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फिल्म पर आपत्ति,साथी पायलट के दावे पर खुद गुंजन सक्सेना ने रखी बात

‘शौर्य चक्र विवाद’ पर गुंजन की सफाई

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फिल्म 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' के रिलीज होने के बाद से उस पर विवाद शुरू हो गया है. भारतीय वायुसेना (IAF) ने सेंसर बोर्ड से कहा है कि संगठन को 'नकारात्मक' तरीके से दिखाया गया है. रिटायर्ड फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना के साथ काम कर चुकीं एक महिला IAF अधिकारी ने कहा है कि उन्हें वायुसेना में किसी तरह का 'भेदभाव' नहीं झेलना पड़ा. हालांकि, अब इन सब विवादों पर गुंजन सक्सेना ने एक ब्लॉग लिखा है.

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NDTV की वेबसाइट पर पब्लिश हुए इस ब्लॉग में सक्सेना ने लिखा कि 'कभी-कभी अफवाहों और झूठ की तेज हवा में आपकी पहचान शक की धूल से ढक जाती है.' गुंजन सक्सेना ने लिखा, "कुछ लोगों ने मेरे अस्तित्व और पहचान के मूल्यों के साथ छेड़खानी की कोशिश की है. मुझे लगता है अब इस धूल को हटाने का समय आ गया है."

गुंजन सक्सेना ने अपने ब्लॉग में कहा कि उनकी बायोपिक में फिल्ममेकर्स ने उनकी असलियत को ‘बढ़ा-चढ़ाकर’ नहीं बताया है. गुंजन ने कहा कि अपने छोटे वायुसेना करियर में उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण चीज अपने सीनियर, जूनियर और साथियों की इज्जत और प्रशंसा कमाई है.  

साथी महिला पायलट के 'दावों' पर क्या बोलीं गुंजन?

एयरफोर्स में गुंजन सक्सेना के साथ काम करने वाली नमृता चांडी ने एक ओपन लेटर में फिल्म की आलोचना करते हुए लिखा कि फिल्म में वायुसेना को गलत तरीके से दिखाया गया है. चांडी ने अपने लेटर में ये भी लिखा कि कारगिल में उड़ान भरने वालीं पहली महिला पायलट श्री विद्या राजन थीं, न कि गुंजन सक्सेना.

सक्सेना ने अपने ब्लॉग में बिना नाम लिए कहा, "लेखक ने असल में 1999 में कारगिल युद्ध के बाद वायुसेना के स्टैंड पर सवाल किया है."

मैं लाइमलाइट एन्जॉय नहीं करती हूं. लेकिन मेरी उपलब्धियों के बारे में IAF ने ही मीडिया को बताया था. मैं मीडिया की चकाचौंध से तब भी सहज नहीं थी और अब भी नहीं हूं. कोई इस तथ्य से कैसे इनकार कर सकता है कि मैं कारगिल युद्ध में उड़ान भरने वाली पहली महिला अफसर थी? 
गुंजन सक्सेना ने अपने ब्लॉग में कहा

'शौर्य चक्र विवाद' पर गुंजन की सफाई

गुंजन सक्सेना ने ब्लॉग में लिखा कि न उन्होंने और न फिल्ममेकर्स ने कभी दावा किया है कि उन्हें 'शौर्य चक्र' मिला है. सक्सेना ने लिखा, "मुझे उत्तर प्रदेश के एक नागरिक संगठन से 'शौर्य वीर' अवॉर्ड मिला था. इंटरनेट न्यूज के एक सेक्शन ने मुमकिन तौर पर 'वीर' को 'चक्र' कर दिया. फिल्म प्रमोशन के समय मीडिया से बातचीत करते हुए ये बात मैंने कई बार बताई है. क्या इसके लिए मुझे दोष देना ठीक है?"

'IAF में 'लैंगिक भेदभाव' संगठन स्तर पर नहीं'

फिल्म की आलोचना करने वाले दावा कर रहे हैं कि इसमें IAF को गलत तरह से दर्शाया गया है और संगठन में कोई 'लैंगिक भेदभाव' नहीं होता है. इस पर गुंजन सक्सेना ने कहा कि जो लोग फिल्म को IAF की प्रतिष्ठा पर हमला बता रहे हैं, उनसे मैं कहना चाहूंगी कि वायुसेना किसी विवाद से प्रभावित होने के लिए बहुत बड़ी और बहुत प्रतिष्ठित फोर्स है.

IAF एक संगठन के तौर पर इंस्टीट्यूशनल भेदभाव नहीं करता है. जब मैंने जॉइन किया था तब IAF में संगठन स्तर पर कोई भेदभाव नहीं था. लेकिन हां, व्यक्तिगत रूप से, कोई दो लोग एक जैसे नहीं होते और कुछ लोग बदलाव के हिसाब से खुद को दूसरों से बेहतर तरह से ढालते हैं. अलग-अलग महिला अफसरों का अनुभव अलग हो सकता है. भेदभाव को पूरी तरह नकार देना सामंती विचारधारा को दर्शाता है. महिला होने की वजह से मैं कुछ लोगों के हाथों पूर्वधारणा और भेदभाव का शिकार हुई हूं.  
गुंजन सक्सेना ने अपने ब्लॉग में कहा

गुंजन सक्सेना ने लिखा कि संगठन स्तर पर भेदभाव नहीं होने की वजह से उन्हें हमेशा बराबर के मौके मिले थे. सक्सेना ने लिखा, "अपनी सर्विस के शुरुआती सालों में मैंने महिलाओं के लिए अलग चेंजिंग रूम या टॉयलेट की शिकायत नहीं की. जब मैंने सर्वाइवल कोर्स किया था तो पुरुष अफसरों के साथ एक टेंट में रही थी. मैंने इन सब छोटे मुद्दों को कभी किसी वायुसेना-विरोधी बातचीत में नहीं कहा और न ही कहूंगी."

गुंजन सक्सेना ने अपने ब्लॉग के आखिर में कहा कि उनका और डायरेक्टर शरण शर्मा का इरादा IAF को बेइज्जत करने का नहीं था. सक्सेना ने बताया कि रेगुलर तौर पर उनसे यूनिफॉर्म, मैनर, अफसरों का लेआउट और उड़ान संबंधी टेक्निकल बातों पर सलाह ली गई थी.

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