सच्ची घटनाओं पर आधारित, राजकुमार गुप्ता की फिल्म 'इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड', देश के टॉप 10 मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों में शुमार यासीन भटकल की गिरफ्तारी पर बनी है. इस टेक के साथ ये फिल्म एक इंट्रेस्टिंग कहानी बन सकती थी, लेकिन अफसोस, ऐसा नहीं हुआ.
एक बहादुर अफसर और 'सच्चा देशभक्त', प्रशांत (अर्जुन कपूर) मिशन के लिए एक टीम को इकट्ठा करते हैं, खुद उसे फंड करते हैं और अपने सीनियर्स की इजाजत और हथियारों के बिना नेपाल में आतंकी को पकड़ने को जाते हैं. फिर कैसे उन्होंने उसे पकड़ा होगा?
ये ऐसा सबजेक्ट है, जो किताबों में अच्छा लगता, लेकिन बेकार स्क्रीनप्ले और रिपीट होने वाले डायलॉग्स ने इसे काफी स्लो बना दिया.
'देश के लिए जान दे देंगे', 'देश के लिए जान ले लेंगे', 'इंडिया का मोस्ट वॉन्टेड', 'कवर्ट ऑपरेशन'- इन शब्दों को हम बार-बार सुनते हैं. और हां, अर्जुन कपूर के एक्सप्रेशंस पूरी फिल्म में नहीं बदले हैं. अपने सीनियर्स को मनाने से लेकर सोर्स को इंटोरेट करने तक, चेहरे पर उनके भाव बिल्कुल भी विश्वसनीय नहीं लगते.
इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड काफी इरिटेटिंग है. ये ऐसी कहानी होनी चाहिए थी, जिसपर हमें गर्व हो, लेकिन इसे इस तरह बयां किया गया है जिसे देखने पर नींद आती है.
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