श्री कृष्णा धारावाहिक के पिछले एपिसोड में आपने देखा, पूतना लल्ला के सिर से पैर तक शरीर पर हाथ फेरते हुए मंत्र पढ़ने लग जाती है. बालकृष्ण मुस्कुराते हुए पूतना को देखते हैं. फिर पूतना कहती है कि तुम्हारा ये बालक तो देवलोक से आया जान पड़ता है.
जब कंस को यह पता चलता है कि पूतना का वध हो गया तो वह अपने सभी मंत्रिगणों के साथ चर्चा करता है. चाणूर कहता है कि यह वही बालक है जिसकी हमें खोज है. क्योंकि यह बात पूतना की मृत्यु से सिद्ध हो चुकी है. जो उस हलाहल विष को पीकर भी जीवित रहा वह कोई साधारण बालक नहीं हो सकता.
फिर कंस एक और मायावी राक्षस को भेजने के लिए चाणूर से कहता है कि वह मायावी को मेरे सामने उपस्थित करे. कंस कहता है चाणूर तुम जानते हो हमें जिसका नाश करना है वह कोई साधारण बालक नहीं है, ये ब्राह्मण वहां जाकर क्या करेगा? उसके लिए किसी शक्तिशाली दैत्य को भेजो इस बिचारे ब्राह्मण से क्या होगा.
तब श्रीधर नाम का वह पुरोहित कहता है कि ब्राह्मण बिचारा नहीं होता. मैं मंत्र, तंत्र आदि विद्या में पारंगत हूं. मैं शुक्राचार्य का मानसिक शिष्य हूं. महाबली चाणूर हमारी शक्ति को जानते हैं. फिर कंस कहता हैं कि जो कोई ये कार्य करेगा उसे हम मुंह मांगा पारितोषिक देंगे. यदि तुम यह कार्य कर सकते हो तो जाओ.
उधर, यशोदा मैया माता रोहिणी को यह बोलकर कहीं चली जाती है कि दीदी जरा लल्ला का ध्यान रखना, मैं अभी आई. तभी कंस का वह पूरोहित गरीब फटेहाल ब्राह्मण बनकर नंद के द्वार पर भिक्षा मांगने लगता है.
यशोदा मैया उस ब्राह्मण के लिए रसोई घर में भोजन बनाने के लिए चली जाती है. फिर वह पुरोहित पालने में लेटे बालकृष्ण को देखकर ओम नम: शिवाय का जाप करने लगा है. बालकृष्ण उसे देखकर मुस्कुराते हैं. फिर वह पुरोहित मन ही मन अपनी तांत्रिक शक्तियों को जगाना प्रारंभ कर देता है.
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