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‘मिर्जापुर 2’ रिव्यू: इस सीजन के हीरो भी ‘कालीन भईया’ ही हैं

लड़ाई, मारधाड़, बेवफाई, खून-खराबा और हम पहुंच जाते बदले और हिंसा वाली ‘मिर्जापुर’ की दुनिया में.

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Mirzapur Season 2

‘मिर्जापुर 2’ रिव्यू: इस सीजन के हीरो भी कालीन भैईया ही हैं

अमेजन प्राइम की वेब सीरीज मिर्जापुर का दूसरा सीजन आखिरकार रिलीज हो चुका है. इसका कई दिनों से इंतजार हो रहा था. बता दें पहला सीजन बड़े सवाल पर खत्म हुआ था कि ‘मिर्जापुर की गद्दी पर कौन बैठेगा?’. इसका जवाब दूसरा सीजन ढूंढता रहता है. ‘कालीन भईया’ की विरासत को ये सीजन आगे बढ़ाता है.

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तो थोड़ी शिकायत की जा सकती है कि यह कैसी दुनिया है. ऐसी दुनिया, जहां लोग अपने दुश्मनों को करीब, और बेवफा लोगों को और करीब रखते हैं. लड़ाई, मारधाड़, बेवफाई, खून-खराबे को देखते-देखते हम पहुंच जाते हैं, बदले और हिंसा वाली ‘मिर्जापुर’ की दुनिया में.

‘मिर्जापुर 1’ की सबसे शानदार बात कालीन भैया थे, और इस सीजन में भी कुछ बदला नहीं है. बल्कि, पंकज त्रिपाठी इस सीजन में और शानदार लगते हैं. अपनी एक्टिंग से उन्होंने किरदार में जो जान डाली है, वो केवल पंकज त्रिपाठी ही कर सकते थे. जहां अखंडानंद (पंकज त्रिपाठी) बिना कुछ बोले भी मिर्जापुर को अपने इशारे पर नचा रहे हैं, वहीं मुन्ना भईया (दिव्येंदु शर्मा) अभी भी अपने पिता जी को इंप्रेस करने में लगे हैं. और ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि ‘मिर्जापुर की गद्दी’ के लिए वो सही हकदार हैं.

लड़ाई, मारधाड़, बेवफाई, खून-खराबा और हम पहुंच जाते बदले और हिंसा वाली ‘मिर्जापुर’ की दुनिया में.

गुड्डू (अली फजल), गोलू (श्वेता त्रिपाठी) और डिंपी (हर्षिता गौड़) फरार हैं. इनमें बबलू (विक्रांत मैसी) और स्वीटी (श्रिया पिलगांवकर) की मौत का बदला लेने की आग है.

‘मिर्जापुर’ की कहानी सत्ता के इर्द-गिर्द घूमती है, और जहां सत्ता होती है, वहां उसे पाने की लालसा होती है. इसलिए कहानी में हिंसा होना लाजिमी है. यहां हम इसे विस्तार से देखते हैं कि कैसे गोलियां एक शख्स को छलनी कर रही है. जिस प्लेट से उसे खाना खाना था, उसी पर गोलियों से छलनी हुआ उसका सिर पड़ा है और खून पानी की तरह बह रहा है.

अकेलेपन और दुख से गुजर रहे इन किरदारों के दर्द को सोखने के लिए, ये सीन हमें थोड़ा और वक्त देते हैं. सींस को जिस तरह से शूट किया गया है, उनमें भी सुधार देखने को मिलता है.

'मिर्जापुर' की सबसे बड़ी मजबूती उसकी परफेक्ट कास्टिंग रही है. इस सीजन में भी हर एक्टर अपने किरदार के साथ पूरा न्याय कर रहा है. कुलभूषण खरबंदा, राजेश तैलांग, प्रियांशु पेन्युली, विजय वर्मा, परितोष सांद, प्रमोद पाठक, अमित सियाल और बाकी दूसरे एक्टर्स ने अपनी एक्टिंग से जान डाल दी है.

लड़ाई, मारधाड़, बेवफाई, खून-खराबा और हम पहुंच जाते बदले और हिंसा वाली ‘मिर्जापुर’ की दुनिया में.

फीमेल एक्टर्स को भी इस बार ज्यादा स्क्रीन टाइम दिया गया है. श्वेता त्रिपाठी, रसिका दुग्गल, हर्षिता गौड़, शीबा चड्ढा, ईशा तलवार... इन सभी टैलेंडेट एक्टर्स को इस बार ज्यादा और अच्छा रोल दिया गया है.

इस सीजन का डायरेक्शन गुरमीत सिंह और मिहिर देसाई ने किया है. विनीत कृष्णा और पुनीत कृष्णा ने इसे लिखा है.

लेकिन सीरीज में सब कुछ भी अच्छा नहीं है. कुछ एपिसोड्स काफी लंबे हैं. खून-खराबा ज्यादा ग्राफिक है. अटेंशन के लिए किरदार भूखे दिखते हैं, जो फिजूल नजर आता है.

सीरीज में कई बार ऐसा भी लगता है कि गालियों का इस्तेमाल जबरदस्ती किया गया है. जिस तरह पहले सीजन को जबरदस्त लोकप्रियता हासिल हुई थी, उससे लगता है कि दूसरे सीजन में भी वही छौंक डालने की कोशिश की गई है.

इस सीजन से ये भी साफ हो गया है कि 'मिर्जापुर 3' भी जल्द आएगा. अगर आपको इसका पहला सीजन पसंद आया और इस तरह का जौनर आपको पसंद है, तो 'मिर्जापुर 2' आपको निराश नहीं करेगा.

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