कितने आदमी थे... फिल्म शोले के डाकू गब्बर सिंह की ये आवाज आज भी हमें याद है. ये कहा जाता है कि अगर मां को अपने बच्चों को सुलाना हो तो वो कहतीं हैं " सो जा बेटा नहीं तो गब्बर सिंह आ जाएगा''.
रमेश सिप्पी की फिल्म ''शोले'' और गांव ''रामगढ़'' किसी पहचान का मोहताज नहीं है. यह फिल्म हिन्दुस्तान की सबसे बेहतरीन फिल्मों में शुमार है. वही रामगढ़ एक बार फिर से सुर्खियों में है लेकिन, इस बार डाकू गब्बर सिंह, ठाकुर या बसंती की वजह से नहीं. शोले की शूटिंग बेंगलुरु के पास रामदेवरा गांव में हुई थी और यहीं अब 7.5 करोड़ खर्च कर 3D वर्चुअल रियलिटी गांव बनने जा रहा है.
फिल्म ''शोले'' की पॉपुलैरिटी आज भी बरकरार है. यह खबर उन सभी को खुश कर देगी जो इस फिल्म के दीवाने हैं.
ठाकुर बलदेव सिंह का गांव, रामगढ
ये वही गांव है जहां ठाकुर बलदेव सिंह के पूरे परिवार को डाकू गब्बर सिंह ने मौत के घाट उतार दिया था. ठाकुर के दोनों हाथ भी गब्बर ने यहीं छीन लिए थे. अब इस प्रोजेक्ट के बनने के बाद आप सारे किरदारों को रियल लोकेशन पर देख सकेंगे.
बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना
जी हां ये वही पहाड़ है जहां गब्बर सिंह ने वीरू की प्रेमिका बंसती तो नाचने को कहा था और जंजीरों से जकड़े वीरू ने बसंती को नाचने से मना किया था.
कितने आदमी थे...
इन्हीं पहाड़ों पर डाकू गब्बर सिंह के हंटर की आवाजें गूंजती थी और गब्बर की हुकूमत चलती थी.
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