ADVERTISEMENTREMOVE AD
i

वीरे दी वेडिंग: अपनी शर्तों पर जीने वाली बिंदास लड़कियों की कहानी 

करीना कपूर, सोनम कपूर, स्वरा भास्कर, शिखा तलसानिया बेबाक होकर जिंदगी जीने पर यकीन रखती हैं.

छोटा
मध्यम
बड़ा

निडर और अपनी शर्तों पर जीने वाली लड़कियों की कहानी है ‘वीरे दी वेडिंग’

वीरे दी वेडिंग एक ऐसी रोमांटिक कॉमेडी कही जा सकती है, जिसकी आप अमेरिकी कॉमेडी सीरीज 'सेक्स एंड द सिटी' से तुलना कर सकते हैं. बोल्ड, बिंदास और निडर अपनी शर्तों पर जीने वाली चार दोस्तों की कहानी है ‘वीरे दी वेडिंग’

फिल्म की चारों किरदार करीना कपूर, सोनम कपूर, स्वरा भास्कर, शिखा तलसानिया बेबाक होकर जिंदगी जीने पर यकीन रखती हैं. सेक्स से लेकर अपने हालातों पर खुलकर बात करना पसंद करती हैं. इन सभी की लीड कैरेक्टर हैं करीना कपूर.

कहानी शुरू होती है एग्जाम और लॉकर रुम की गॉसिप से, जहां से ये लगता है टीनेजर लड़कियां जवानी की दहलीज पर कदम रखने वाली हैं.

फिल्म की कहानी में चारों लड़कियां अपने-अपने रिश्तों में उलझी हुई नजर आती हैं. फिल्म में करीना कपूर की जिंदगी शादी की उलझनों को दर्शाता है. एक तरफ खुद की लाइफस्टाइल और दूसरी तरफ रिश्तेदारों की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करना, उसे कहीं न कहीं अखरता है. सोनम कपूर अपने जीवन साथी की तलाश में हैं, जो उन्हें नहीं मिल रहा. स्वरा भास्कर रिलेशनशिप में विश्वास नहीं रखती.

शिखा तलसानिया एक शादीशुदा महिला हैं, जो अपनी शादी से खुश नहीं हैं. इस फिल्म की सबसे खूबसूरत बात ये सभी किरदार अपनी-अपनी परेशानी भूलकर करीना कपूर की शादी के लिए इकट्ठा होते हैं. फिल्म में इन सभी दोस्तों के रिश्तों को बहुत खूबसूरती के साथ दिखाया गया है.

परफॉरमेंस की बात करें तो फिल्म में करीना कपूर सबसे ज्यादा वक्त तक पर्दे पर छाई रहीं. ये कहना भी गलत नहीं होगा कि करीना को स्क्रीन पर अपना किरदार दिखाने का पूरा मौका मिला. और करीना कपूर ने (कालिंदी) के किरदार के साथ पूरा इंसाफ किया, जो दर्शकों को जरूर पसंद आएगा.

सोनम कपूर, स्वरा भास्कर और शिखा ने भी अपना किरदार बखूबी निभाया है, लेकिन कई जगह फिल्म में ऐसा लग रहा था कि दोस्ती के सीन जबरदस्ती फिल्म में डाले गए हैं. फिल्म में शिखा तलसानिया के किरदार पर भी सवाल खड़ा होता है. अच्छा होता कि शिखा को स्क्रीन पर अपनी परफॉमेंस दिखाने का थोड़ा और मौका मिलता. देखा जाए तो पूरी फिल्म में करीना कपूर और सोनम कपूर को ही हाइलाइट किया गया है.

फिल्म में अगर कमजोर कड़ियों की बात की जाए जो जबरदस्ती के एयरलाइंस और इंटीरियर के ऐड से फिल्म को भर दिया गया है. दूसरी तरफ फिल्म को हाईस्कूल की दोस्ती से शुरू करने के बजाय 20 या 30 की उम्र की दोस्ती से शुरुआत की जा सकती थी. फिल्म जरूर कमजोर पहलुओं से शुरू होती है, लेकिन धीरे-धीरे एक अच्छी और मजबूत पकड़ बनाती है.

क्रिटिक्स: गल्फ न्यूज

यह भी पढ़ें: वीरे दी वेडिंग: क्या लड़कों से अब छिन गया है गालियों का कॉपीराइट?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×