महाभारत धारावाहिक में अब तक के एपिसोड में आपने देखा, दुर्य़ोधन की रक्षा करने उतरे पितामह भीष्म ने अर्जुन को रोकने के लिए अपने धनुष में बाण चढ़ा लिया है. इस दौरान अर्जुन दुर्योधन का पीछा कर रहा है. मत्स्य देश पर हमला करने के लिए दुर्योधन की सेना पहुंच गई है.
दुर्योधन ने अर्जुन को पहचाना
दुर्योधन ने अर्जुन के धनुष की प्रतियंचा सुनकर उसे पहचान लिया है. इस दौरान दुर्योधन ने पितामह भीष्म से कहा कि मैंने पांडवों का अज्ञाज वास भंग कर दिया है. पितामह भीष्म ने दुर्योधन से युद्ध ना करने का परामर्श दिया. किंतु दुर्योधन ने उसे ठुकराते हुए कहा कि आप युद्ध करेंगे या नहीं, जिसके बाद पितामह ने कहा कि महाराज ने मुझे तुम्हारे साथ युद्ध करने की आज्ञा देकर भेजा है तो युद्ध तो मुझे करना ही है चाहे सामने मेरा पुत्र अर्जुन ही क्यों ना हो.
कर्ण और अर्जुन का हुआ आमना सामना
अर्जुन और कर्ण के बीच भीषण युद्ध चल रहा है. इस दौरान अर्जुन ने कर्ण कौ मैदान छोड़कर भागने पर विवश कर दिया है. मत्स्य देश पर हमला करने आए हस्तिनापुर के एक से एक सूरमा और योद्धाओं को अर्जुन ने अपने बाणों से धराशाई कर दिया है. हालांकि अर्जुन ने किसी को भी मौत के घाट नहीं उतारा. किंतु उसने अपने गुरु द्रोण, अश्वथामा, कर्ण, दुर्योधन, कृपा चार्य और पितामह भीष्म को अकेले ही परास्त कर दिया है. इस दौरान कर्ण को अर्जुन ने दो बार मैदान छोड़ कर भागने पर विवश कर दिया.
परास्त कर मत्स्य देश लौटा अर्जुन
मत्स्य देश के युवराज के साथ हस्तिनापुर के महावीरों को हराकर अर्जुन एक बार फिर मत्स्य देश लौट गया है. अर्जुन ने युवराज से कहा कि आप अब रथ में बैठ जाइये और मैं सारथी बनकर जाउंगा. मत्स्य देश के राजा को अपने पुत्र की बहुत चिंता हो रही थी. इतने में एक दासी ने आकर बताया कि युवराज ने हस्तिनापुर की सेना को हरा दिया है.
इस बात का राजा को यकीन नहीं हो रहा है. वो अपने पुत्र की विजय पर फूले नहीं समा रहे हैं. मत्स्य देश के राजा ने अपने पुत्र का हस्तिनापुर की सेना को हराने के बाद जोरदार स्वागत किया है. लेकिन वो इस बात से अज्ञात हैं कि अर्जुन ने हस्तिनापुर की सेना को भगाया है.
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