ADVERTISEMENTREMOVE AD

OMG 2 Review: अक्षय कुमार, पंकज त्रिपाठी की दमदार एक्टिंग, इंटरटेनमेंट के साथ संदेश

ओएमजी 2 की कहानी यह बताने में सफल रही है कि कि सेक्स और यौन इच्छा कोई "विदेशी अवधारणा" यानी कि विदेशी कॉन्सेप्ट नहीं है.

छोटा
मध्यम
बड़ा

अक्षय कुमार और पंकज त्रिपाठी स्टारर फिल्म 'ओएमजी 2' (OMG 2) 11 अगस्त को देशभर के सभी सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. सेक्स एजुकेशन पर बनी इस फिल्म की क्रिटिक्स जमकर तारीफ कर रहे हैं. पंकज त्रिपाठी के दमदार परफॉर्मेंस डिलीवरी से दर्शकों की नजर नहीं हट रही. वहीं खिलाड़ी कुमार (Akshay Kumar) अपने नेचुरल चार्म से फैंस का दिल जीतते नजर आ रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ओएमजी से बिल्कुल अलग है OMG 2 की कहानी

ओएमजी 1 (OMG) में जहां धर्म की आड़ में धोखेबाजों द्वारा आम आदमी का शोषण करने के तरीकों पर तीखा व्यंग्य किया गया था. ' भगवान के नाम पर काम' और धर्म के व्यावसायीकरण के खिलाफ एक इंसान की लड़ाई दिखाई गई थी. वहीं ओएमजी 2 की कहानी बिल्कुल अलग है.

ढेर सारे कंफ्यूजन के साथ इस फिल्म को देखने में थिएटर में गई. लेकिन फिल्म ने उस तरह से निराश नहीं किया, जैसी उम्मीद थी. फिल्म की कहानी पिछली स्टोरी से बिल्कुल अलग और नई है. फिल्म में कांति शरण मुदग्ल (Pankaj Tripathi) के बेटे विवेक का स्कूल के टॉयलेट में मास्टरबेशन करते हुए वीडियो वायरल हो जाता है, जिसके बाद उसकी काफी बदनामी होती है.

कोर्ट में भगवान शिव का परम भक्त कांति शरण मुद्गल पूछता है,"भारत भर के सभी स्कूलों में उचित यौन शिक्षा क्यों नहीं दी जाती?"

कहानी क्या है?

सामाजिक मानदंड के हिसाब से गंदा बच्चा बन चुका विवेक अपनी सोसाइटी, दोस्तों और यहां तक कि पिता की नजरों में गिर जाता है. विवेक के अंदर का आत्म विश्वास दम तोड़ने लगता है और वो आत्महत्या करने की कोशिश करता है. यहीं से शुरू होती है एक पिता के पीड़ा, संघर्ष और जंग की कहानी.

समाज के तंज से परेशान कांति शरण पुलिस स्टेशन जा पहुंचता है. यहां कहानी में एंट्री होती है अक्षय कुमार की. फिल्म में अक्षय कुमार ने फकीर और मस्तमौला इंसान का किरदार निभाया है. यहां कांति शरण को फकीर से दिखने वाले इस व्यक्ति की बातों से पता चलता है कि वो अपने बेटे के बारे में कितना गलत सोच रहा है.

अपने बेटे के खोए हुए आत्मविश्वास को वापस लाने के लिए कांति स्कूल, फर्जी डॉक्टरों और पेडलर्स के दकियानूसी सोच के खिलाफ अदालत में अर्जी डालता है. यहीं से फिल्म सेक्स एजुकेशन पर प्रकाश डालती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
फिल्म का पहला भाग आशाजनक है. न ही आपको बहुत ज्यादा मजा आएगा और न ही आप बोर होंगे. लेकिन इसके आगे फिल्म की कहानी उलझी हुई बहसों में बदल जाएगी. यौन शिक्षा के बारे में बनी फिल्म में, किसी भी बिंदु पर इसपर चर्चा करते हुए कोई नहीं दिखेगा कि युवा लड़के को वॉशरूम में मास्टरबेट करते हुए रिकॉर्ड किया गया था.

कलाकारों की एक्टिंग

कहानी के पंच, कॉमेडी भरे हिस्से, पंकज त्रिपाठी का बेहतरीन काम आपको अंत तक फिल्म से जोड़े रखता है. पंकज त्रिपाठी यूपी- बिहारी वाले जोन से इतर एक नए एक्सेंट और सेंसिबिलिटी वाले किरदार में नजर आते हैं.

पिछली फिल्म की तरह ही अक्षय कुमार का रोल सिक्वल में दैवीय शक्ति का है और उस फिल्म में भी उनकी कॉमिक टाइमिंग जबरदस्त है.

बिजेंद्र काला, अरुण गोविल, गोविंद नामदेव और पवन मल्होत्रा ने हमेशा की तरह अपने सपोर्टिंग रोल को पूरी संजीदगी से निभाया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

यामी गौतम का किरदार

यकीनन सेक्स एजुकेशन पितृसत्ता (Patriarchy) और स्त्री-द्वेष (Misogyny) का समाधान नहीं है. यह मालूम होते हुए भी कि ये दोनों कारक यौन अपराधों में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं. लेकिन फिल्म में इस विषय पर कोई बात नहीं हुई है.

यह काबिले तारीफ है कि फिल्म सेक्स के बारे में खुलकर बात करने से नहीं कतराती है. फिल्म में योनि, लिंग और वैजाइना जैसे शब्दों का इस्तेमाल मुखरता से किया गया है. यह अपने आप में बड़े पर्दे के लिए काफी बड़ी प्रगति है.

फिल्म में कांति काम (Sex) की अवधारणा को साबित करने के लिए धार्मिक ग्रंथों का इस्तेमाल करता है. वह बताता है कि समाज में काम की अवधारणा सदियों से मौजूद है, तो फिर हम अचानक यौन इच्छा को एक बुराई के रूप में क्यों देखने लगते हैं?

कोर्ट में, कांति का सामना एक महिला वकील कामिनी माहेश्वरी (Yami Gautam) से होता है, जो इस केस में पर्सनली इन्वॉल्व्ड होती हैं. कामिनी माहेश्वरी के व्यवहार से लगता है कि वो बेहद सख्त वकील हैं, लेकिन आगे चलकर उनके सवालों से ये गलफहमी दूर हो जाती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
यह विचार की सेक्स का अस्तित्व इसलिए है ताकि दुनिया चलती रहे और महिलाएं गर्भ धारण करें. सेक्स के बारे में फिल्म की न्यूनतम समझ को दर्शाता है.

कोर्टरूम का ड्रामा बहुत इंटरेस्टिंग लगता है

ओएमजी 2 की कहानी यह बताने में सफल रही है कि कि सेक्स और यौन इच्छा कोई "विदेशी अवधारणा" यानी कि विदेशी कॉन्सेप्ट नहीं है. क्योंकि पश्चचिमी देश यौन शिक्षा के बारे में बात कर रहा है, इसलिए भारत को भी इसपर ध्यान देने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है. भारत में काम की धारणा को लेकर शिक्षा और समझ दोनों पहले से ही है. हमें इसके लिए बस एक सुरक्षित स्थान की जरूरत होती है, ताकि लोग शर्म और हिंसा के खतरे के बिना अपनी कामुकता का पता लगा सकें.

देखा जाए तो फिल्म काफी मजेदार है. समय-समय पर आपको हंसाने के लिए बेहतरीन पंचलाइन और कॉमेडी सीन्स मिलते रहेंगे. कोर्टरूम में जिस तरह से ड्रामा चलता है, वो देखना काफी इंटरेस्टिंग है. कांति शरण, जज और वकील बनी यामी गौतम की बातचीत आपका ध्यान स्क्रीन पर से नहीं हटने देगी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×