नेटफ्लिक्स अपनी नई पेशकश 'लस्ट स्टोरीज' लेकर आ रहा है. जिसका नाम सुनते ही सेक्स, जरुरतें, ख्वाहिशें जैसे शब्द जहन में तैरने लगते हैं. लेकिन ये फिल्म लस्ट पर आधारित नहीं है या फिर ये भी कहा जा सकता है कि पूरी तरह लस्ट पर आधारित नहीं है. लस्ट स्टोरीज में चार कहानियों को कई डायरेक्टर्स ने मिलकर सजाने की कोशिश की है. लस्ट एक महिला और उसकी पहचान की कहानी है. असल जिंदगी में भी लस्ट अचानक आ सकती है, मानें तो बस एक जरिया भर बनके.
फिल्म की बात करें तो इस फिल्म में डायरेक्टर्स की लिस्ट में जोया अख्तर, करण जौहर, अनुराग कश्यप और दिवाकर बनर्जी जैसे बड़े-बड़े नाम शामिल हैं. और इसे रोनी स्क्रूवाला प्रोड्यूस कर रहे हैं.15 जून को ये फिल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज की जाएगी. ‘लस्ट स्टोरीज’ 2013 में आई फिल्म ‘बांबे टॉकीज’ की सीक्वल है.
अनुराग कश्यप
लस्ट स्टोरीज शुरू होती है अनुराग कश्यप की पहली कहानी की बेहतरीन एक्ट्रेस राधिका आप्टे और सैराट के एक्टर आकाश ठोसर से. फिल्म में राधिका एक प्रोफेसर कालिंदी का किरदार निभा रहीं हैं जो कि शादीशुदा महिला हैं. कालिंदी एक स्टूडेंट आकाश के साथ ओपन रिलेशनशिप में हैं. कालिंदी के किरदार को देखकर लगाता है कि उसे समझना और पढ़ना आसान नहीं है. उसको एक इंसान उतना ही जान सकता है जितना वो बताना चाहती है.
जैसे कि वो फिल्म में कालिंदी खुद कहती है कि वो खुद को और अपनी जिंदगी को और बेहतर समझने की कोशिश कर रही है. कालिंदी का किरदार जितना लोगों को पसंद आएगा हो सकता है उतना उसे नपसंद भी किया जाए.
अनुराग ने कहानी के हर एक सीन को बेहतरीन तरीके से पेश किया है. ये कहना गलत नहीं होगा की अनुराग ने बाकी की तीन कहानियों के लिए समा बांध दिया है. फिल्म में स्क्रीनप्ले और कैरेक्टर पर कोई ज्ञान नहीं दिया गया है. बल्कि रियल स्टोरी को पर्दे पर पेश करने की कोशिश की गई है.
जोया अख्तर
मुंबई के वन बीएचके फ्लैट में एक अमीर आईटी इंजीनियर नील भूपालम और उनकी मेड भूमि पेडनेकर के बीच एक लस्ट स्टोरी कैसे पनपती है ये कहानी उसी पर आधारित है.
जोया की कहानी में ये छोटा सा घर किरदारों की जिंदगी और कहानी के फ्लो के साथ बिलकुल ठीक बैठती है.
भूमि एक ना बोलने वाली मेड की भूमिका में होते हुए भी कहानी में जान डाल देती हैं. पूरी फिल्म में उनके गिने-चुने दो डायलॉग हैं, लेकिन अपनी इच्छाओं के आगे वो कभी बेबस होती दिखती हैं, तो अपनी जिंदगी में चल रही उथल-पुथल से बिना शिकायत समझौता भी कर लेती हैं. फिल्म का सधा हुआ स्क्रीनप्ले मिडिल क्लास की सोच और एक मेड के साथ किए जाने वाली क्रूरता को भी दिखाता है.
दिबाकर बैनर्जी
यहां एक छोटी सी मुश्किल है, लेकिन इसमें जाने से पहले आपको ये बता देते हैं कि मनीषा कोइराला ने लंबे समय बाद स्क्रीन पर शानदार वापसी की है. इस फिल्म में उन्होंने एक ऐसी महिला का किरदार निभाया है, जो अपनी शादीशुदा जिंदगी से खुश नहीं है और अपने पति संजय कपूर को बॉयफ्रेंड जयदीप अहलावत के लिए धोखा दे रही है.
वो होशियार है, कामयाब है उसे पता है उसे क्या चाहिए और उसे पता है अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने के लिए पति से कैसे बचना है. मनीषा कोइराला ने फिल्म के किरदार के साथ पूरा न्याय किया है. फिल्म में दो स्वार्थी आदमियों के बीच झूलती अपनी पहचान,आधिकार और खुशी ढूंढती महिला की कहानी है.
करण जौहर
फिल्म चमक-दमक से सजी हुई है, जिस बात के लिए करण जौहर की फिल्में जानी जाती हैं. लेकिन कहानी के मामले में ये सबसे सादी भी है. फिल्म में कियारा अाडवानी अपने सीधे-सादे पति के साथ खुश नहीं हैं. वो उसके साथ शारिरिक और मानसिक रूप से खुद को संतुष्ट नहीं पाती. अपनी एक स्कूल की दोस्त (नेहा धूपिया) से प्रेरित होकर वो एक सेक्स टॉय लाती हैं पर जो बात कुछ हंसाने वाले सीन पर खत्म होती है.
कियारा और विकी ने अच्छा काम किया है, लेकिन करण का अभिनय उभरकर आता है.
पर क्या आपको लस्ट स्टोरी देखनी चाहिए? हां. लेकिन अगर आप सिर्फ बोल्ड सीन की वजह से देखने की सोच रहे हैं तो शायद आप ये फिल्म छोड़ सकते हैं. ये फिल्म असल कहानियों की बात करती है, जिसमें मजबूत महिलाएं हैं, जो अपनी जिंदगी के फैसले लेने से नहीं डरती.
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