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‘लूटकेस’ रिव्यू: तनाव के माहौल आपको हंसाएगी ये फिल्म

साल 2020 में आई कुछ उम्दा कॉमेडी फिल्मों में से एक है ‘लूटकेस’

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Lootcase

फिल्म लूटकेस का रिव्यू

साल 2020 में आई कुछ उम्दा कॉमेडी फिल्मों में से एक है 'लूटकेस'. फिल्म के राइटर और डायरेक्टर हैं राजेश कृष्णन, फिल्म की अच्छी स्क्रिप्ट और साफ-सुथरी कॉमेडी इसे प्रॉमिसिंग बनाती है.

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फिल्म में लीड किरदार में नजर आते हैं कुणाल खेमू जो कि एक 'आम आदमी' बने हैं और अखबार प्रिंटिंग प्रेस में टेक्निशियन के तौर पर काम करते हैं. एक भ्रष्ट राजनेता के तौर पर नजर आए गजराव राव जब भी स्क्रिन पर आते हैं छा जाते हैं. वहीं रसिका दुग्गल जो कुणाल खेमू की पत्नी बनी हैं, उन्हें हम ज्यादातर गंभीर किरदारों में ही देखते नजर आए हैं, लेकिन इस फिल्म में वो बिल्कुल परफेक्ट फिट बैठती हैं.

तो कहानी कुछ इस तरह है कि कुणाल खेमू को एक पैसे से भरा बैग मिल जाता है. ये पैसा नेता के हाथ से निकलकर बदमाशों के हाथों होते हुए कुणाल खेमू के पास कैसे आता है और कैसे उसकी खोज में पुलिस, नेता और बदमाश लग जाते हैं. यही है ‘लूटकेस’ की पूरी कहानी
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फिल्म में विजय राज एक माफिया के तौर पर नजर आए हैं, जिन्हें नेशनल जियोग्राफिक चैनल बेहद पसंद होता है, ऐसे में वो हर डायलॉग में जानवरों के साइंटिफिक नाम लेते हुए अपने गुर्गों को समझाया करते हैं.

ये फिल्म हॉटस्टार-डिज्नी पर रिलीज हुई है. फिल्म में रणवीर शौरी एक पुलिसवाले की भूमिका में हैं जो नेताओं के लिए काम किया करते हैं. फिल्म में एक चीज को बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया है कि आखिर इतना पैसा जब एक मध्यम वर्गीय शख्स के पास आ जाए तो वो उसे खर्च कैसे और कहां करे, इस उधेड़बुन में भी कुणाल खेमू के किरदार नजर आते हैं

हमारी रेटिंग- 5 में से 3 क्विंट

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