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झारखंड में एंटी मॉब लिंचिंग बिल की खास बातें-भड़काऊ पोस्ट डाला तो भी होगी सजा

विधानसभा में पारित हुए विधेयक में मॉब लिंचिंग के आरोपियों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान

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कुंजी
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21 दिसंबर को झारखंड की हेमंत सोरेन (Hemant Soren) सरकार ने भीड़ हिंसा को रोकने के लिए विधानसभा में में मॉब हिंसा एवं मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक (Prevention of Mob Violence and Mob Lynching Bill-2021) पारित किया.

इस बिल का उद्देश्य राज्य में संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करना और मॉब लिंचिंग को रोकना है.

झारखंड में एंटी मॉब लिंचिंग बिल की खास बातें-भड़काऊ पोस्ट डाला तो भी होगी सजा

  1. 1. क्या कहता है बिल?

    एंटी मॉब लिंचिंग विधेयक को राज्य के संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने विधानसभा में पेश किया. उन्होंने कहा कि विधेयक का उद्देश्य लोगों को सुरक्षा प्रदान करना, संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना और भीड़ की हिंसा को रोकना है.

    बिल में मॉब लिंचिंग में शामिल लोगों के खिलाफ तीन साल से लेकर उम्रकैद जेल और 25 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. बिल में मॉब लिंचिंग के शिकार हुए पीड़ित और उनके परिवार के लिए मुआवजे का भी प्रावधान किया गया है.

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  2. 2. हिंसात्मक पोस्ट शेयर करने पर क्या कार्रवाई होगी?

    अगर कोई व्यक्ति ऐसे संदेश या वीडियो शेयर करता है, जिससे मॉब लिंचिंग होने की संभावना बनती हो तो पुलिस की ये जिम्मेदारी होगी कि ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाएं.

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  3. 3. भीड़ ने घायल किया तो क्या है सजा का प्रावधान?

    अगर किसी व्यक्ति के द्वारा इस तरह के किसी अपराध को अंजाम दिया जाता है और उससे पीड़ित जख्मी होता है तो आरोपी को तीन साल की जेल और एक से तीन लाख रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान है.

    इसी तरह अगर मॉब लिंचिंग के शिकार व्यक्ति को अधिक पीड़ा पहुंचती है, तो इस स्थिति में आरोपी के खिलाफ दस साल या उम्रकैद की सजा और तीन से पांच लाख रूपए तक का जुर्माने प्रावधान है.

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  4. 4. भीड़ ने हत्या की तो क्या है सजा का प्रावधान?

    अगर मॉब लिंचिंग में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो आरोपी को उम्रकैद की सजा के साथ पांच लाख से पच्चीस लाख रूपए जुर्माने का दंड दिया जाएगा.

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  5. 5. निचली अदालतों से न्याय न मिलने पर अपील का प्रावधान

    अगर पीड़ित लोवर कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो वह उस आदेश के खिलाफ 60 दिनों के अंदर हाईकोर्ट में अपील कर सकता है. लेकिन अगर अपीलकर्ता के पास देरी होने का उचित कारण है तो साठ दिनों के बाद भी हाईकोर्ट पीड़ित के अपील को स्वीकार करेगा.

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  6. 6. बीजेपी ने किया बिल का विरोध

    झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद कहा..

    सरकार राज्य में शांति, सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारा बनाए रखने के लिए यह विधेयक लाई है. कभी-कभी कुछ असामाजिक तत्व अपनी हरकतों से बाज नहीं आते और आम नागरिकों को काफी तकलीफें देने का काम करते हैं. इसीलिए राज्य के अंदर भाईचारे का वातावरण बनाने के लिए सरकार ने ये कानून बनाया है.

    झारखंड राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी ने कहा कि इस बिल को हड़बड़ी में और एक वर्ग विशेष को खुश करने के लिए लाया गया है. बीजेपी ने बिल का विरोध करते हुए सदन का बहिष्कार किया. बीजेपी विधायकों के वॉकआउट के बीच सदन ने विधेयक को मंजूरी दे दी.

    (हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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इस तरह का विधेयक पारित करने वाला झारखंड चौथा राज्य है. इससे पहले राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मणिपुर में में एंटी मॉब लिंचिंग बिल पारित किया जा चुका है.

विधानसभा में विधेयक पारित होने बाद इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है.

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क्या कहता है बिल?

एंटी मॉब लिंचिंग विधेयक को राज्य के संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने विधानसभा में पेश किया. उन्होंने कहा कि विधेयक का उद्देश्य लोगों को सुरक्षा प्रदान करना, संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना और भीड़ की हिंसा को रोकना है.

बिल में मॉब लिंचिंग में शामिल लोगों के खिलाफ तीन साल से लेकर उम्रकैद जेल और 25 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. बिल में मॉब लिंचिंग के शिकार हुए पीड़ित और उनके परिवार के लिए मुआवजे का भी प्रावधान किया गया है.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक बिल में पीड़ितों, उनके परिवार के सदस्यों या उनकी मदद करने वाले लोगों को अगर किसी के द्वारा डराया धमकाया जाता है और शत्रुतापूर्ण व्यवहार किया जाता है तो इसके लिए भी सजा का प्रावधान किया गया है.

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हिंसात्मक पोस्ट शेयर करने पर क्या कार्रवाई होगी?

अगर कोई व्यक्ति ऐसे संदेश या वीडियो शेयर करता है, जिससे मॉब लिंचिंग होने की संभावना बनती हो तो पुलिस की ये जिम्मेदारी होगी कि ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाएं.

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भीड़ ने घायल किया तो क्या है सजा का प्रावधान?

अगर किसी व्यक्ति के द्वारा इस तरह के किसी अपराध को अंजाम दिया जाता है और उससे पीड़ित जख्मी होता है तो आरोपी को तीन साल की जेल और एक से तीन लाख रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान है.

इसी तरह अगर मॉब लिंचिंग के शिकार व्यक्ति को अधिक पीड़ा पहुंचती है, तो इस स्थिति में आरोपी के खिलाफ दस साल या उम्रकैद की सजा और तीन से पांच लाख रूपए तक का जुर्माने प्रावधान है.

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भीड़ ने हत्या की तो क्या है सजा का प्रावधान?

अगर मॉब लिंचिंग में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो आरोपी को उम्रकैद की सजा के साथ पांच लाख से पच्चीस लाख रूपए जुर्माने का दंड दिया जाएगा.

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निचली अदालतों से न्याय न मिलने पर अपील का प्रावधान

अगर पीड़ित लोवर कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो वह उस आदेश के खिलाफ 60 दिनों के अंदर हाईकोर्ट में अपील कर सकता है. लेकिन अगर अपीलकर्ता के पास देरी होने का उचित कारण है तो साठ दिनों के बाद भी हाईकोर्ट पीड़ित के अपील को स्वीकार करेगा.

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद कहा..

सरकार राज्य में शांति, सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारा बनाए रखने के लिए यह विधेयक लाई है. कभी-कभी कुछ असामाजिक तत्व अपनी हरकतों से बाज नहीं आते और आम नागरिकों को काफी तकलीफें देने का काम करते हैं. इसीलिए राज्य के अंदर भाईचारे का वातावरण बनाने के लिए सरकार ने ये कानून बनाया है.

बीजेपी ने किया बिल का विरोध

झारखंड राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी ने कहा कि इस बिल को हड़बड़ी में और एक वर्ग विशेष को खुश करने के लिए लाया गया है. बीजेपी ने बिल का विरोध करते हुए सदन का बहिष्कार किया. बीजेपी विधायकों के वॉकआउट के बीच सदन ने विधेयक को मंजूरी दे दी.

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