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तमिलनाडु की पलानीसामी सरकार अब पूरी तरह सेफ या खतरा बरकरार?

18 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने का तमिलनाडु की राजनीति पर क्या होगा असर

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मद्रास हाईकोर्ट ने 18 विधायकों की सदस्यता अयोग्य बरकरार रखी है. कोर्ट के इस फैसले से टीटीवी दिनाकरण को झटका लगा है, लेकिन पलानीसामी की सरकार सुरक्षित बच गई है. कोर्ट का ये फैसला आने के बाद अब कुछ सवाल उठ रहे हैं.

मसलन, अब इन अयोग्य ठहराए गए 18 विधायकों का क्या होगा? पलानीसामी सरकार को कोई खतरा तो नहीं है? क्या तमिलनाडु की 18 सीटों पर उपचुनाव होगा? इन सवालों के जवाब तलाशने के साथ-साथ इस पूरे मामले को भी समझने की जरूरत है.

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विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों को क्यों ठहराया अयोग्य?

AIADMK के 18 बागी विधायकों को तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष पी. धनपाल ने 18 सितंबर 2017 को अयोग्य करार दिया था. विधानसभा सचिव के. भूपथी ने बयान जारी कर बताया था कि मुख्यमंत्री के. पलानीसामी के खिलाफ बगावत करने वाले 18 विधायकों पर दल-बदल विरोधी और अयोग्यता नियम-1986 के तहत कार्रवाई की गई थी.

विधानसभा अध्यक्ष के इन विधायकों को अयोग्य ठहराने के साथ ही 18 सितंबर, 2017 से उनकी सदस्यता खत्म हो गई थी. विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले को टीटीवी दिनाकरण गुट वाले बागी विधायकों ने कोर्ट में चुनौती दी थी.

दरअसल, 28 अगस्त को मुख्यमंत्री पलानीसामी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में दिनाकरण को पार्टी के उपमहासचिव पद से हटा दिया गया था. लेकिन पार्टी के 19 विधायक दिनाकरण का समर्थन कर रहे थे. लिहाजा, मुख्य सरकारी सचेतक एस. राजेंद्रन ने विधानसभा अध्यक्ष से पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते इन विधायकों को अयोग्य ठहराने की अपील की थी.

इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इन विधायकों को नोटिस जारी किए थे. इस बीच एक बागी विधायक एसटीके जक्कीयन पलानीसामी खेमे में लौट आए, लेकिन बाकी के 18 बागी विधायकों ने न तो पार्टी की सदस्यता छोड़ी, न ही किसी दूसरी पार्टी में शामिल हुए. इसी आधार पर विधायकों को अयोग्य ठहराया गया.

मद्रास हाईकोर्ट में इस मामले पर क्या हुआ?

बागी 18 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती दी. शुरुआत में मामले की सुनवाई के दौरान मद्रास हाईकोर्ट भी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका. इसी साल 14 जून को दो जजों की सदस्यता वाली पीठ ने अलग-अलग फैसला सुनाया. एक तरफ चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने विधायकों की अयोग्यता के फैसले को बरकरार रखा, दूसरी तरफ जस्टिस एम सुंदर ने अयोग्यता के फैसले को रद्द करने का फैसला लिया.

दो सदस्यीय पीठ ने अलग-अलग फैसला सुनाया था, इसलिए मामले को तीन जजों की पीठ को सौंप दिया गया. इसके बाद 27 जून को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस सत्यनारायण को मामले का तीसरा जज बनाया. अब तीसरे जज ने भी विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर मुहर लगाते हुए 18 विधायकों की अयोग्यता को बरकरार रखा है.
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तमिलनाडु विधानसभा में सीटों की स्थिति क्या है?

  • तमिलनाडु विधानसभा में कुल सीटें: 232
  • बहुमत का आंकड़ा: 170

किस पार्टी के पास कितनी सीटें?

  • AIADMK: 110
  • DMK: 88
  • कांग्रेस : 08
  • दिनाकरण के साथ विधायक: 05
  • अयोग्य विधायक: 18
  • स्पीकर: 01
  • निर्दलीय: 01
  • मुस्लिम लीग : 01
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18 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने का असर?

दिनाकरण गुट के 18 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के बाद तमिलनाडु विधानसभा में प्रभावी सदस्य संख्या 234 से घटकर 214 रह गई है. एके बोस और एम करुणानिधि के निधन के बाद से थिरुप्परनकुंद्रम और थिरुवरूर विधानसभा सीटें पहले से ही खाली चल रही हैं. ऐसे में अब राज्य की कुल 20 सीटें खाली हो गई हैं.

इन खाली हुई 20 सीटों पर चुनाव आयोग उपचुनाव भी करा सकता है. इसके अलावा अयोग्य करार दिए गए विधायकों के पास फिलहाल मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का विकल्प भी मौजूद है.

2016 चुनाव के नतीजे
साल 2016 में हुए विधानसभा चुनावों में AIADMK को 135, DMK को 88, कांग्रेस को 8 और IUML को एक सीट मिली थी.
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पलानीसामी सरकार का खतरा कब तक टला?

मद्रास हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद पलानीसामी सरकार सुरक्षित है. 18 विधायकों के अयोग्य करार दिए जाने के बाद अब विधानसभा में कुल 20 सीटें खाली हो गई हैं. इसके साथ ही तमिलनाडु में प्रभावी सदस्य संख्या 234 से घटकर 214 पर आ गई है. ऐसी स्थिति में सरकार बनाने के लिए बहुमत संख्या भी कम होकर 108 पर आ गई है.

पलानीसामी सरकार के पास 116 विधायकों का समर्थन है, ऐसे में उनकी सरकार फिलहाल सुरक्षित है.

बागी विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के बाद अब अगर चुनाव आयोग इन सीटों पर उपचुनाव कराता है, तो फिर विधानसभा की सीटों के आधार पर पलानीसामी सरकार का फैसला होगा कि वह सत्ता में बनी रहेगी या फिर अल्पमत की वजह से गिर जाएगी.

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