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Mahabharat 21 April Episode: चौसर खेलने का न्यौता स्वीकार किया

इस घिनौने कृत्य के परिणाम के स्वरूप में होने वाले भयंकर विध्वंस को रोकने का आग्रह किया.

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महाभारत धारावाहिक में अब तक के एपिसोड में आपने देखा, द्यूत सभा में दुर्योधन ने पांचाली को नग्न करने का प्रयास किया. जिसके बाद श्री कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई, जिसके बाद सभा समाप्त होने के बाद विदुर महारानी गांधारी के कक्ष में जाते हैं और उनसे इस घिनौने कृत्य के परिणाम के स्वरूप में होने वाले भयंकर विध्वंस को रोकने का आग्रह किया.

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द्रौपदी के साथ भरी सभा में हुए वस्त्र हरण के दृश्य को याद करते हुए गुरु द्रोण और गंगापुत्र भीष्म बात कर रहे हैं. इस दौरान पितामाह ने गुरु द्रोण से कहा कि आज हमने जो अपनी आंखों से देखा है. उसका बदला हमें अपना लहु देकर चुकाना पड़ेगा. भीषण विध्वंस होगा औऱ हम सब उसके साक्षी बनेंगे.

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अर्जुन मे दुर्योधन का शव मांगा

अर्जुन इंद्रप्रस्थ लौटने से पहले पितामाह भीष्म से भेंट करने पहुंचा. इस दौरान अर्जुन ने पितामाह भीष्म से कहा कि हमारे अंदर धधकती ज्वाला तब तक शांत नहीं होगी. जब तक हमें दुर्योधन, दुशासन, कर्ण और गांधार नरेश शकुनि के शव नहीं मिल जाते हैं. इस पर पितामाह ने यदि ऐसा होगा तो तुम्हें और भी कई शव उठाने पड़ेंगे पुत्र.

युधिष्ठिर ने फिर दुर्योधन का चौसर खेलने का न्यौता स्वीकार किया

दुर्योधन ने एक बार फिर अपनी बातों में फंसा कर धृतराष्ट्र को मना लिया है कि वो पांडवों को फिर से चौसर खेलने के लिए बोले, जिसके बाद युधिष्ठिर फिर द्यूत सभा में उसकी आज्ञा का पालन करने पहुंच गया है.

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द्यूत क्रीड़ा भवन में एक बार फिर चौसर का खेल शुरू हुआ है. इससे पहले पांचाली ने युधिष्ठिर से वचन लिया है कि वो अब ना ही पांचाली को और ना ही अपने भाईयों को दांव पर लगायेंगे. जिसके बाद युधिष्ठिर ने द्रौपदी की बात ये स्वीकार कर ली है.

12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञात वास की शर्त रखी

चौसर की आखिरी बार महफिल लगी है. जिसे खेलने की शर्त में धृतराष्ट्र ने युधिष्ठिर से कहा कि अगर तुम हारे तो 12वर्ष के वनवास और 1वर्ष के अज्ञात वास मिलेगा. यही अगर दुर्योधन हारा तो उसको भी यही मिलेगा.

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