बॉलीवुड अभिनेता और फिल्म मेकर सतीश कौशिक (Satish Kaushik) नहीं रहे. वे 41 साल पहले मुंबई आए थे. सतीश कौशिक के लिए 10 अगस्त की तारीख काफी खास है, क्योंकि इसी दिन बॉलीवुड में पैर जमाने के लिए उन्होंने पहली बार मुंबई में कदम रखा था. उन्होंने ट्विटर पर पहले एक पोस्ट में यह सब साझा किया है.
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था कि,
"मैं पश्चिम एक्सप्रेस से 9 अगस्त 1979 में एक्टर बनने के लिए मुंबई आया था. 10 अगस्त को मेरी पहली सुबह मुंबई में ही थी. मुंबई ने मुझे खुश रहने के लिए काम, दोस्त, पत्नी, बच्चे, घर, प्यार, सुकून, संघर्ष, सफलता, विफलता और साहस दिया. सुप्रभात मुंबई और उन सभी का शुक्रिया जिन्होंने मुझे वो सब दिया जो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था."
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में सतीश कौशिक ने उन पलों को साझा किया था, जब 1981 में वे पहली बार कैमरे के सामने आए. उन्होंने बताया कि, "मेरी पहली एक्टिंग प्रोजेक्ट फिल्म का नाम चकरा था, जिसमें नसीरुद्दीन सिद्दीकी और स्मिता पाटिल थीं. इसमें मेरा बहुत ही छोटा सा रोल था और मुझे बहुत पतला दिखना था. उस फिल्म में कई लोग थे. मैंने एक लोकल राउडी लड़के का किरदार निभाया. मैंने जब अपना पहला शॉट दिया, तब फिल्म के पहले एडी राजकुमार संतोषी ने मेरे पास आकर कहा 'अच्छे एक्टर हो यार'. मैंने कहा -कम से कम किसी ने ये कहा तो सही,"
सतीश कौशिक का जन्म 13 अप्रैल 1956 में हरियाणा के महेंद्रगढ़ में हुआ था. उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) और फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) से पढ़ाई की. 1981 में उन्होंने पहली फिल्म चक्र से अपनी शुरुआत की लेकिन उन्हें 1987 में आई फिल्म मिस्टर इंडिया के कैलेंडर वाले रोल से पहचान मिली.
बड़े बजट की फिल्म डायरेक्ट की, लेकिन फ्लॉप हुए
सतीश कौशिक को बॉलीवुड में बतौर डायरेक्टर सबसे बड़ा ब्रेक मिला फिल्म रूप की रानी, चोरों का राजा से. ये फिल्म प्रोड्यूस की थी बोनी कपूर ने और फिल्म में स्टार थे, अनिल कपूर-श्रीदेवी. ये फिल्म काफी महंगी थी. लेकिन करोड़ों के बजट वाली यह फिल्म फ्लॉप हो गई थी. एक टीवी शो में उन्होंने इसका जिक्र करते हुए कहा था इससे वे काफी दुखी हो गए थे. उन्हें लग रहा था कि उनका करियर जैसे खत्म हो गया.
फिल्म में कॉमेडी कर लोगों को हंसाने वाले सतीश कौशिक की असल जिंदगी में उन्हें कई बार ऐसे दुखों का सामना करना पड़ा जो उन्होंने कभी नहीं सोचा था. सतीश अपने बेटे शानू की मौत ने काफी टूट चुके थे. उनका बेटा केवल दो साल का था जब उसकी मौत हुई.
इसके बाद 57 साल की उम्र में उनके घर सरोगेसी से वंशिका नाम की लड़की का जन्म हुआ. तब उन्होंने कहा था कि, "हमारी बेटी का जन्म एक बच्चे के लिए हमारे लंबे और दर्दनाक इंतजार का अंत है".
मुझे आज भी इस बात का अफसोस है... :सतीश कौशिक
एक इंटरव्यू में सतीश ने कहा था कि, "मैं आया तो एक्टर बनने ही था, लेकिन एनएसडी और एफटीआईआई से पढ़ा लिखा एक्टर होने के बाद भी काम नहीं मिल रहा था. मैं साधारण परिवार से था. पेट पालने के लिए एक कंपनी में नौकरी की. वहां मेरा काम था दीवार पर लटके यार्न को लकड़ी से साफ करना. एक साल तक मैंने यह भी किया."
वे आगे कहते हैं कि, कलेजा फट पड़ता था यह सोचकर कि दिल्ली से यहां मैं करने क्या आया था और कर क्या कर रहा हूं. फिर असिस्टेंट डायरेक्शन किया और तीन प्रोजेक्ट बाद डायरेक्शन का ऑफर मिला. नियति का खेल ही ऐसा है. हम मांगते कुछ और हैं, मिलता कुछ और है, लेकिन मेरा मानना है कि जो भी करो पूरी ताकत झोंक दो."
उन्होंने कहा कि, "फिल्म ब्रिक के बाद काम तो मुझे बहुत मिला, लेकिन जिस रिसेप्शन की उम्मीद मुझे थी, मैं मानता हूं कि मुझे नहीं मिला. मुझे आज भी इस बात का अफसोस है. तब मीडिया इस तरह काम नहीं करता था जैसा आज कर रहा है. शायद इसी वजह से यह फिल्म ज्यादा लोगों ने देखी भी नहीं. उन्हें पता ही नहीं चला कि सतीश कौशिक यह भी है."
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