बारिश वाली रात है, एक पति अपनी पत्नी के लिए लिखी गई कविता को पढ़ रहा है. दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते हैं और आपस में खो जाते हैं. कविता का नाम होता है "मिलन की ऋतु."
इसके बाद सीधे 19 हफ्ते बाद का सीन आता है, जब छोटा मेहमान की खबर मिलती है. जाहिर है फिर तो खुशखबरी के संदेशों का तांता तो लगना ही है लेकिन चीजें यहां थोड़ी अलग हैं. इस कपल को अपने न चाहते हुए भी अपने जवान बेटे नकुल (आयुष्मान खुराना) को प्रेग्नेंसी की खबर देनी पड़ती है. बेटे के पास अपने ही अलग मुद्दे हैं जो वो गर्लफ्रेंड की मां को बड़ी मुश्किल से इंप्रैस करके लौटा है.
अपने पैरेंट्स की खबर को सुनकर को नकुल के के चेहरे पर जो हावभाव आते हैं वो तो गजब हैं.
छोटा बेटा (शार्दुल राणा) सन्न हो जाता है. दादी (सुरेखा सीकरी) जानना चाहती हैं कि टाइम पर कब मिल गया? और ब्रेकिंग न्यूज पर पड़ोसियों की वो बनावटी हंसी. ये सब मिलकर 'बधाई हो' के पहले भाग में जमकर मजा पेश करते हैं. आप हंसते हंसते लोट पोट हो जाएंगे.
इसके बाद आता है असली चैलेंज? जब एक मिडिल एज की महिला प्रेग्नेंट है और अब सोचते हैं अब क्या?
बधाई हो कि डायरेक्टर अमित शर्मा और स्क्रीनप्ले राइटर अक्षत घिलडियाल ने ये सब बहुत ही अच्छे से हैंडल किया है.
फिल्म का नैरेटिव सेंसेटिव है और मैच्योर भी. बेडरूम में पैरेंट्स के फन करने पर जो जोक बनाए हैं वो ह्यूमर भी बेहतर तरीके से पेश किया गया है.
कहानी दिल्ली की कॉलोनी में दिखाई गई है. पड़ोसी, दोस्त, रिश्तेदार जिस तरह से कपल को सपोर्ट करते हैं उसे देखकर आपको जरूर हंसी आएगी. ये कपल और कोई नहीं बल्कि प्रियंवदा (नीना गुप्ता) और जतिंदर (गजराज राव) हैं.
बेटे नकुल के चेहरे पर जो हैरानी दिखती है वो जाहिर सी बात है. तभी वो परेशान होकर पूछता है, ‘’ये कोई मां बाप के करने की चीज है.’’ ये सब उसके दिमाग में ऐसा बैठ जाता है कि जब वो अपनी गर्लफ्रेंड रिनी (सान्या मल्होत्रा) के करीब जाता है तो उसे ये सब याद आने लगता है.
नीना गुप्ता पूरी फिल्म में उभरकर आती हैं. उनके इस रोल ये सोच दिमाग में आती है कि इस उम्र में प्रेग्नेंसी के क्या प्रभाव हो सकते हैं.
जितेंद्र यानी गजराज राव, उनकी हालत मां और बीवी को मैनेज करने में पतली हो जाती है, जिसमें उनका चिड़चिड़ेपन वाला गुस्सा साफ दिखता है.
ये गजराज राव और नीना गुप्ता की कैमेस्ट्री है, जिसकी वजह से आप फिल्म को और देखना चाहेंगे. बीच बीच में फिल्म को फोकस नकुल और उसकी गर्लफ्रेंड पर भी जाता है जोकि ऐसा लगता है कि जरूरी नहीं था.
दादी के रूप में सुरेखा सीकरी एकदम एक्सीलेंट हैं. उनको फिल्म में बोलने के लिए बेस्ट लाइनें मिली हैं और उनके वो ताने जिनसे मजा और बढ़ जाता है.
आयुष्मान खुराना की बात करें तो वो दिन ब दिन और उभरकर आ रहे हैं. अच्छी स्क्रिप्ट चुन रहे हैं. फिल्म में उनको देखकर लगता है कि पैरेंट्स ने उनके साथ ऐसा क्यों किया, ये क्या किया?
गर्लफ्रेंड की मां नाजी यानी शीबा चड्ढा का अपना पहले की तरह ही स्पार्क है. और दंगल गर्ल से जैसी उम्मीद थी उन्होंने अपना काम बखूबी वैसा ही किया है.
कुछ चीजों को छोड़ दें तो 'बधाई हो' आपको जमकर एंटरटेन करेगी.
यह भी पढ़ें: ‘जंगली’ का टीजर देख ‘जंगल बुक’ की यादें ताजा होना लाजमी है
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)