राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastav), कॉमेडी (Comedy World) का वो नायाब सितारा, जिनकी बातों पर लाखों लोगों की हंसी छूट जाती थी. जिनके जोक्स (Jokes) पर जमकर ठहाके लगते थे. हास्य जगत का ये रोशन चिराग आज बुझ गया. सबको हंसाने वाले राजू आज लोगों को रुला गए. 10 अगस्त को जिम में कसरत करते वक्त राजू अचानक दिल का दौरा पड़ने से गिर गए थे. जिसके बाद उन्हें दिल्ली AIIMS में भर्ती करवाया गया था. जहां उन्होंने आज आखिरी सांस ली. राजू के निधन से बॉलीवुड से लेकर उनके प्रशंसकों के बीच शोक की लहर है. हर किसी का मन उदास है और आंखें नम हैं.
सत्यप्रकाश बड़ा होकर बन गया राजू श्रीवास्तव
राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastav) का जन्म 25 दिसंबर 1963 को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर (Kanpur) में एक कवि के घर हुआ. उनका बचपन का नाम सत्यप्रकाश श्रीवास्तव था, लेकिन मुंबई आने के बाद उन्होंने अपना नाम राजू रख लिया.
राजू श्रीवास्तव को शुरू से ही लोगों को हंसाने का शौक था. इसी में करियर बनाने का सपना लिए राजू श्रीवास्तव साल 1988 में मुंबई पहुंच गए. उस दौर में मुंबई जैसे बड़े शहर में अपनी पहचान बनाना इतना आसान नहीं था. राजू को कई सालों तक संघर्ष करना पड़ा.
ऑटो में लोगों को सुनाते थे जोक्स
मुंबई में अपने शुरुआती संघर्ष के बारे में बात करते हुए राजू श्रीवास्तव ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जब वह मुंबई पहुंचे, उस वक्त लोग कॉमेडियन को बड़ा कलाकार नहीं मानते थे. उस वक्त कॉमेडी जॉनी वाकर (Johnny Walker) से शुरू होकर जॉनी लीवर (Johnny Lever) पर खत्म हो जाती थी. ज्यादा काम नहीं मिलने पर उन्हें भी पैसों की तंगी रहती थी. खर्च चलाने के लिए उन्होंने ऑटो चलाया. राजू के मुताबिक वह ऑटो में सफर कर रहे लोगों को जोक सुनकर हंसाते थे. बदले में उन्हें किराये के साथ टिप भी मिल जाती थी.
हालांकि इस दौरान वह स्टैंड अप कॉमेडी भी करते रहते थे. पिता के कवि होने के नाते कॉमेडी की कला राजू श्रीवास्तव में कूट-कूट कर भरी हुई थी. ऐसे में बड़ा कॉमेडियन बनने का सपना लिए राजू श्रीवास्तव तमाम परेशानियों के बावजूद आगे बढ़ते रहे.
एक शो के मिलते थे 50 रुपए
राजू श्रीवास्तव ने उसी इंटरव्यू में कहा था कि शुरुआती दिनों में उन्हें एक शो के लिए 50 रुपये मिलते थे. स्ट्रगल के दिनों में वह बर्थडे पार्टी में जाकर 50 रुपये के लिए भी कॉमेडी किया करते थे.
द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज से मिली पहचान
एक दिन ऑटो चलाते-चलाते राजू श्रीवास्तव की जिंदगी में बड़ा मोड़ आया. उन्हें एक कॉमेडी शो के लिए ब्रेक मिला. इसके बाद राजू श्रीवास्तव ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. राजू ने डीडी नेशनल के मशहूर शो 'टी टाइम मनोरंजन' से लेकर 'द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज' तक अपनी खास पहचान बनाई.
'द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज' से राजू श्रीवास्तव को असली पहचान मिली. वो इस शो के उपविजेता भी रहे. इस शो में उनका 'गजोधर भइया' का किरदार खूब लोकप्रिय हुआ. अपनी कॉमेडी में कानपुर और ग्रामीण परिवेश को शामिल कर राजू लोगों के दिलों पर राज करने लगे.
राजू अपनी कॉमेडी में जिस 'गजोधर भइया' का किरदार का जिक्र करते हैं, दरअसल वो शख्स हकीकत में है. दरअसल उनके ननिहाल में एक गजोधर नाम का शख्स है, जो बचपन में राजू के बाल काटता था. उन्होंने उसे ही देखकर अपने इस किरदार की रचना की.
इसके बाद राजू श्रीवास्तव ने 'द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज-चैंपियंस' में भी भाग लिया, जिसमें उन्होंने 'द किंग ऑफ कॉमेडी' का खिताब जीता.
तेजाब से शुरू किया फिल्मी करियर
राजू श्रीवास्तव ने फिल्म तेजाब से बॉलीवुड में अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की. यह फिल्म साल 1988 में रिलीज हुई थी. उसके बाद उन्होंने कई बॉलीवुड फिल्मों जैसे मैंने प्यार किया, बाजीगर, आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया, बिग ब्रदर, बॉम्बे टू गोवा, इत्यादि में काम किया.
इसके अलावा उन्होंने टीवी सीरियल जैसे शक्तिमान, बिग बॉस, कॉमेडी का महा मुकाबला, कॉमेडी सर्कस, कॉमेडी नाइट्स विद कपिल, द कपिल शर्मा शो में भी काम किया था.
कॉमेडी के रास्ते राजनीति में आए
कॉमेडी के साथ-साथ राजू ने राजनीति में भी हाथ आजमाया है. समाजवादी पार्टी (SP) के साथ उन्होंने राजनीति की शुरुआत की. साल 2014 के लोकसभा चुवान में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने उन्हें कानपुर लोकसभा सीट से मैदान में उतारा था. हालांकि, 11 मार्च 2014 को उन्होंने टिकट वापस कर दिया और कहा कि उन्हें पार्टी की स्थानीय इकाइयों से पर्याप्त समर्थन नहीं मिला है. इसके बाद उन्होंने 19 मार्च 2014 को भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया. वे उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद का चेयरमैन भी थे.
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