अनिच्छा को जाहिर भी कर देते हैं.

दोनों में जल्दी ही लड़ाई, बहस और यहां तक कि हाथापाई भी देखने को मिलती है. अनुराग अपने क्रेजी आइडिया के बारे में बताते हैं, जिसे वो ' सिनेमा की दुनिया का सबसे खतरनाक हॉस्टेज थ्रिलर' बताते हैं. ये प्रोजेक्ट है सोनम कपूर को किडनैप करना और सिर्फ अनिल कपूर ही उन्हें बचा सकते हैं. क्या ये सच में होता है? ये आपको खुद पता करना होगा.

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जब मैंने ‘AKvsAK’ देखनी शुरू की तो मुझे बिलकुल अंदाजा नहीं था कि क्या होने वाला है या मैंने कुछ अपेक्षा नहीं रखी थी. और जल्दी ही मुझे इस बात की चिंता भी नहीं थी. क्योंकि ये फिल्म ऐसा सफर है जो मंजिल से ज्यादा रोमांचक है.  

इस सिनेमेटिक अनुभव के केंद्र में दो रंगीले और ताकतवर शख्सियत हैं, जो कहीं और देखना बहुत मुश्किल बना देते हैं. वो अलग दुनिया, अलग नजरिया से आते हैं और वो अपनी फिल्मों से क्या अपेक्षा रखते हैं, ये भी अलग है. लेकिन फिर भी उन्हें एक साथ देखना सुखद अनुभव है.

अपने फेवरेट स्टार्स को अपना ही किरदार निभाते देखना बहुत क्रन्तिकारी नहीं है. लेकिन एक पूरी फिल्म में सभी करैक्टर खुद का किरदार निभा रहे हों! ये बड़ा लालच है.

किसी को चालाकी पसंद आ सकती है और कोई इससे प्रभावित नहीं होगा, लेकिन ये फिल्म बोर नहीं होने देगी.

हमारी रेटिंग: 5 में से 3.5 स्टार

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