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‘पल-पल दिल के पास’ में लोगों को इंप्रेस करने में फेल हुए करण देओल

‘पल-पल दिल के पास’ नहीं, फिल्म का नाम ‘पल-पल दिल के फेल’ होना चाहिए

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सनी देओल के बेटे करण देओल की पहली फिल्म 'पल-पल दिल के पास' रिलीज हो गई है. असल में इस फिल्म का नाम ‘पल-पल दिल के फेल’ होना चाहिए. इस फिल्म के नाम के साथ 'पास' शब्द नहीं बोल सकते.

सनी देओल ने सोचा 'तारीख पर तारीख' निकल आई है अपने ही बेटे को लॉन्च करने की. ऐसा लगता है बेटे की लॉन्चिंग में पूरा खानदान ही लग गया. सनी देओल ने इस फिल्म को डायरेक्ट किया है. उनके दादा धर्मेंद्र देओल की 1973 में आई मूवी 'ब्लैक मेल' का मशहूर गाना 'पल-पल दिल के पास' इस फिल्म का टाइटल है.

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करण देओल एक हीरो के तौर पर हैं. इनके ओपेजिट कोई नहीं. हालांकि फिल्म में करण बहुत ही स्वीट दिखते हैं. व्यवहार बहुत अच्छा दिखाया गया है. लेकिन करण स्माइल इतनी करते हैं जिसकी जरूरत नहीं थी. कभी-कभी उनको देखकर ये समझ नहीं आता कि वह फिल्म में हंस रहे हैं या रो रहे हैं.

सेकंड हाफ में करण का एक सीन है, जिसमें वह घूसा मार देते हैं. ये उनके कैरेक्टर के बिल्कुल उलट दिखाया गया है. लेकिन सनी देओल के पंच के मुकाबले हल्का ही था. क्योंकि इनका हाथ 2.5 किलो का नहीं, अभी पौने किलो का ही है.

देओल खानदान को अहसास हो गया है कि ऑडियंस समझ गई है कि उनका बेटा स्माइल कर सकता है और पंच मार सकता है. ऐसे ही फिल्म खत्म हो जाती है.

अब बात करते हैं लीड एक्ट्रेस सहर बंबा की. बंबा को फिल्म में काफी जोशीला दिखाया गया है. उनके एक्सप्रेशन करण देओल से थोड़े ज्यादा लगते हैं. फर्स्ट हाफ में तो वह ज्यादातर चिल्लाती हुई ही नजर आती हैं. पूरी फिल्म तीन भागों में डिवाइड है- हीरो, हीरोइन और विलन. इंटरवल में हीरो-हीरोइन इसलिए अलग-अलग हो जाते हैं ताकी क्लाइमेक्स में एक साथ हो जाएं.

इनके अलावा कामिनी खन्ना दादी के रोल में एकदम फिट हैं, फिल्म में उनका रोल काफी फनी है. मेघना मलिक पॉलिटिशन मदर के रोल में है.

हम इस फिल्म को 5 में से 1 क्विंट देते हैं.

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