हमसे जुड़ें
ADVERTISEMENTREMOVE AD
Brahmastra Review: रणबीर-आलिया अच्छे लगे, लेकिन डायलॉग्स ने मजा खराब कर दिया
i

Brahmastra Review: रणबीर-आलिया अच्छे लगे, लेकिन डायलॉग्स ने मजा खराब कर दिया

Brahmastra में अमिताभ बच्चन, नागार्जुन और मौनी रॉय भी लीड रोल में हैं.

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा

रोज का डोज

निडर, सच्ची, और असरदार खबरों के लिए

By subscribing you agree to our Privacy Policy

Brahmastra

विजुअल्स ठीक, लेकिन लव एंगल 'ब्रह्मास्त्र' को कर देता है धीमा

सबसे आसान भाषा में कहूं तो Brahmastra एक सुपरहीरो फिल्म है. जैसे ही मैं अपने 3डी चश्मे के साथ इन सुपरहीरो की कहानी देखने बैठी, मैं सोचने लगी कि कैसे हम हर बार 'सुपरहीरो' शब्द सुनते ही मार्वल (MCU) की कल्पना करने लगते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
आम से दिखने और साधारण जिंदगी जीने वाले लोग जब अपनी सुपर पावर का इस्तेमाल कर किसी बड़ी ताकत से लड़ाई लड़ते हैं, तो ये कहानी काफी दिलचस्प लगती है.

और हमने भारत में ऐसी कई फिल्में देखी हैं, जिसमें 'अच्छे' सुपरहीरो ने 'बुराई' के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, जैसे कि 'रा.वन', 'क्रिश' फ्रेंचाइजी और मलयालम फिल्म 'मिन्नल मुरली'. अयान मुखर्जी ने भी इसी तर्ज पर अपनी फिल्म का पहला पार्ट बनाया है.

फिल्म की शुरुआत होती है अमिताभ बच्चन की आवाज से, जो हमें अलग-अलग 'अस्त्रों' के बारे में बताते हैं. कैसे ऋषि मुनियों ने सालों तक सबसे शक्तिशाली अस्त्र ब्रह्मास्त्र के लिए तपस्या की है. वो हमें उन ताकतों के बारे में बताते हैं, जो हमारी दुनिया में मौजूद हैं और कैसे उनकी शक्तियों को ऐसे कई 'अस्त्रों' में इस्तेमाल किया गया है. मंच तैयार है और उम्मीदें भी हैं!

ADVERTISEMENTREMOVE AD

फिर हम मिलते हैं शिवा (रणबीर कपूर) से. शिवा की किस्मत ब्रह्मास्त्र से जुड़ी हुई है. लेकिन शिवा, ईशा से अपनी नजरें ही नहीं हटा पा रहा है. "ईशा मतलब पार्वती और शिवा का साथ पार्वती नहीं देगी, तो कौन देगा." और इसी के साथ जो ब्रह्मास्त्र की कहानी सेट की गई थी, उसमें दरारें पड़ने लग जाती हैं. रणबीर और आलिया, प्यार में पड़े दो लोगों में अच्छे लगते हैं, लेकिन बेकार डायलॉग्स ने मजा खराब कर दिया.

फिल्म के फर्स्ट हाफ में शिवा अपनी कहानी जानने को लेकर बेसब्र नजर आता है, लेकिन इंटरवल के बाद इस किरदार को देखकर 'ये जवानी है दिवानी' के बनी की याद आ जाती है.

फिल्म का सेकेंड हाफ काफी लंबा लगता है, जिसमें दिखाया जाता है कि शिवा किन चीजों से गुजर रहा है. लेकिन यहां भी हुसैन दलाल के डायलॉग्स निराश करते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

फिल्म में जहां डायलॉग्स नहीं हैं, वहां फिल्म ठीक लगती है. जैसे कि, फिल्म में 'वानर अस्त्र', 'नंदी अस्त्र' (नागार्जुन अक्किनेनी) और 'प्रभा अस्त्र' (अमिताभ बच्चन) हैं. फिल्म में रोशनी और अंधकार (मौनी रॉय) के बीच लड़ाई दिखाई गई है, जहां विजुअल इफेक्ट्स अच्छे लगते हैं और फिल्म में इंट्रेस्ट बना रहता है.

ब्रह्मास्त्र के कुछ सीन अच्छे हैं. अगर फिल्म से लव वाले कुछ पार्ट हटा दिए जाते, तो फिल्म और मजबूत हो सकती थी.

फिल्म को 5 में से 3 क्विंट!

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
और खबरें
×
×