अजय देवगन के डायरेक्शन में बनी 'भोला' (Bhola) एक ऐसी दुनिया की कहानी जहां किसी बात का जवाब अक्सर हिंसा में दिया जाता है और इस दुनिया के केंद्र में हैं अजय देवगन.
फिल्म की शुरुआत होती एक बड़े ड्रग रैकेट के भंडाफोड़ से, जहां एसपी डायना (तब्बू) गुंडों से लड़ने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देती हैं. कार्गो को एक सीक्रेट लोकेशन में छिपा दिया जाता है और सात गुंडों को एक कम स्टाफ वाले पुलिस स्टेशन में बंद कर दिया जाता है.
फिर कहानी आगे बढ़ती है और पुलिस स्टेशन को बचाने की जिम्मेदारी एक बुजुर्ग पुलिसवाले (संजय मिश्रा) और चार कॉलेज स्टूडेंट्स पर आ जाती है. उनकी चुनैती? अश्वत्थामा (दीपक डोबरियाल) नाम के गैंगस्टर और उसकी गैंग का सामना करना.
इसी वक्त पर, डायना और भोला (अजय देवगन) एक ट्रक पर सवार कई पुलिसकर्मियों को बचाने के मिशन पर हैं. उनका मिशन जैसे तुरंत किसी वीडियो गेम में बदल जाता है, जहां उन्हें मेन बॉस से लड़ने से पहले कई तरह के खतरों का सामना करना पड़ता है.
'भोला' एक एक्शन-एंटरटेनर से ज्यादा कुछ बनने की कोशिश नहीं करती, लेकिन जहां एक ओर वो एंटरटेनिंग है, तो वहीं एक्शन सीन ज्यादा मजेदार नहीं लगते. फाइट कोरियोग्राफी काफी ढीली लगती है और सभी में बैकग्राउंड स्कोर काफी लाउड है.
अजय देवगन एक पिता के रोल में फिट बैठते हैं, जिसकी जिंदगी का इकलौता मकसद अपनी बेटी से पहली बार मिलना है. तब्बू को फिल्म में ज्यादा करने को कुछ नहीं दिया गया है. पहले ही सीन में उनके हाथ में चोट लग जाती है और फिर फिल्म उन्हें ज्यादा कुछ ऑफर नहीं करती. अपने टैलेंट की बदौलत तबु इन मेल एक्टर्स के बीच अलग खड़ी होती हैं, लेकिन स्क्रिप्ट उन्हें ज्यादा कुछ करने ही नहीं देती.
फिल्म में बेस्ट दीपक डोबरियाल लगते हैं, जिन्होंने अश्वत्थामा या कहें कि सस्ते जैक स्पैरो का रोल प्ले किया है. उनकी परफेक्ट कॉमेडी टाइमिंग उनके कैरेक्टर को और मजबूती देती है. वो अपने रोल में अच्छे लगते हैं.
ओरिजिनल फिल्म 'कैथी' में प्लॉट मजेदार था, लेकिन 'भोला' में इसकी कमी नजर आती है.
फिल्म में एक्शन सीक्वेंस भी एक समय बाद अनुमानित लगने लगते हैं, क्योंकि सुपरहीरो जैसा भोला (जिसे शिव की भक्ति करने से शक्ति मिलती है) हमेशा ही जोरदार एक्शन में दिखाई देता है. डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी असीम बजाज ने जैसे एक्शन सीन में सभी कैमरा एंगल ट्राई कर लिए हों और ये कुछ हद तक कारगर भी दिखाई देता है.
फिल्म को अंकुश सिंह, आमिल कियां खान, श्रीधर राजयश दूबे और संदीप खेलवानी ने लिखा है.
अपनी कमियों को बावजूद 'भोला' एक एंटरटेनिंग फिल्म है, जो इस जॉनर को देखने वाले लोगों को पसंद आएगी.
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