अजय देवगन और सैफ अली खान की अपकमिंग फिल्म 'तानाजी: द अनसंग वॉरियर' का ट्रेलर रिलीज हो गया है. ट्रेलर में अजय देवगन कभी आसमान में उड़ते नजर आ रहे हैं, तो कभी तलावारबाजी करते दिख रहे हैं. अजय तानाजी के किरदार में हैं, तो वहीं सैफ उदयवान के किरदार में हैं, दोनों के बीच मुकाबला होता है. ट्रेलर में मुगलों के खिलाफ मराठाओं का सर्जिकल स्ट्राइक दिखाया गया है.
यहां देखें ट्रेलर
लंबी चौड़ी सेना लेकर उदयवान मराठाओं से जंग लड़ता है, जहां एक तरफ मराठा अपने राज्य के लिए जान देने के लिए तैयार हैं, तो वहीं उदयवान किसी की भी जान ले सकता है.
ट्रेलर में काजोल की भी झलक दिखती है, काजोल फिल्म में तानाजी की पत्नी के किरदार में हैं. वहीं सैफ अली खान का किरदार काफी आक्रामक नजर आ रहा है. रिलीज होते ही ट्रेलर सोशल मीडिया पर छा गया. 15 मिनट में 4 लाख से ज्यादा लोगों ने ट्रेलर देख लिया.
ये फिल्म अगले साल 10 जनवरी को रिलीज होगी. ओम राउत के निर्देशन में बनीं इस फिल्म में अजय देवगन सूबेदार तानाजी मालुसरे की भूमिका में नजर आएंगे. साथ ही सैफ और काजोल भी अहम भूमिका में हैं. काजोल और अजय 9 साल बाद बड़े पर्दे पर साथ नजर आएंगे. दोनों आखिरी बार 'टूनपुर का सुपर हीरो' में दिखे थे. फिल्म में शरद केलकर और पंकज त्रिपाठी भी हैं.
ये फिल्म तानाजी मालुसरे पर आधारित है, जो छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना के लीडर थे. उन्हें 1670 में सिंहगढ़ की लड़ाई के लिए जाना जाता है, जहां वो जय सिंह के खिलाफ लड़े थे.
कौन थे तानाजी?
छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में तो सभी जानते हैं. लेकिन उनके साथ युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाले तानाजी के बारे में कम लोगों को ही पता है. इतिहासकारों के अनुसार मराठा योद्धा तानाजी मालसुरे शिवाजी के सेनापति और काफी अच्छे मित्र थे. युद्ध कौशल और वीरता के लिए मशहूर तानाजी को शिवाजी 'सिंह' के नाम से बुलाते थे.
तानाजी के नाम पर है सिंहगढ़
शिवाजी के प्रति वह इतने समर्पित थे कि अपने बेटे की शादी छोड़कर कोढ़ाणा किले (कोण्डाणा दुर्ग) की लड़ाई में शिवाजी के लिए कूद पड़े थे. इतिहास में दर्ज घटनाओं के अनुसार महाराष्ट्र के इतिहास में तानाजी सिंहगढ़ के युद्ध में मुगल सेना को हराने के लिए प्रसिद्ध हैं. इसी युद्ध को जीतने में 1670 में उन्होंने वीरगति पाई और हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में समा गए.
शिवाजी को जब इस बात की खबर मिली कि तानाजी शहीद हो गए, तब उन्होंने कहा था-''गढ़ आला पण सिंह गेला'' इसका मतलब है गढ़ तो हाथ में आया परन्तु मेरा सिंह (तानाजी) चला गया. छत्रपति ने अपने सिंह के नाम पर कोढ़ाला किले का नाम सिंहगढ़ रखा था.
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