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Yash Raj Films की कहानी: ₹200 लेकर मुंबई आए थे, ऐसे खड़ा किया 60,000 Cr का बैनर

Yash Chopra को पिता इंजीनियर बनाना चाहते थे लेकिन उन्हें फिल्में पसंद थीं

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पिता चाहते थे बेटा इंजीनियर बने लेकिन बेटा फिल्म मेकर बन देश और भारतीय सिनेमा को अमिताभ बच्चन के रूप में 'महानायक', तो शाहरुख खान के रूप में 'किंग ऑफ रोमांस' दे गया. जी हां नाम है यश चोपड़ा (Story of Yash Raj Films), एक ऐसी शख्सियस जिसने अपनी जिंदगी के फिल्मी सफर में लोगों को कभी एक ‘लम्हे’ खूबसूरती दिखाई तो कभी कभी ‘मोहब्बतें’ करना सिखाया. इनकी मजबूत ‘दीवार’ ने ऐसे ‘सिलसिले’ शुरू किए कि ‘कभी-कभी’, ‘चांदनी’ हुई तो कभी दर्शकों को ‘डर’ मिला. इन्होंने लोगों को बताया कि 'दिल तो पागल' है लेकिन ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ और दुनिया को बता दिया हार नहीं मानेंगे 'जब तक है जान'. साल 2012 में आज ही के दिन यानी 21 अक्तूबर को सिनेमा की दुनिया का एक जादूगर इस दुनिया को अलविदा कह गया था. यश चोपड़ा की पुण्यतिथि के मौके पर हम सबका जानना जरुरी है कि आखिर यूं ही कोई यश चोपड़ा नहीं बन जाता.

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बॉलीवुड में 'यश राज फिल्म्स' (Yash Raj Films) को सबसे बड़ा प्रोडक्शन हाउस माना जाता है. अपने करियर की शुरूआत करने वाला हर एक्टर 'यश राज फिल्म्स' के साथ काम करने के लिए बेताब रहता है. जब तक फिल्मी एक्टर्स 'यश राज फिल्म्स' के साथ एक फिल्म करके अपना नाम न जुड़वा लें, तब तक वो अपने आप को सफल नहीं मानते.

हिंदी सिनेमा में यश राज फिल्म्स को 50 से ज्यादा साल हो गए हैं. जितने बड़े डायरेक्टर और प्रोड्यूसर 'यश चोपड़ा' थे उससे भी कई गुना ज्यादा उनके बेटे आदित्य चोपड़ा एक प्रोड्यूसर के तौर पर साबित हुए हैं. इस प्रोडक्शन ने बॉलीवुड को एक से बढ़कर एक सुपरस्टार दिया है.

पिता की इच्छा थी यश बने इंजीनियर 

27 सितंबर 1932 में लाहौर में पैदा हुए यश चोपड़ा आठ भाई-बहिनों में सबसे छोटे थे. यश के पिता विलायती चोपड़ा चाहते थे कि यश फिल्मी लाइन से हटकर कुछ और करें. इससे पहले परिवार में दो लोग पहले से ही फिल्मी लाइन में जुड़े थे. साल 1951 में यश के पिता ने उनसे कहा कि बॉम्बे जाकर अपना पासपोर्ट बनवा लो, और इंग्लैंड जाकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करो. यश ने पिता की बात मानी और बॉम्बे आए, और पासपोर्ट बनाने की कवायद भी शुरु हुई. पर यश चोपड़ा को इंजीनियरिंग में कोई दिलचस्पी नहीं थी.

इस बारे में खुद यश चोपड़ा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि मैं तो एक कील भी दीवार में नहीं लगा सकता, आज भी नहीं लगा सकता हूं

पिता की इच्छा के विरुद्ध जाने का किया फैसला 

यश चोपड़ा ने पिता की इच्छा के खिलाफ जाने का मन बना लिया था. और एक दिन फैसला किया कि वह इंजीनियर नहीं बल्कि एक फिल्म मेकर बनेंगे. इसके पीछे के कारण यह थे कि एक तो यश चोपड़ा को फिल्में देखना काफी पंसद था, दूसरा बड़े भाई बीआर चोपड़ा से खासा प्रभावित थे. इसलिए उन्होंने पिता की इच्छा को दरकिनार करते हुए फिल्मी दुनिया में जाने का मन मनाया. भाई बीआर चोपड़ा ने अंग्रेजी में एमए किया था, और लाहौर की एक फिल्म मैंगजीन के एडिटर थे. बाद में बीआर चोपड़ा फिल्म बनाने की लाइन में आ गए, इसके बाद यश ने भी बड़े भाई की तरह फिल्म लाइन से जुड़ने का मन बना लिया.

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जब चोपड़ा ब्रदर्स की हुई फिल्मों में एंट्री

बड़े भाई बीआर चोपड़ा 1947 में हेराल्ड में काम करने के दौरान फिल्म चांदनी चौक बनाना शुरू किया, लेकिन इस दौरान लाहौर में दंगे भड़कने के बाद उन्होंने फिल्म की शूटिंग बंद कर दी. 1947 में विभाजन के बाद वह मुंबई पहुंचे. 1948 में करवट फिल्म का निर्माण किया, और फिल्म पूरी तरह फ्लाप हुई. 1951 में दिलीप कुमार के फिल्म अफसाना की और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुई.

1955 में बीआर चोपड़ा ने अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस खोला, और इसके बाद लगातार एक के बाद एक हिट फिल्में दी. यश चोपड़ा बड़े भाई के प्रोडक्शन में बतौर अस्सिटेंट काम किया करते थे. 1959 में बीआर चोपड़ा ने फिल्म धूल का फूल के लिए यश चोपड़ा को निर्देशक के रूप में स्थापित किया. इसके बाद उन्होंने यश राज को फिल्म वक्त तथा इत्तेफाक जैसी कामयाब फिल्मों में निर्देशन का मौका दिया . जिसके पश्चात यश राज चोपड़ा और भाई बीआर चोपड़ा की इंडस्ट्री में पहचान बनीं.

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ऐसे पड़ी यश राज फिल्म्स की नींव

यह दौर था 1970 का, जब यश चोपड़ा अपने भाई बी आर चोपड़ा के प्रोडक्शन हाउस में काम किया करते थे. इस दौरान उन्होंने कई फिल्में डॉयरेक्ट की थीं. डायरेक्टर बनने के बाद यश चोपड़ा बतौर प्रोड्यूसर एक फिल्म बनाना चाहते थे, और अपने भाई से अलग होकर अपना खुद का एक प्रोडक्शन हाउस खोलना चाहते थे. सन 1970 में यश चोपड़ा ने 'यश राज फिल्म्स' के साथ अपने प्रोडक्शन की नींव रखी. यह भारत का एकमात्र प्राइवेट और और पूरी तरह से एकीकृत स्टूडियो था. यश चोपड़ा के निधन के बाद अब इसकी बागडोर उनके बड़े बेटे आदित्य चोपड़ा के हाथ में है.

...लेकिन मंजिल अभी दूर थी

यश चोपड़ा महज 200 रुपये लेकर मुंबई आए थे. इन पैसों को देते हुए उनकी मां ने कहा था कि तुम भाई के साथ रहोगे, लेकिन इनकी जरूरत पड़ेगी. 1970 में अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस खोलने के बाद बंबई में तब चर्चा थी कि आखिरकार यश चोपड़ा की बतौर प्रोड्यूसर पहली फिल्म कौन सी होगी. चर्चाओं का बाजार इसलिए गर्म था क्योंकि यश चोपड़ा अपने भाई बी आर चोपड़ा से अलग हुए थे. यश राज फिल्म्स (YRF) की पहली फिल्म 1973 में आई राजेश खन्ना, शर्मिला टैगोर और राखी अभिनीत 'दाग: द पोयम ऑफ लव' थी. फिल्म बन गई लेकिन कोई खरीदने वाला नहीं मिला. तब राजेश खन्ना ने यश चोपड़ा से कहा कि जब तक फिल्म लागत नहींं निकाल लेती वो फीस नहीं लेंगे. फिल्म को मात्र 9 थिएटर में रिलीज किया गया. अगले दिन से ही फिल्म को कई स्क्रीन मिलने लगीं और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट हो गई. यह एक निर्माता के रूप में यश चोपड़ा की पहली फिल्म थी, और यशराज फिल्म्स की पहली हिट फिल्म थी, जिसके लिए यश चोपड़ा को तीसरी बार बेस्ट फिल्म डॉयरेक्टर का अवॉर्ड मिला था.

अपने करियर के इस दौरान में यश चोपड़ा ने 'चांदनी', 'सिलसिला', 'दाग', 'दीवार', 'त्रिशूल', 'कभी-कभी', 'डर', 'दिल तो पागल है', 'वीर जारा', 'जब तक है जान' समेत कई बेहतरीन फिल्में दी हैं.
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इन्हें बनाया स्टार

यश राज फिल्म्स की खासियत है कि वह हर बार नए टैलेंट को मौका देता है. यश राज बैनर बॉलीवुड में अनुष्का शर्मा, रणवीर सिंह, परिणीति चोपड़ा और अर्जुन कपूर जैसी नयी प्रतिभाएं लेकर आया.

अनुष्का शर्मा को यश राज फिल्म्स ने 2008 में फिल्म 'रब ने बना दी जोड़ी' से लॉन्च किया था, इस फिल्म में अनुष्का के ऑपोजिट सुपरस्टार शाहरुख खान थे. बड़े प्रोडक्शन हाउस और बड़े स्टार के साथ अपनी पहली ही फिल्म से अनुष्का हिट हो गई थीं. इसके बाद अनुष्का ने यश राज के साथ आगे कई फिल्मों में काम किया.

मौजूदा वक्त में बॉलीवुड के मेगास्टार रणवीर सिंह ने भी यश राज बैनर की बैंड बाजा बारात से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. इस मूवी में रणवीर के ऑपोजिट अनुष्का को कास्ट किया गया था, जो उनकी यश राज बैनर की तीसरी फिल्म थी. ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट हुई थी. इस फिल्म ने जहां अनुष्का को बॉलीवुड में और स्थापित कर दिया, वहीं रणवीर को भी बड़ा ब्रेक दिया था.

इसके बाद रणवीर ने यश राज बैनर के लिए मनीष शर्मा की लेडीज वर्सेज रिकी बहल, अली अब्बास जफर की 2004 की क्राइम ड्रामा गुंडे, शाद अली की 2014 की एक्शन-कॉमेडी किल दिल, और आदित्य चोपड़ा की 2016 की रोमांटिक कॉमेडी बेफिक्रे में काम किया.

प्रियंका चोपड़ा की बहन परिणीति को भी YRF ने लॉन्च किया था. दिलचस्प बात यह है कि परिणीति YRF में एक पीआर ऑफिसर थी. परिणीति ने 2011 में आई यश राज की फिल्म लेडीज वर्सेस रिकी बहल से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. परिणीति को बाद में मनीष की 2013 की रोमांटिक ड्रामा शुद्ध देसी रोमांस, हबीब की 2014 की फूड फिल्म दावत-ए-इश्क, किल दिल, अक्षय रॉय की 2017 की पहली फिल्म मेरी प्यारी बिंदु, और दिबाकर बनर्जी की फिल्म संदीप और पिंकी फरार जैसी कई YRF फिल्मों में देखा गया.

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अजुर्न कपूर को भी YRF ने फिल्म इश्कजादे से लॉन्च किया था. कह सकते हैं कि परिणीति चोपड़ा और अजुर्न कपूर, दोनों ही ने एक ही फिल्म से डेब्यू किया था. अर्जुन को बाद में 2013 की क्राइम ड्रामा औरंगजेब, गुंडे जैसी YRF फिल्मों में देखा गया.

एक्टर वाणी कपूर और भूमि पेडनेकर को भी यश राज फिल्म्स ने ही बॉलीवुड में लॉन्च किया है. वाणी ने YRF की फिल्म शुद्ध देसी रोमांस और भूमि ने दम लगा के हईशा से डेब्यू किया था. बाद में दोनों एक्टर्स ने यश राज की और कई फिल्मों में काम किया.

बिग बी के डूबते करियर को दिए थे पंख

'किंग ऑफ रोमांस' यश चोपड़ा और सदी के महानायक 'अमिताभ बच्चन' का स्पेशल किस्मत कनेक्शन था. अमिताभ ने साल 1975 से लेकर 1985 तक यश चोपड़ा के साथ लगातार पांच ऐसी हिट फिल्में की, जिसने कई रिकॉर्ड तोड़े. इन फिल्मों से अमिताभ बच्चन का बॉलीवुड में एक बार फिर सिक्का चलने लगा. अमिताभ को फिल्म दीवारऔरजंजीर ने एंग्री यंगमैन की पहचान दे दी.

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सन 1975 से शुरू हुआ ये सिलसिला फिल्म कभी कभी’, ‘त्रिशूल’, ‘काला पत्थर से होता हुआ सिलसिला पर आकर ही टूटा. पांच जबरदस्त हिट फिल्म देने के बाद भी यश चोपड़ा और अमिताभ बच्चन ने 20 साल तक काम नहीं किया.

1990 के बाद अमिताभ बच्चन की फिल्में पिटने लगीं. फिल्म खुदा गवाह के बाद उनके सितारे गर्दिश में थे. इसके बाद अमिताभ ने फिल्म प्रोडक्शन में भी किस्मत आजमाई, लेकिन वहां पर भी किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया, और उनके बैनर की फिल्में फ्लॉप होने लगी.

1999 आते-आते अमिताभ बच्चन का घर बिकने के कगार पर था. अमिताभ बच्चन के पास उस वक्त नौकरों को देने के लिए तनख्वाह तक नहीं बची थी. अमिताभ बच्चन के पास अब और कोई चारा नहीं था. ऐसे में वह एक दिन यशराज के पास जा पहुंचे और उन्होंने उनसे काम मांगा. यशराज उस वक्त फिल्म मोहब्बतें पर काम कर रहे थे.

इसके बाद यश चोपड़ा ने अमिताभ के साथ फिल्म मोहब्बतें बनाने का ऐलान किया. उस वक्त कास्ट तैयार थी, अमिताभ का रोल पहले बोमन इरानी को दिया गया था. लेकिन बाद में बोमन इरानी को फिल्म से हटाकर अमिताभ को लिया गया था. फिल्म बड़े पर्दे पर हिट हुई थी.

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ऐसे बनाया शाहरुख को 'किंग ऑफ रोमांस'

अगर कहें कि शाहरुख खान को बॉलीवुड का 'किंग ऑफ रोमांस' बनाने में बड़ा हाथ यश राज फिल्म्स का भी है, तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा. यश राज बैनर ने शाहरुख खान के साथ मिलकर बॉलीवुड को एक से बढ़कर एक रोमांटिक फिल्में दी हैं. यश चोपड़ा और शाहरुख की जोड़ी ऐसी जमी कि उन्होंने रोमांस की परिभाषा को ही बदल दिया.

यश चोपड़ा ने शाहरुख खान को पहला मौका फिल्म 'डर' (1993) में दिया. यश चोपड़ा के साथ शाहरुख की पहली ही फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई. फिल्म डर में अपने अभिनय से शाहरुख खान ने यश चोपड़ा के दिल में जगह बना ली.

शाहरुख खान तो कभी रोमांटिक फिल्म करना ही नहीं चाहते थे. शाहरुख को लगता था कि वे सिर्फ डार्क और विलेन वाले रोल ही कर सकते हैं. वे खुद को ज्यादा हैंडसम भी नहीं मानते थे. लेकिन तब यश चोपड़ा ने शाहरुख को कहा था, "अगर स्क्रीन लवर बॉय नहीं बने, अगर तुमने रोमांटिक फिल्में नहीं की, तो तुम्हारा करियर कहीं नहीं जाएगा." अब शाहरुख, यश चोपड़ा को बहुत मानते थे. ऐसे में सिर्फ उनके कहने के बाद अपने करियर की दिशा ही बदल डाली.

इसके बाद तो शाहरुख ने दिल वाले दुल्हनियां ले जाएंगे, दिल तो पागल है, मोहब्बतें, वीर जारा जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया. इन फिल्मों की खासियत ये रही कि ये सभी यश राज बैनर के तले बनी थीं और इनमें से कुछ को तो खुद यश चोपड़ा ने डायरेक्ट की थी.

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इन पांच फिल्मों ने की दुनियाभर में जबरदस्त कमाई

यश राज फिल्म्स ने 50 सालों में लगभग 80 फिल्में बनाई हैं. अगर यश राज फिल्म्स की टॉप पांच हिट फिल्मों की बात करें, जिन्होंने दुनियाभर में सबसे ज्यादा कमाई की है, तो वो इस कुछ इस प्रकार हैं. बॉक्स ऑफिस ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यशराज की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में सलमान खान के साथ की गई फिल्म 'सुल्तान' है, जिसने दुनियाभर में 633.33 करोड़ की कमाई की. दूसरी फिल्म 'टाइगर जिंदा है', जिसकी दुनियाभर में कमाई 569 करोड़ है. तीसरे स्थान पर 'धूम -3' है, जिसकी दुनियाभर में कमाई 400 करोड़ है. चौथे स्थान पर 'वॉर' है, जिसकी कमाई 475.50 करोड़ है, और पांचवे नंबर 'एक था टाइगर', जिसकी कमाई 320 करोड़ है.

यश राज फिल्म्स की मार्केट वैल्यू है करीब 60 हजार करोड़

नॉलेज डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबकि, यश राज फिल्म्स की कुल नेट वर्थ 6 हजार 200 करोड़ है. वहीं, कंपनी के मालिक आदित्य चोपड़ा की नेट वर्थ 440 करोड़ है. आदित्य चोपड़ा की टोटल संपत्ति में अरबों के घर और बंगले, हजारों करोड़ के इन्वेस्टमेंट, अरबों के स्टूडियो और करीब 10 से 15 करोड़ की गाड़ियां शामिल हैं.

घरों की बात की जाए तो आदित्य चोपड़ा के पास मुंबई के जुहू तारा रोड पर एक आलीशान बंगला है, जिसकी कीमत करोड़ों में है और ये बंगला मुंबई के आलीशान और लग्जरी बंगलों में से एक है. इसके अलावा आदित्य चोपड़ा के पास नवी मुंबई में भी एक आलीशान घर मौजूद है, जिसकी कीमत 10 करोड़ है.

‘यश राज फिल्म्स’ की आज मार्किट वैल्यू करीब 9 बिलियन डॉलर्स, यानी करीब 60 हजार करोड़ और इस प्रोडक्शन हाउस की सालाना आमदनी करीब 900-1000 करोड़ है.

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YRF की बागडोर है अब आदित्य चोपड़ा के हाथ में

यश के बड़े बेटे आदित्य ने 1995 में बतौर निर्देशक अपनी पहली फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे से की. ये फिल्म आदित्य के करियर का टर्निग पाइंट साबित हुई. इसके बाद आदित्य ने कई शानदार फिल्में बनाई. आदित्य चोपड़ा ने साल 2000 में पायल खन्ना से शादी की थी और दोनों ने शादी के 9 साल बाद यानी 2009 में तलाक ले लिया था. आदित्य तब एक्ट्रेस रानी मुखर्जी को डेट कर रह थे. दोनों ने साल 2014 में इटली में गुपचुप तरीके से शादी रचाई थी. यह आदित्य की दूसरी शादी थी. आदित्य चोपड़ा और रानी मुखर्जी 2015 में बेटी आदिरा के माता पिता बने. आदित्य आज भारत के सबसे बड़े फिल्म प्रोडक्शन के मालिक हैं.

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