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Shri Krishna 17 May Episode: गर्ग मुनि दोनो का नामकरण करते 

तब गुप्तचर बताता हैं कि गर्ग मुनि एक गोशाला के पास एक कुटिया में ही रहे थे और वे वहीं से मथुरा लौटे.

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श्री कृष्णा धारावाहिक के पिछले एपिसोड में आपने देखा, गर्ग मुनि नामकरण संस्कार करते हैं. एक का नाम बलराम और दूसरे का कृष्ण रखते है. इधर, कंस कहता है क्या कहा कृष्ण? तो कृष्ण नाम रखा है उसका. तब कंस पूछता है कि नामकरण संस्कार किसने किया? गुप्तचर कहता है कि ये कोई नहीं जानता. यह सुनकर कंस भड़क जाता है और कहता है उसका पता लगाना ही गुप्तचर का काम होता है.

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तब गुप्तचर बताता हैं कि गर्ग मुनि एक गोशाला के पास एक कुटिया में ही रहे थे और वे वहीं से मथुरा लौटे. यह सब सुनकर कंस भयभीत रह जाता है. तब एक दरबारी कहता है कि हमें यह सिद्ध करने की जरूरत ही नहीं कि यह बालक किसका पुत्र है. बालक हमारा शत्रु है इसीने पूतना, कागासुर और उत्कच जैसे मायावी और महाबलियों को मार दिया है. हमें इस बात की चर्चा करना चाहिए कि उसका सामना किस शक्ति के द्वारा किया जाए.

तब कंस कहता है कि अंतर हैं. यदि यह साधारण मायवी शक्ति है तो निश्चित ही विष्णु ने हमें भरमारे के लिए इसे हमारा श‍त्रु बना दिया ताकि हम इसे ही विष्णु समझकर इस पर ही आक्रमण करते रहें और वह हमारे साथियों का और हमारी शक्तियों का नाश करता रहे और जो असली शत्रु है वो कहीं आराम से पलता रहे.

लेकिन यदि ये देवकी और वासुदेव का पुत्र है तो फिर यह वही है जिसकी चेतावनी हमें आकाशवाणी ने दी थी. जिसकी प्रतीक्षा लोग तारणहर के रूप में कर रहे हैं और जो कंस को मारने के लिए पैदा हुआ है. इसलिए यह जानना अति आवश्यक है कि देवकी की आठवीं सन्तान एक लड़की थीं या लड़का और, यदि वह लड़का था तो वह कौन है?

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चाणूर कहता है कि इसका पता लगाने के लिए एक उपाय है. कंस कहता है कि क्या? चाणूर कहता है, वसुदेव. वसुदेव सत्यवादी है वह झूठ नहीं बोलता. महाराज उससे सीधा प्राश्न करें और यदि वह उत्तर न दें तो उसे ऐसी यातनाएं दी जाए कि वह उत्तर देने पर मजबूर हो जाए. तब कंस खुश होकर कहाता है, हां ये बात विचार योग्य है चाणूर.

तब कंस के सैनिक कुमार वसुदेव के महल में पहुंच जाते हैं वहां देवकी मिलती है. देवकी कहती है कि वे इस समय किसी कार्यवश बाहर गए है. आप जाइये मैं उन्हें महाराज का संदेशा दे दूंगी. सैनिक प्रधान कहता है कि नहीं उनके आने तक हम यहीं प्रतीक्षा करेंगे.

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