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Saadat Hasan Manto : एक बदनाम, बेशर्म और बेखौफ लेखक

Saadat Hasan Manto हिंदुस्तान-पाकिस्तान बंटवारे पर सबसे बेहतरीन लिखने वालों में से एक रहे हैं

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11 मई यानी आज सआदत हसन मंटो उर्फ मंटो की बर्थ एनिवर्सरी है. मंटो का जन्म आज के दिन साल 1912 को पंजाब के समराला में हुआ था. मंटो को हमेशा बदनाम, बेशर्म और बेखौफ लेखक कहा जाता था क्योंकि वह अपनी लेखनी में तारीफों के पुल नहीं बाधंते थे. हिंदुस्तान-पाकिस्तान बंटवारे पर सबसे बेहतरीन लिखने वालों में से एक रहे हैं मंटो. चलिए मंटो के जन्मदिन पर पढ़ते हैं उनके लिखी और कही ये बातें जो समाज को आइना दिखाती हैं.

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हिन्दुस्तान को उन लीडरों से बचाओ जो मुल्क की फिजा बिगाड़ रहे हैं और अवाम को गुमराह कर रहे हैं.

मैं सोसाइटी की चोली क्या उतारूंगा, जो है ही नंगी. मैं उसे कपड़े पहनाने की कोशिश भी नहीं करता, क्योंकि ये मेरा काम नहीं, दर्जियों का काम है.

अगर आप इन अफसानों को बर्दाश्त नहीं कर सकते, तो इसका मतलब है कि जमाना ही नाकाबिल-ए-बर्दाश्त है.

मजहब जब दिलों से निकलकर दिमाग पर चढ़ जाए तो जहर बन जाता है.

मत कहिए कि हजारों हिंदू मारे गए या फिर हजारों मुसलमान मारे गए. सिर्फ ये कहिए कि हजारों इंसान मारे गए.

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जमाने के जिस दौर से हम गुजर रहे हैं, अगर आप उससे वाकिफ नहीं तो मेरे अफसाने पढ़िए.

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मेरी तहरीर में कोई गलती नहीं, जिस गलती को मेरे नाम से बताया जाता है, वो दरअसल मौजूदा सिस्टम की गलती है.

हर बड़ा आदमी गुसलखाने में सोचता है. मगर मुझे तजुर्बे से मालूम हुआ है कि मैं बड़ा आदमी नहीं, इसलिए कि मैं गुसलखाने में नहीं सोच सकता.

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