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‘पिया की पहरेदारी’ से पहले तो कंटेंट की पहरेदारी जरूरी है!

रतन बन्ना की जगह आप अपने घर के किसी बच्चे को इमैजिन कर देखेंगे तो आप टीवी बंद करना ज्यादा जरूरी समझेंगे!

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ठीक है हम सिमरन को मक्खी बनता देख सकते हैं, नागिन के न खत्म होने वाले एपिसोड को झेल सकते हैं, इसका मतलब ये नहीं कि टीआरपी के नाम पर भारतीय दर्शक सिर्फ ठगा जाना ही डिजर्व करते हों.

18 साल की एक्‍ट्रेस का 9 साल के बच्‍चे से रोमांस, हनीमून पर जाएंगे 9 साल का लड़का और 18 की लड़की... 9 साल के लड़के को हम 18 साल की लड़की की मांग भरते देख रहे हैं और यकीन मानिए, ये बिल्कुल भी पसंद आने वाली बात नहीं है. सीरियल का नाम है 'पहरेदार पिया की', जो सोनी टीवी पर दिखाया जा रहा है.

एंटरटेनमेंट के नाम पर जो इसे पसंद कर भी रहे हों, तो उन्हें ये समझ जाना चाहिए टीआरपी की अंधी दौड़ का शिकार अब उनकी अगली पीढ़ी होगी.

कोई बाल विवाह को कैसे सेलिब्रेट कर सकता है?

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गौर करें, तो नए और एग्‍जॉटिक कांसेप्ट के नाम पर एक प्रेम कहानी, अनोखे रिश्ते और प्यार तो किसी से भी हो सकता है, जैसे घिसे-पीटे कॉन्‍सेप्ट में ही आपको उलझाता दिखेगा ये सीरियल.

बाल विवाह जैसी कुप्रथा पर चोट करती बालिका वधू जैसे सीरियल की टीआरपी क्या कम रही थी? सीरियल समाज में फैली गलत प्रथा के खिलाफ आवाज उठाने के लिए बनी थी, वहीं इस तरह के शो इन प्रथाओं को बढ़ावा देने का काम करेंगे. भले ही वो डिस्क्लेमर दिखा दें कि “ये सीरियल किसी भी तरह से बाल विवाह को बढ़ावा नहीं देता’’. इस सीरियल के प्रोड्यूसर को ये बात समझने की जरूरत है कि हम वही इंडियन आॅडियंस हैं.

कंफ्यूजन भी कम नहीं है इस सीरियल में. असली पहरेदार है कौन साफ नहीं हो पा रहा.

अब देखिए सीरियल में राजस्थान के एक शाही परिवार का हीरो रतन बन्ना को जरूरत है मां की लेकिन वो ले आता है पत्नी- दिया. साथ ही सीरियल के साथ घर ससुर का नया कॉन्‍सेप्ट भी राइटर ने लाॅन्च किया है. दिया के पिता उसके ससुराल जाते हैं, ताकि बच्चों की पहरेदारी कर सकें.

अब अगर सीरियल में दिया को पिया की पहरेदार बना कर प्रोजेक्ट किया गया है, तो फिर उसके पिता की पहरेदारी की अलग से क्या जरूरत पड़ गई?

वहीं शादी के बाद पहली रात रतन बन्ना दिया को ये बोलते नजर आते हैं कि अगर उसे डर लगे तो वो उसका हाथ पकड़ कर सो सकती है.अब बताओ पहरेदार कौन बन रहा है?

(सुहागरात के बाद ये कपल हनीमून पर भी जा रहा है!)

मर्द..वो भी राजघराने का हुकुम न चलाए, ऐसा हो सकता है क्या?

रतन बन्ना दिया को चाय पीने से मना करता है, ताकि वो काली न हो जाए.

अब पत्नी को पति की बात तो माननी पड़ेगी क्यों? ....चल क्या रहा है ये?

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ये टीवी पर कुछ नया दिखाने की होड़ में उठाए गए उल-जुलूल कदम से ज्यादा कुछ नजर नहीं आता.

वैसे 15वें एपिसोड से आगे बढ़ चुका ये सीरियल शुरूआत से ही विवादों में रहा है. शुरूआती एपिसोड में बच्चा हाथ में कैमरा लिए लड़की का पीछा करता है. छिप-छिपकर उसकी तस्वीरें उतारता है. क्या ये आपको असहज करने के लिए काफी नहीं है? आपके बच्चे के सामने एक विकृत सोच को पेश कर रहा है ये सीरियल. हो सकता है ये सब देख बच्चे इसे जायज मान बैठें और उसके लिए उसकी पड़ोसी, टीचर का पीछा करना काफी नाॅर्मल बात बन जाए.

बहरहाल, सीरियल को बंद कराने के लिए change.org पर एक कैंपेन शुरू किया गया है. कई लोगों ने आॅनलाइन पेटिशन साइन किया है जो बताता है कि हम मूक दर्शकों में से नहीं हैं.

इस कैंपेन पर सूचना और प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने एक्शन लेते हुए ब्रॉडकास्ट‍िंग कंटेंट कप्लेंट्स काउंसिल (BCCC) को लेटर लिखा है. स्मृति ईरानी ने BCCC को शो का कंटेंट रिव्यू करने के साथ ही तुरंत एक्शन लेने के लिए कहा है.

हालांकि इसपर शो के प्रोड्यूसर सुमित मित्तल ने कहा है कि

अब तक उनके पास कहीं से भी किसी तरह का नोटिस नहीं आया है. न ही किसी ने कानूनी तौर पर आपत्ती जताई है. अगर हमारे सामने यह सवाल खड़ा किया जाएगा, तो हम मिनिस्ट्री के पास अपनी बात रखने के लिए जाएंगे. 

उनका कहना है कि यह देश आजाद है और यहां सबको आजादी है कि हम अपनी बात रख सकें.

लेकिन नए और एग्‍जॉटिक कॉन्‍सेप्ट के नाम पर इसके बचाव में कोई भी तर्क को सही नहीं कह सकते क्योंकि ये सीरियल बाल विवाह के कुप्रथा, स्टाॅकिंग जैसी डरावनी चीज को बढ़ावा देता दिख रहा है. अगर सीरियल में रतन बन्ना की जगह आप अपने घर के किसी बच्चे को इमैजिन कर देखेंगे, तो आप टीवी बंद करना ज्यादा जरूरी समझेंगे.

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