श्री कृष्णा धारावाहिक के पिछले एपिसोड में आपने देखा, कंस से मिलने के बाद नंदरायजी वसुदेवजी से मिलने चले जाते हैं. जब कंस को यह पता चल जाता है कि यशोदानंदन ही विष्णु है तो वह चाणूर से कहता है कि हमें उसकी हत्या करने के लिए बकासुर की बहन पूतना को भेजना चाहिए. महर्षि दुर्वासा की कृपा से वह बहुतसी मायावी विद्या जानती है.
कंस कहता है कि अभी नंदरायजी मथुरा में ही वसुदेवी के यहां है. हम चाहते हैं कि उनके रात्रि में घर पहुंचने से पहले ही पूतना अपना काम कर लें. तभी पूतना आकाशमार्ग से आकार कंस के पास उपस्थित हो जाती है. कंस कहता है कि आप गोकुल आओ और नंदराय के बालक की हत्या कर दो.
तब पूतना कहती है एक नन्हें से बालक की हत्या, क्या बस इतनासा ही काम है भैया? कंस कहता है कि वह नन्हा सा बालक नहीं है स्वयं विष्णु है. जाओ, उसका वध कर दो तब पूतना कहती है कि मेरे स्तनों का दूध पीते ही वह मर जाएगा. यह कहकर पूतना आज्ञा लेकर वहां से चली जाती है.
वहां जाकर वह एक देवी का वेश धरकर कक्ष में पहुंचकर पालने में सोए बालक को निहारने लग जाती है. यशोदा और रोहिणी उसे देखकर ठीठक जाती है. माता यशोदा पूछती है देवी आप कौन हैं? कहां से पधारी हैं? तब देवी बनी पूतना कहती हैं कि आपके लल्ला के दर्शन करना है. यह सुन और देखकर पालने में लेटे बालकृष्ण मुस्कुराने लगते हैं.
पूतना अपने आप को मथुरा की रहने वाली बताती है और कहती है मेरे पति एक विद्वान ब्राह्मण है. उन्होंने दिव्य दृष्टि से देखकर मुझे बताया कि नंदराय के यहां एक महान आत्मा ने जन्म लिया है. जिसका दर्शन बड़ा ही मंगलकारी है. इसीलिए मैं यहां चली आई हूं, यह सुनकर रोहिणी कहती है स्वागत है.
पूतना लल्ला के सिर से पैर तक शरीर पर हाथ फेरते हुए मंत्र पढ़ने लग जाती है. बालकृष्ण मुस्कुराते हुए पूतना को देखते हैं. फिर पूतना कहती है कि तुम्हारा ये बालक तो देवलोक से आया जान पड़ता है.
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