बॉलीवुड में ज्यादातर रोमांस, फेयरीटेल और मसाला फिल्में ही परोसी जाती हैं. लेकिन कभी कभी 'लव सोनिया' जैसी फिल्में भी हमारे सामने होती हैं. जो इन सबसे अलग है. इस फिल्म को देखने के लिए हिम्मत चाहिए. इसका ये मतलब नहीं कि ये खराब फिल्म है बल्कि अच्छी फिल्म है. इस सबजेक्ट के दिखाने के लिए गट्स चाहिए. लबरेज नूरानी ने हमारे समाज में चल रहे कमर्शियल सेक्स वर्कर और ह्यूमन ट्रेफिकिंग के मुद्दे को उठाया है.
कहानी क्या है?
दो बहने हैं - प्रीती (रिया सिसोदिया) और सोनिया (मृणाल ठाकुर). स्कूल में पढ़ती हैं और जिंदगी की छोटी-छोटी खुशियों में बिजी हैं. लेकिन दिक्कत यहां आती है कि उनके पिता (आदिल हुसैन) किसान है और गांव में सूखा पड़ा है. फसल बर्बाद हो गई है और साहूकार बार बार अपने कर्ज का पैसा मांगने आता है. अपनी बदहाली से परेशान पिता फैसला करता है कि वो अपनी एक बेटी को बेच देगा. इसके बाद वो अपनी बड़ी बेटी प्रीती को एक जमींदार (अनुपम खेर) को बेच देता है. यहां से कहानी शुरू होती है कि कैसे एक बहन अपनी दूसरी बहन को ढूंढती और बचाती है.
सब कुछ ऐसे दिखाया गया है कि आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि इंसान इतना नीचे कैसे गिर सकता है. दूसरी फिल्मों में इंटरवल के दौरान वैसे तो लोग बात करते हुए उठते हैं लेकिन यहां पूरा सन्नाटा. मृणाल ठाकुर टीवी का चेहरा हैं लेकिन उनका बॉलीवुड में काफी पावरफुल डेब्यू हुआ है.
फिल्म में कई कास्ट हैं और कोई किसी के रोल पर हावी नहीं है. तबरेज नूरानी ने बेहतरीन तरीके से सबको अपना स्पेस दिया है. साईं थमकर, अनुपम खेर, राजकुमार राव इन सभी के रोल छोटे हैं, लेकिन इफेक्टिव हैं और साथ में हैं मनोज वाजपेयी, जिन्होंने अपनी पूरी छाप छोड़ी है.
फिल्म में सेक्स ट्रेड को दिखाया गया है, वो तंग गलियां, लड़कियों के साथ बुरा व्यवहार, गुंडे और पुलिस वालों की लड़ाई. लेकिन 'लव सोनिया' सिर्फ यही नहीं है. ये बहन से प्यार के बारे में है. सोनिया जब अपनी बहन को ढूंढने जाती हैं वहां उसे ऋचा चड्ढा और फ्रीडा पिंटो मिलती हैं, जो इस सेक्स ट्रेड में शामिल की गई लड़किया हैं. ये एक रियल सिनेमा है, अगर आपको इस तरह की फिल्में पसंद नहीं है तो बात अलग है. लेकिन अगर जिगरा है तो 'लव सोनिया' जरूर देखिए. ये आपको बहुत डिस्टर्ब करेगी लेकिन बहुत अच्छे से दर्शाई गई है. ये ऐसी फिल्म है जो हॉल छोड़ने के बाद भी काफी लंबे समय तक आपके जहन में रहेगी.
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