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Virat Parvam Film Review:राणा दग्गुबाती का बाहुबली वाला भल्लालदेव रूप भूल जाएंगे

Virat Parvam नक्सल मुद्दे पर बनी एक हस्ताक्षर फिल्म साबित हो सकती है

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एक जुलाई को नेटफ्लिक्स(Netflix) पर दक्षिण की फिल्म विराट पर्वम (Virat Parvam) की एंट्री हुई और उसके कुछ दिनों बाद ही फिल्म के निर्देशक उडुगुल वेणु ने ट्वीट किया कि उनकी फिल्म नेटफ्लिक्स में पहले नम्बर पर ट्रेंड कर रही है.

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फिल्म विराट पर्वम किस विषय पर बनी है ?

आईएमडीबी पर अभी विराट पर्वम की रेटिंग 7.9/10 है. विराट पर्वम आपको बहुत कुछ समझाने में सफल होगी, इसे देख आप समझ सकेंगे कि देश में नक्सलवाद के जन्म लेने का क्या कारण था. विराट पर्वम की कहानी वर्ष 1990 के आसपास की है और फिल्म उस दौरान नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस की भूमिका पर भी प्रकाश डालती है. इसे देख आपको यह सन्देश जरूर मिलेगा कि बंदूक की नोक पर कभी शांति नहीं मिलती.

नेशनल फिल्म अवार्ड प्राप्त फिल्म निर्माता डी सुरेश बाबू विराट पर्वम फिल्म के भी निर्माता हैं और इस फिल्म में अभिनेता के तौर पर उनके बेटे राणा दग्गुबाती ने काम किया है. फिल्म देखने से पहले आप राणा दग्गुबाती को बाहुबली के भल्लालदेव के रूप में ही जानते होंगे पर विराट पर्वम देखने के बाद आप रवन्ना से भी परिचित हो जाएंगे.

फिल्म की शूटिंग कोरोना से प्रभावित होने के बावजूद युवा निर्देशक उडुगुल वेणु ने निर्देशक के तौर अपनी दूसरी ही फिल्म में बेहतरीन काम किया है , उनकी पहली फिल्म शिक्षा व्यवस्था के ऊपर थी और काफी चर्चा में रही थी.

निर्देशक ने विराट पर्वम में पोस्टर के जरिए भी फिल्म की कहानी कहने की कोशिश की है, एक जगह 'you were destined for me perhaps as a punishment' ( तुम मेरे लिए किस्मत में थे शायद सजा के तौर पर ) पोस्टर पर कैमरा जा टिकता है.

विराट पर्वम फिल्म रिव्यू

फिल्म अपने शुरुआती दृश्य से दर्शकों को खुद से जोड़ देती है. प्रेम की वजह से बंदूक का गिरना जैसे दृश्य सुंदर बन पड़े हैं. विराट पर्वम में साई पल्लवी का निभाया वेनिला ही मुख्य किरदार है. साई पल्लवी भी मधुबाला, नरगिस, मीना कुमारी की तरह सुंदरता की धनी हैं और फिल्मों में बिना मेकअप के ही दिखती हैं. इस तरह उनका खुद पर विश्वास ही उन्हें इतनी सफल अभिनेत्री बनाता है. साई पल्लवी साल 2019 में एक फेयरनेस क्रीम की तरफ से मिले दो करोड़ के विज्ञापन को ठुकरा चुकी हैं और एक नृत्यांगना के तौर पर उन्हें भारत की नई सनसनी कहा जा रहा है.

फिल्म में कई दृश्यों में वो दर्शकों का ध्यान बस खुद पर रखवाने में सफल रही हैं. छोटे मगर महत्वपूर्ण किरदार में दिखी नंदिता दास ने भी अपने अभिनय से प्रभावित किया है. फिल्म में साई पल्लवी और उनके पिता बने साई चंद के जरिए यह दिखाया गया है कि एक पुत्री के जीवन में उसके पिता की क्या अहमियत होती है. अपने पिता के द्वारा दी गई शिक्षा की वजह से ही साई पल्लवी घर से बाहर निकलती है.

फिल्म के जरिए भारत में लड़कियों पर शादी को लेकर बनाए जाते दबाव को भी दिखाने की कोशिश करी गई है.आजकल जब युवाओं, बच्चों ने किताबों से दूरी बना मोबाइल से दोस्ती गांठ ली है, तब फिल्म में नदी किनारे एक बड़े ही सुंदर दृश्य में लड़कियां साइकिल पकड़े किताबों के बारे में बात करती हैं. वह कविताओं से किसी के भी जीवन में प्रभाव पर बात करती हैं, ऐसे दृश्य हर फिल्म में जरूरी हैं ताकी लोग किताबों की तरफ वापस लौटें.

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विराट पर्वम की लोकेशन जैसे झरने, कुएं, इमारतें और उस पर लाजवाब छायांकन, विराट पर्व को दर्शकों के लिए एक शानदार अनुभव बना देता है. इसकी शूटिंग तेलंगाना और केरल में पूरी हुई है. फिल्म के संपादन और पटकथा पर कमाल का काम किया गया है. शुरुआत में कन्या वेनिला शीशे में खुद को निहारती है और अगले ही दृश्य में दर्शक शीशे में खुद को निहारती युवा वेनिला को देखते हैं. फिल्म के अंत में फूलों के गिरने की टाइमिंग भी एकदम सही है.

सुरेश बोबली ने फिल्म में बेहतरीन संगीत दिया है और आप इसे कहानी के हिसाब से ही कभी तेज तो कभी सन्न कर देने वाला महसूस करेंगे. साई पल्लवी और राणा दग्गुबाती के बीच आमने सामने हुई पहली मुलाकात में प्रेम को लेकर हुआ संवाद सुनने लायक हैं.

भारत में फिल्मों पर बात की जाए तो आधी से ज्यादा जनसंख्या सिर्फ बॉलीवुड पर ही बात करती है, लेकिन क्षेत्रीय सिनेमा भी जबरदस्त फिल्में दे रहा है. हमारी संस्कृति हमारे देश के मौसम की तरह ही अलग-अलग प्रकार की है ,तभी तो भारतीय संस्कृति में विविधता को देख विदेशी भी आहें भरते हैं.

विराट पर्वम के एक दृश्य में साई पल्लवी को खेलते हुए पेट में दर्द होता है और यह उसके पीरियड्स की शुरुआत होती है, इस अवसर पर उसके घर में खुशियां मनाई जाती हैं. उत्तर भारत के कई इलाकों में भी लड़की के पीरियड्स शुरु होने पर घरों में कुछ ऐसी ही खुशियां मनाई जाती है. इस तरह इन फिल्मों से हमें एक दूसरे की संस्कृति भी समझ आती है और यह पता चलता है कि भारतीयों के बीच भले ही जमीनी दूरी है पर अपनी संस्कृति से वो जुड़े हुए हैं.

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नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म का यह फायदा हुआ है कि अब क्षेत्रीय सिनेमा जगत की बेहतरीन रचनाओं को हम सीधे अपने फोन पर देख सकते हैं. यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर तमिल, तेलुगु और मलयालम भाषा में उपलब्ध है और आप इसे अंग्रेजी उपशीर्षक के जरिए समझ सकते हैं.

विराट पर्वम अपने अंत से दर्शकों को भावुक जरूर करती है पर यह भावुकता किसी गुस्से का गुबार नहीं है. यह भावुकता एक ऐसी प्रेम कहानी के लिए है, जो शायद आपको किसी फिल्म में पहली बार देखने को मिले.

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