एक शख्स जहरीले सांप के डसने के बाद मुक्का मारकर दीवार तोड़ देता है! कालकोठरी में जब मौत उसके सामने होती है तो वह पुश-अप करता है! किसी का पैर टूटा है लेकिन अपने लक्ष्य पर हमले के लिए हवा में छलांग लगाता है! एसएस राजामौली (SS Rajamouli) की 3 घंटे लंबी फिल्म RRR इस तरह दृश्यों के साथ बनी है जो आपके अविश्वास को तोड़ती है.
"लोड, एम एंड शूट !"- राजामौली (SS Rajamouli) का स्क्रीनप्ले और के वी विजयेंद्र प्रसाद (K. V. Vijayendra Prasad) की कहानी बस यही है, इसका न तो ऐतिहासिक रूप से सटीक और न ही तार्किक होने की जरूरत है. फिल्म का मजा लेने का एक मात्र उपाय है कि आप खुद को निर्देशक एसएस राजामौली (SS Rajamouli) के इस महत्वकांक्षी फिल्म को निर्विवाद रूस से समर्पित कर दें.
RRR 1920 के दशक की कहानी है जो दो क्रांतिकारियों के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है. अल्लूरी सीताराम राजू (Ram Charan) जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ एक सशस्त्र अभियान चलाया और कोमाराम भीम (Jr. NTR) गोंड जनजाति के एक आदिवासी थे, जिन्होंने अपने लोगों पर अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी. यह दिखाने के लिए कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है कि दोनों कभी एक साथ मिले या लड़े, लेकिन राजामौली ने इतिहास की फिर से कल्पना की और उनकी मुलाकात के इर्द-गिर्द एक कहानी बुनी है.
जूनियर एनटीआर ने कोमाराम भीम की भूमिका निभाई है, जबकि राम चरण ने अल्लूरी सीताराम राजू के किरदार में हैं. फिल्म में अजय देवगन, आलिया भट्ट, श्रेया सरन, मकरंद देशपांडे भी अहम भूमिका में हैं.
फिल्म में जबरदस्त एक्शन है. कुछ भी सीमा से बाहर नहीं है. अलौकिक क्षमताओं वाले हीरो से लेकर कंप्यूटर जनित जानवरों की गर्जना से हॉल गूंज उठता है. लगभग 1 घंटे 45 मिनट लंबे पहले हाफ में ऐसा एक भी क्षण नहीं है जब आप बोर होते हैं. 'नाचो-नाचो' गाने के लिए आपको ये फिल्म देखनी चाहिए. कमाल की कोरियोग्राफी और डांस से आप नजर नहीं हटा पाएंगे.
जूनियर एनटीआर और राम चरण ने अपने मुखर अभियन से मंत्रमुग्ध कर देते हैं. कहानी बड़ी सिंपल है. भीम एक बच्ची को बचाना चाहता है जिसे लॉर्ड स्कॉट और उसकी पत्नी जबरदस्ती उठाकर चले जाते हैं. तो वहीं सीताराम राजू अंग्रेजी शासन का एक वफादार सेवक है जो भीम को हर हालत में गिरफ्तार करना चाहता है. दोनों एक-दूसरे से तब तक लड़ते हैं जब तक उन्हें यह एहसास नहीं हो जाता कि उन दोनों का एक ही दुश्मन है.
लेकिन यह केवल राजामौली का कमाल है जो अपनी फिल्म में आकर्षक दृश्यों के जरिए दर्शकों को कहानी से जोड़े रखते हैं, चाहें कितना भी मेलोड्राम क्यों न हो.
RRR बड़े स्क्रीन पर ही देखने के लिए बनी है. सिनेमैटोग्राफी और विजुअल इफेक्ट्स हर फ्रेम को शानदार तरीके से पेंट करते हैं. राजामौली से अब तड़क-भड़क की उम्मीद की जा रही है. बैकग्राउंड स्क्रोर कई बार मेलोड्रामैटिक लगता है तो कई बार आपको स्तब्ध कर देता है. इंटरवल के बाद जैसे-जैसे फिल्म लड़खड़ाती है, मजा भी कम होता जाता है.
दर्शकों को लुभाने वाली सभी चीजों से भरपूर RRR देशभक्ति की भावना भी जगाती है. यह एक ऐसी फिल्म है जो अपने रोमांचकारी दृश्यों और इफेक्ट्स से हमें चकित करती है. दर्शकों के अविश्वास को खत्म करने के लिए फिल्म को विरोधाभासों से आगे बढ़ना चाहिए था. लेकिन फिल्म यहां थोड़ा लड़खड़ाती दिखती है.
भले ही RRR के कुछ सीन हास्यास्पद लगते हैं, लेकिन यह उतनी ही आकर्षक भी है. इसके लिए इस फिल्म को एक बार जरूर देखना चाहिए.
रेटिंग: 5 में से 3 क्विंट
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