रामायण धारावाहिक में अब तक के एपिसोड में आपने देखा, दुर्योधन ने हस्तिनापुर में पांडवों के साथ छल कपट कर चौसर में उनका राजपाठ से लेकर उनकी अर्धांगिनी पांचाली को भी जीत लिया है. उसके बाद दुर्योधन, पांडवों से कहता है कि अब तुम सब मेरे दास हो और वो पांचाली भी मेरी दास बन गई है.
इसके बाद वो अपने एक दास को आदेश देता है कि जाओ और पांचाली को इस द्वित सभी में लेकर आओ, जिसके बाद दास अहंकारी दुर्योधन का संदेशा लेकर पांचाली के पास जाता है, और बताता है महाराज युधिष्ठिर द्यूत सभा में अपना राजपाठ सहित चारों भाईयों को भी हार गए हैं. जिसे सुनकर पांचाली के होश उड़ जाते हैं और वो सभा में जाने से इनकार कर देती है.
द्रौपदी को याद आए भगवान श्रीकृष्ण
इस बात से नाराज दुर्योधन अपने छोटे भाई दुशासन से कहता है कि उस घमंडी पांचाली को लेकर सभा में आओ, यदि वो आने में आनाकानी करे तो उसके केश पकड़ कर उसके सभा में घसीटते हुए लेकर आना. जिसके बाद दुशासन पांचाली के केश पकड़ कर सभा में लेकर आता है पांचाली वहां बैठे पितामाह भीष्म से रो रो कर उसकी लाज बचाने को कहती है लेकिन कोई उसकी बात नहीं सुनता. जिसके बाद दुशासन उससे नग्न करने का प्रयास करता है. तब द्रौपदी को भगवान श्री कृष्ण याद आते हैं वो श्री कृष्ण को लाज बचाने के लिए पुकारती है और भगवान उसकी विनती सुनकर लाज रखते हैं.
द्रौपदी ने लिया श्रॉप देने का ऐलान
पांचाली सभा में बैठे सभी लोगों को श्रॉप देने का फैसला करती है. पांचाली को श्रॉप देने से गांधारी रोक लेती है और घबराकर धृतराष्ट्र पांचाली से वरदान मांगने को कहते हैं, जिसके बाद पांचाली पांडु पुत्रों को दुर्योधन के दासबंधन से मुक्त करवा देती है. इसके बाद धृतराष्ट्र द्यूत क्रीड़ा में हारा हुआ पांडवों का इंद्रप्रस्थ भी उन्हें लौटा देते हैं.
इससे पहले दुर्योधन, शकुनि के साथ मिलकर षड्यंत्र करता है कि इंद्रप्रस्थ में हुए उसके अपमान का बदला वो पांचाली से अवश्य लेगा. इसी के तहत वो द्यूत सभा में युधिष्ठिर और उसके भाइयों से सबकुछ जीत कर उनका अपमान करने की सारी हदें पार करता हुआ देखा गया.
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