ADVERTISEMENTREMOVE AD

बाहुबली ने सपने को साकार करना सिखा दिया है- प्रभास का इंटरव्यू

पढ़िए बाहुबली प्रभास का इंटरव्यू

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

फिल्मकार एस.एस. राजामौली के दिमाग में साल 2012 में आए विचार ने भारतीय सिनेमा को एक अभूतपूर्व सफलता प्रदान किया है. फिल्म 'बाहुबली' ने कामयाबी के झंडे गाड़ दिए हैं। 'बाहुबली' श्रृंखला की दूसरे भाग की फिल्म को चार साल देने वाले अभिनेता प्रभास का कहना है कि वह खुशी के साथ इस फिल्म को और ज्यादा समय देने के लिए तैयार हो जाते, क्योंकि इसका हिस्सा बनकर वह खुद को खुशकिस्मत मानते हैं.

फिल्म 'बाहुबली : द बिगिनिंग' (2015) की जबरदस्त सफलता के बाद 'बाहुबली-2 : द कनक्लूजन' ने दुनियाभर में 1,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कर भारतीय सिनेमा के इतिहास में नया रिकॉर्ड बनाया है.

‘खुशकिस्मत हूं’

प्रभास ने कहा, "राजामौली सर पर मुझे पूरा भरोसा था, मैं उनका सम्मान करता हूं. यह बात मेरे लिए बहुत मायने रखती है कि उन्हें लगा कि मैं बाहुबली का किरदार निभा सकता हूं, अगर जरूरत पड़ती तो मैं बाहुबली को अपने जीवन का सात साल भी दे देता, क्योंकि ऐसे किरदार किसी कलाकार को कम ही निभाने को मिलते हैं. मैं खुद को बहुत खुशकिस्मत और सौभाग्यशाली मानता हूं."

‘शब्दों से परे है ये अहसास’

अभिनेता ने कहा, "जब हमने 'बाहुबली' पर काम करना शुरू किया तो मेरा उद्देश्य राजमौली सर की कल्पना को साकार करना था. एक कलाकार के रूप में मेरा इरादा दर्शकों के लिए बाहुबली को पर्दे पर उतारना था. मैंने सपने कभी नहीं सोचा था कि फिल्म एक मानक स्थापित कर लेगी. यह अहसास शब्दों से परे है."

‘क्षेत्रिय सिनेमा की उम्मीद बढ़ी’

उन्होंने कहा, "'बाहुबली' ने निश्चित रूप से बहुत से क्षेत्रीय फिल्मकारों की उम्मीदें बढ़ा दी हैं. 'बाहुबली' ने दर्शकों के दिलों को छुआ है और सभी सीमाओं को तोड़ दिया है."

बाहुबली के किरदार की तैयारी के बारे में प्रभास ने कहा कि इस तरह के किरदार को निभाने के लिए मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से तैयार होना पड़ता है और इसके लिए एक सख्त जीवनशैली अपनानी पड़ी, जिससे उन्हें शारीरिक रूप से किरदार में उतरने में और गहराई से समझने में मदद मिली.

फिल्म श्रृंखला में अमरेंद्र बाहुबली और उसके बेटे महेंद्र बाहुबली (दोहरी भूमिका) के किरदार को बखूबी निभाने वाले अभिनेता ने बताया कि पिता व पुत्र दोनों के नजरिए और भवनाओं को समझकर किरदार को निभाना उनके लिए आसान नहीं था.

बचपन से नहीं था एक्टिंग का शौक

तेलुगू फिल्म 'ईश्वर' (2002) से अभिनय की दुनिया में पदार्पण करने वाले 37 वर्षीय अभिनेता का कहना है कि अभिनय उनके बचपन का सपना नहीं था. उन्होंने कहा कि अपने संकोची स्वभाव के कारण उन्होंने कभी अभिनय करियर के बारे में नहीं सोचा था. 18-19 साल की उम्र में उनके मन में अभिनेता बनने का ख्याल आया और उन्होंने यह बात अपने पिता (निर्माता उप्पालापति सूर्या नारायण राजू) और चाचा को बताया, जिसे सुनकर वे बेहद खुश हुए.

प्रभास के अनुसार, एक अभिनेता के रूप में 'बाहुबली' ने उन्हें बहुत कुछ दिया है, जिसे शब्दों में बयां करना उनके लिए मुश्किल है. लोगों के सिर पर 'बाहुबली-2 : द कन्क्लूजन' का खुमार छाया है और बॉक्स ऑफिस पर इसका जादू अब भी बरकरार है, जो हाल-फिलहाल उतरता नहीं नजर आ रहा है. प्रभास अब अपनी अगली फिल्म 'साहो' की तैयारी में जुटे हैं, जिसके निर्देशक सुजीत हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×