कंस अपने मित्र बाणासुर को बताता है कि किस तरह एक बालक ने हमें चकरा रखा है. तब मित्र बाणासुर समझाता है कि सामने जो यशोदा का पुत्र कृष्ण है पहले उससे निपट लो. जब अष्टम संतान सामने आएगी तो उससे भी निपट लेंगे. मैं अपने मित्र के लिए एक शक्तिशाली अस्त्र लाया हूं और ये अस्त्र अमोघ है.
कंस कहता है कहां है वह अस्त्र? तब बाणासुर कहता है आओ दिखाता हूं. वह कंस को महल की गैलरी में ले जाता है और आवाज लगाता है तृणावर्त. तभी भूमि से चक्रवात के रूप में एक विशालकाय राक्षस प्रकट होता है और कहता है क्या आज्ञा है स्वामी.
तब बाणासुर कहता है कि तृणावर्त तनिक हमारे मित्र को भी दिखाओ कि तुम क्या कर सकते हो. राक्षस कहता है जो आज्ञा स्वामी. तभी राक्षस थोड़ा दूर जाकर भयंकर चक्रवात खड़ा कर देता है जिसके चलते मकान के मकान उड़ने लगते हैं. यह देखकर कंस दंग रह जाता है. फिर वह राक्षस अपना प्रदर्शन दिखाने के बाद कहता है महाराज क्या आज्ञा है? बाणासुर कहता है तृणावर्त आप गोकुल में जाकर हमारे मित्र का कार्य पूर्ण करते आओ. राक्षस कहता है जो आज्ञा महाराज और वह हंसता हुआ चला जाता है.
उधर गोकुल में लल्ला आंगन में पालने में झुलते रहते हैं. तभी गोकुल में चक्रवात तूफान की शुरुआत हो जाती है. गांव चौपाल पर बैठे-खड़े लोग भागने लगते हैं. सारे गांव में हाहाकार मच जाती है. चक्रवात तूफान रूप में राक्षस लल्ला के आंगन में भी पहुंच जाता है. यशोदा मैया अपने लल्ला को बचाने के लिए आंगन में दौड़ती है. तभी वह राक्षस तृणावर्त वहीं पर चक्रवात पैदा करने लगता है.
रोहिणी भी भीतर से निकल कर यशोदा की ओर दौड़ती है लेकिन वह यशोदा मैया तक नहीं पहुंच पाती है. तभी राक्षस अपनी माया से लल्ला को माता यशोदा के हाथ से ऊपर खींच लेता है और वह बालरूप श्रीकृष्ण को ऊपर उड़ता हुआ ले जाता है. नंदबाबा बड़ी मुश्किल से यशोदा मैया को संभालते हैं. रोहिणी, यशोदा और नंदबाबा उस चक्रवात तूफान के पीछे पीछे भागते हैं, लेकिन वह दूर आसमान में निकल जाता है.
राक्षस तृणावर्त की गोद में बालकृष्ण मुस्कुराते रहते हैं. वह राक्षस लल्ला को गोगुल के आकाश में बहुत ऊपर ले जाता है तभी लल्ला उस राक्षस का कंठ पकड़ लेते हैं. वह राक्षस चीखने लगता है और फिर धीरे-धीरे वह गायब हो जाता है.
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