बॉलीवुड में तो बायोपिक की बारिश हो ही रही है, लेकिन अब ये ट्रेंड डिजिटल इंटरटेनमेंट प्लेटफॉर्म में भी देखने को मिल रहा है. सनी लियोनी की बायोपिक की सीरीज का पहला सीजन 'करनजीत कौर: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ सनी लियोनी' Zee5 पर आ चुका है. ये 10 एपिसोड की सीरीज है.
इससे पहले नेटफ्लिक्स पर भी 2016 में सनी लियोनी पर एक डॉक्यूमेंट्री आ आई थी, जिसका नाम था - 'मोस्टली सनी'.
सीरीज में दिखाया गया है कि कैसे एक सिक्ख लड़की कनाडा और यूनाइडेट स्टेट्स में रहती है और पॉर्न स्टार बनती है. इसके बाद उसके रास्ते बॉलीवुड की तरफ मुड़ जाते हैं. आदित्य दत्त की डायरेक्शन में बनी इस बायोपिक में खुद सनी लियोनी ने एक्ट किया है. सीरीज के पहले सीजन में सनी के 2003 से 2013 के सफर को दिखाया गया है. कहानी शुरू होती है जब सनी एक पत्रकार को अपनी जिंदगी के बारे में बता रही होती हैं.
क्या इससे काम बनता है? या ये सिर्फ बॉलीवुड स्टार्स की एक आम सी बायोपिक बन कर रही गई है? इसका जवाब कुछ-कुछ दोनों हैं.
सनी लियोनी होना
सनी लियोनी के बारे में ऐसा कुछ नहीं है, जो लोगों ने इससे पहले देखा न हो. पहले पॉर्न स्टार उसके बाद एंटरप्रन्योर और फिर बॉलीवुड की हिरोइन. लेकिन क्या सनी को अलग बनाता है, जो कि वो ट्रेलर में एक जगह कहती भी दिखती हैं - उनके गट्स यानी हिम्मत. सीरीज में एक ऐसी लड़की दिखाई गई है जिसको उसका करियर चुनने पर कभी माफी नहीं मिलती, लेकिन उसे ये करियर अपनाने में कोई अफसोस नहीं.
उसे अपनी जॉब से मिले पैसे काफी अच्छे लगते हैं और वो ये नहीं समझ पाती कि कैसे और क्यों कोई दूसरा उसे जज करता है.
लेकिन सनी अब बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने के लिए काफी मेहनत कर रही हैं. लेकिन भारत की ऑडियंस इसमें सहज नहीं है. SGPC ने वेब सीरीज के टाइटल में ‘कौर’ लगाने पर अपना विरोध भी दर्ज कराया है.
'करनजीत कौर' में सनी कैसे और क्यों इस रास्ते पर आई ये दिखाया गया है तो वहीं डॉक्यूमेंट्री से भी कई घटनाएं ली गई हैं. दोनों के बीच तुलना तो होगी और इनमें से एक उभर कर सामने आएगी.
'मोस्ट्ली सनी' को दिलीप मेहता ने डायरेक्ट किया था. ये डॉक्यूमेंट्री टोरंटों इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2016 में दिखाई गई थी. अनाआधिकारिक तौर पर सनी ने इससे खुद को दूर कर लिया था क्योंकि मेहता ने डॉक्यूमेंट्री से सनी का फ्रंट न्यूड सीन हटाने से इनकार कर दिया था.
सीरीज में क्या बेहतर?
'करनजीत कौर' सीरीज ऑडियंस को बांधती है क्योंकि स्टोरी काफी बेहतर है. सीरीज में सनी की जिंदगी के उस पहलू को दिखाया गया है जब वो एक पारंपरिक परिवार में रहती हैं और स्कूल में मॉडलिंग करने पर उसका काफी मजाक उड़ाया जाता है और परेशान किया जाता है. दूसरी तरफ वो पहलू भी है जब उसे पोर्नोग्राफी से स्टारडम मिलता है.
सीरीज काफी कसी हुई है, लेकिन इमोशन भी काफी डाले गए हैं. वोहरा परिवार के इर्द-गिर्द स्टोरी घूमती है. जरा इमिग्रेशन मुद्दों के बारे में सोचिए, परिवार के सदस्यों के बीच होड़, पैरेंट्स की शराब की आदत से लेकर बेटी के गैरपारंपरिक करियर को चुनने तक.
सीरीज में 'मोस्ट्ली सनी' के कई तथ्यों को मजबूती से दिखाया गया है और इस बात की भी तारीफ करनी होगी कि सनी के बायसेक्सुअल होने वाली बात को छुपाया नहीं गया है.
यहां रह गई खामियां
'मोस्ट्ली सनी' में बड़े ही ईमानदारी से व्यू पेश किए गए हैं. लेकिन इस सीरीज में ऐसा नहीं सिर्फ पब्लिक ओपिनियन बनाने के लिए हिम्मत यानी गट्स वाला डायलॉग पेश किया गया है. भारत की ऑडियंस के लिए नैरेटिव में पोजिटिव इमेज बनाने की कोशिश की गई है.
सीरीज में ये भी बार-बार दिखाने की कोशिश की गई है कि जब परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं होती तब ही वो पैसों के लिए काम करती है. सीरीज के आखिर में वो टीवी पत्रकार से कहती है कि उसने पैसों पर अपना करियर शुरू किया था जोकि माफी के काबिल नहीं. उसने दर्द के साथ सनी लियोनी ब्रांड बनाया और ये उसकी मर्जी थी.
आखिर में बस इतना कहना है कि 'करनजीत कौर: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ सनी लियानी' आप एक बार देख सकते हैं.
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