निजी और प्रोफेशनल रंजिश से प्रेरित रिवेंज ड्रामा की कहानियां तो बहुत सामान्य बात है. लेकिन एटली की फिल्म 'जवान' (Jawan) इसमें महज एक और कड़ी नहीं है क्योंकि रिलीज से पहले ही इस फिल्म ने बहुत हाईप क्रिएट किया था. अब फिल्म रिलीज होने पर भी थिएटरों में बहुत शोर और हाई जोश है. ये एक मास एंटरटेनमेंट वाली फिल्म है.
इस फिल्म में शाहरुख खान, नयनतारा, दीपिका पादुकोण, विजय सेतुपति और एटली जैसे कद्दावर एक साथ हैं और इसलिए फिल्म से काफी ज्यादा उम्मीदें लगाई जा रही हैं. फिल्म के बड़े हिस्से में इस अपील को तार्किक बनाया गया है. इससे पूरे भारत के दर्शक तक पहुंचने की कोशिश की गई है.
यहां, फिल्म कई ज्वलंत सामाजिक मुद्दों को छूती है. मसलन- किसानों की आत्महत्या, इनकम गैप, चरमराती हेल्थ सुविधाओं के खतरे को भी फिल्म में उठाया गया है. हालांकि, फिल्म का मर्म सही जगह पर चोट करता है लेकिन फिल्म अपने विषय से भटकती हुई नजर आती है.
फिल्म के कुछ सीन इस कदर उलझे हुए हैं, जिससे वो सीन आर्टिफिशियल यानि अस्वाभाविक लगने लगते हैं. कहीं-कहीं बहुत इमोशनल हो सकते थे, वो भी कमजोर और प्रभावित हो गए हैं. फिल्म आपको इतने दृढ़ विश्वास के साथ रोने के लिए कहती है और आप भावनात्मकता से ज्यादा दबाव महसूस करते हैं.
फिल्म में अक्सर नकाबपोश राठौड़ दुखियारों और वंचितों के लिए मसीहा के रूप में आता है. वो आजकल का रॉबिनहुड है. सत्ताधारियों के साथ इस चूहे-बिल्ली के खेल के कारण, फिल्म का पहला हाफ काफी मनोरंजक है.
राठौड़ की छह महिलाओं की टीम की अपनी-अपनी बैक स्टोरी (हम कुछ ही देख पाते हैं) है. इन सबकी कहानी फिल्म के लिए अलग-अलग सब प्लॉट तैयार करती है मतलब एक स्टोरी से दूसरी स्टोरी आगे बढ़ती है. हालांकि, कहानी के आगे बढ़ने में उन महिलाओं की कहानी कहीं खो जाती है क्योंकि फिल्म मुख्य तौर पर शाहरुख यानि राठौड़ के इर्द-गिर्द घूमती है. जब दांव ऊंचे हो जाते हैं, तो फिर सबकुछ हीरो पर छोड़ दिया जाता है और टीम किनारे पर चली जाती है.
फिल्म, सरकार और इंडस्ट्री के परस्पर विरोधी हित को संवेदनशील तरीके से दिखाने की कोशिश करती है. यह शाहरुख के कैरेक्टर में एक और लेयर्स को दिखाता है. जो उनकी बैकस्टोरी के साथ सहजता से घुलमिल जाता है. हालांकि, दीपिका पादुकोण का कैमियो छोटा है लेकिन वे फिल्म के निराशाजनक माहौल में ताजी हवा के झोंके की तरह आती हैं.
यदि आप सोच रहे हैं, तो देश के किंग खान कैरेक्टर और कॉज के फिल्मी कॉकटेल में कहीं खो तो नहीं जाते हैं ...तो मैं आपको बता दूं कि जवान में वो अपने सभी स्किल को शानदार तरीके से एक्सप्लोर करते हैं. इसमें 'बाजीगर' और 'डर' जैसी फिल्मों में उनके काम से लेकर पिछले कुछ सालों की रोमांटिक फिल्मों तक, शाहरुख का सब वर्जन देखने को मिला है.
एक ऐसे व्यक्ति के लिए जो किसी एक्टर को विलने के रूप में देखना पसंद करता है, फिल्म का पहला हिस्सा उसके लिए शानदार है.
विलेन की बात करें तो, विजय सेतुपति फिल्म के मुख्य किरदार की तरह ही जंचते हैं. बड़ी-बड़ी दाढ़ी के साथ, वे स्क्रीन पर एक खूंखार विलेन बनने के लिए हर सेकेंड स्क्रीन का बखूबी इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, उनके कैरेक्टर को उतनी गहराई नहीं दी गई है. जिससे असल में कोई महान विलेन का कैरेक्टर क्रिएट होता है.
जवान फिल्म में बहुत कुछ चीजें नई और पुरानी लाइन पर ही चलती हैं. यह दोतरफा है. एक पहलू यह भी है कि फिल्म अपनी कहानी बताने के लिए पहले से मौजूद कई चीजों का इस्तेमाल करती है लेकिन बहुत कुछ ऐसा भी दिखाती है, जिनका इस्तेमाल किसी मास फिल्म के हीरो और हीराइन को दिखाने के लिए किया जाता है.
इसे लायन किंग, बाहुबली, खलनायक और द मैट्रिक्स जैसी फिल्मों के संदर्भ के साथ जोड़ा गया है. लेकिन यह बहुत बारीक नहीं लगते हैं. कहीं-कहीं तो मजाक जैसा लगने लगता है.
फिल्म का सेकेंड हाफ सीधे ज्यादा मजेदार से कहानी कहती है. जब पुरानी और युवा पीढ़ी एक साथ लड़ती है, अपने लक्ष्य के लिए एकसाथ आती है तो वे अपने अपने तरीकों से लड़ने लगते हैं. वायर वाले इयरफोन बनाम वायरलेस इयरफोन से लेकर मशीन गन बनाम अंडे का उपयोग करने तक, एक मनोरंजक एक्शन सीक्वेंस बनाया गया है.
एटली की फिल्म जवान फर्स्ट हाफ के बाद अपना लय खोने लगती है और सब कुछ प्रीडेक्टेबल हो जाता है. एक दमदार डॉयलॉग की कमी खलने लगती है. हालांकि, एक्टर के शानदार अभिनय और कुछ बेहतर तरीके से बुने गए एक्शन सीन ही फिर मूड को बेहतर करती है.
इस फिल्म का सारा दारोमदार इसके कास्ट पर टिका है और उनके प्रत्येक एंट्री पर तालियों और सीटिंयों की बरसात होती है.
एक सीन जिसमें चाकू लिए नयनतारा अपने दुश्मनों से लड़ रही हैं ... वो सीन मुझे बहुत अच्छा लगा. एक्शन डायरेक्टर स्पिरो रजाटोस, एनल अरासु, क्रेग मैक्रे, यानिक बेन, केचा खम्पाकडी और सुनील रोड्रिग्ज ने सीन को जानदार बनाने के लिए बहुत अच्छा काम किया है.
जीके विष्णु का कैमरावर्क इतना बढ़िया है कि जो कुछ भी आपको स्क्रीन दिखता है आप उस पर यकीन करने लगते हैं. दूसरी एक्शन फिल्मों की तरह जवान फिल्म में बहुत सीन ऐसे हैं, जिन पर आप यकीन नहीं कर सकते. आपसे यह उम्मीद की जाती है कि आप उन पर विश्वास नहीं करें...और फिजिक्स की बुनियादी बातों और तर्कों को ना खोजें लेकिन कैमरावर्क आपका ध्यान एक्शन और लार्जर दैन-लाइफ स्टार्स पर बनाए रखने में कामयाब रहता है.
जब तक आप फिल्म की बड़ी कहानी को समझने की कोशिश करते हैं तो दूसरी गलतियां हैं, वो आंखों से धुंधली हो जाती हैं. लेकिन फिल्म की इन कमियों के बारे में आपको बताना मेरी जिम्मेदारी है.
हालांकि, फिल्म के गाने ऐसे नहीं हैं कि वो आपके साथ आपके घर तक जाएं .. और अक्सर ऐसा लगता है कि यह सिर्फ भीड़ को खींचने वाला बॉलीवुड फिल्म का मुख्य हिस्सा हैं. बैकग्राउंड स्कोर और टाइटिल ट्रैक जरा हटके हैं.
जवान एक्शन सुपरस्टार वाली फिल्म है. शाहरुख और नयनतारा दोनों इसमें जमे भी हैं. एक दमदार स्क्रिप्ट और असरदार डायलॉग्स से एटली की ये फिल्म बरसों तक असर डालने वाली बन सकती थी लेकिन अफसोस कि ऐसा हो ना सका.
भले ही, जेलर और जवान एक-दूसरे के इतने करीब रिलीज हुए हैं ...लेकिन यह कहा जा सकता है कि मास एंटरटेनमेंट और इस तरह के फिल्म को फैंस को भरपेट मनोरंजन को डोज मिल रहा है.
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