कर्नाटक चुनाव (Karnataka Elections 2023) में कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में बजरंग दल (Bajrang Dal) पर बैन लगाने की घोषणा की थी. कांग्रेस कर्नाटक का चुनाव जीत भी चुकी है. घोषणापत्र में तो सिर्फ घोषणा है, लेकिन इससे पहले भी कांग्रेस (Congress) साल 1992 में बजरंग दल पर बैन लगा चुकी है. यह बैन क्यों लगाया गया था? बजरंग दल की स्थापना क्यों और कैसे की गई? गैर-राजनैतिक संगठन होते हुए भी बजरंग दल की राजनीति में क्या भूमिका है? जब बजरंग दल का जिक्र आता है तो दिमाग में यह सारे सवाल भी आते हैं. तो आइए आपको इन सभी सवालों के जवाब देते हैं.
कर्नाटक चुनाव में बजरंग दल की एंट्री कैसे ?
कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में कहा, "हम मानते हैं कि संविधान पवित्र है और बजरंग दल, पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) जैसे संगठनों द्वारा इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है, चाहे बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक समुदायों के बीच दुश्मनी या नफरत को बढ़ावा देने वाले हो.” घोषणापत्र में फिर कहा गया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो ऐसे संगठनों को प्रतिबंध सहित कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.
इसके जवाब में कर्नाटक में एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "जय बजरंग बली [जय हनुमान]" का नारा लगाया, पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने पहले भगवान राम को बंद किया था और अब वह 'जय बजरंग बली' का नारा लगाने वालों को बंद करना चाहती है.
पीएम मोदी ने कहा, 'मैं हनुमान की धरती पर आया हूं... देश का दुर्भाग्य है कि कांग्रेस को भगवान राम से दिक्कत थी और अब उसे 'जय बजरंग बली' कहने वालों से दिक्कत है.'
बीजेपी ने कहा कि बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का कांग्रेस का प्रस्ताव स्वयं भगवान हनुमान का अपमान था, जबकि कांग्रेस ने पीएम मोदी से माफी मांगने की मांग करते हुए उन पर भगवान हनुमान की बजरंग दल के साथ "समानता" करके भक्तों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया. कुछ इस तरह कर्नाटक के चुनावों में बजरंग दल की एंट्री हुई और राजनैतिक अथवा सामाजिक मुद्दों को केंद्र बनाकर लड़ा जाने वाला चुनाव अब बजरंग दल और बजरंग बलि के नाम पर हो चला.
यह तो थी बात कर्नाटक के चुनावों में बजरंग दल की एंट्री की. अब बात करते हैं कि किस तरह से बजरंग दल की स्थापना हुई और यह संगठन खुद किस तरह से परिभाषित करता है?
कांग्रेस के घोषणापत्र में बजरंग दल को बैन कर देने की मांग के बाद मध्यप्रदेश के जबलपुर में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के दफ्तर में जमकर तोड़फोड़ भी की थी.
विश्व हिंदू परिषद् के जॉइंट जनरल सेक्रेटरी सुरेंद्र जैन ने इस बारे में बात करते हुए क्विंट हिंदी से कहा कि बवाल कहीं पर भी हो गलत है, इसकी जांच की जा रही है कि क्या बवाल करने वाले लोग बजरंग दल के ही थे, जांच पूरी होने के बाद ही इस बारे में कुछ साफ हो पाएगा.
क्या है बजरंग दल ?
VHP की वेबसाइट के मुताबिक बजरंग दल एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन है, जो विश्व हिंदू परिषद (VHP) का यूथ विंग है. यह दक्षिणपंथी संघ परिवार (RSS) का सदस्य है. इस संगठन की विचारधारा हिंदुत्व पर आधारित है. इसे 1अक्टूबर 1984 को उत्तर प्रदेश में स्थापित किया गया था.
बजरंग दल 2010 के दशक में पूरे भारत में फैलना शुरू हुआ, हालांकि इसका मेन बेस देश के उत्तरी और मध्य भाग में हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बजरंग दल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शाखाओं की तरह ही करीब 2,500 अखाड़े चलाता है. "बजरंग" नाम हिंदू देवता 'हनुमान' का एक संदर्भ है. बजरंग दल का नारा है सेवा, सुरक्षा, संस्कार या सेवा, सुरक्षा और संस्कृति.
"बजरंग दल ने विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के साथ मिलकर भारत में इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाई है और घोषणा की है कि वे पूरे देश में जागरूकता अभियान चलाएंगे."
विहिप के वेबसाइट के मुताबिक दैवीय आपदा पर सहायता शिविर, दुर्घटना के समय सहायता के लिए बजरंगदल त्वरित सेवा के लिए पहुंचना है. भूकम्प, बाढ़ आदि में चिकित्सा, भोजन सहायता सामाग्री पहुंचना तथा फंसे नागरिकों को सुरक्षित निकालना जैसे कार्य करना है.
कैसे हुई थी बजरंग दल की स्थापना ?
विश्व हिंदू परिषद् पर मौजूद जानकारी के मुताबिक बजरंग दल की स्थापना 8 अक्टूबर 1984 को अयोध्या में हुई थी. इसकी स्थापना इसलिए हुई क्योंकि ‘‘श्रीराम जानकी रथ यात्रा’’ अयोध्या से प्रस्थान के समय तत्कालीन सरकार ने सुरक्षा देने से मना कर दिया था. उस समय संतो के आवाहन पर विश्व हिन्दू परिषद द्वारा वहां उपस्थित युवाओं को यात्रा की सुरक्षा का दायित्व दिया गया था.
विहिप के मुताबिक बजरंग दल, "किसी के विरोध में नहीं, बल्कि हिंदुओ को चुनौती देने वाले असमाजिक तत्वों से रक्षा के लिये हुआ. उस समय केवल स्थानीय युवाओं को ही दायित्व दिया गया जो श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के कार्यो में सक्रिय रह सके. देश भर के युवा राष्ट्र और धर्म के कार्य के लिये आतुर थे माने वह प्रतीक्षा ही कर रहे थे, जैसे ही अवसर आया सम्पूर्ण देश की राष्ट्रभक्ति तरूणाई बजरंगदल के रूप में प्रकट हो गयी." और कुछ इस तरह बजरंग दल की स्थापना की गई.
राम जन्मभूमि आंदोलन और बजरंग दल
विश्व हिंदू परिषद् की वेबसाइट के मुताबिक श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन के विभिन्न चरणों की घोषणा होती रही और बजरंगदल उस अभियान को सफलता पूर्वक करता गया. रामशिला पूजन, चरण पादुका पूजन, राम ज्योति यात्रा, कारसेवा, शिलान्यास आदि में बजरंग दल की अहम भूमिका रही थी.
1990 में अयोध्या में शुरू हुई कारसेवा से लेकर 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने में VHP और बजरंग दल की अहम भूमिका रही थी.
रामजन्मभूमि आंदोलन को तेज करने के लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने 25 सितंबर 1990 को गुजरात से अयोध्या के लिए रथ यात्रा शुरू की थी. इस रथ यात्रा को विहिप और बजरंग दल जैसे संगठनों का पूरा समर्थन मिला था. इस यात्रा में शामिल भीड़ को कारसेवक कहा गया था जो अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े थे. 30 अक्टूबर 1990 और 02 नवंबर 1990 को अयोध्या में कारसेवकों पर पुलिस ने उस वक्त गोलियां चला दी थी जब वह हनुमान गढ़ी जा रहे थे. इसमें VHP, बजरंग दल और बीजेपी के कई कार्यकर्ता समेत दर्जन भर से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
क्विंट हिंदी से बात करते हुए विश्व हिंदू परिषद् के जॉइंट जनरल सेक्रेटरी सुरेंद्र जैन ने बताया कि बजरंग दल विहिप का युवा विंग है और विहिप के उद्देश्य को पूरा करना उसका काम है.
बजरंग दल 1990 में हुए गोलीबारी कांड को बलिदान दिवस के रूप में मनाता है, सिर्फ इतना ही नहीं 1992 में जिस दिन बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद् इसे शौर्य दिवस के रूप में मनाते है. बाबरी मस्जिद ढहाए जाने पर विहिप और बजरंग दल इसे शौर्य के रूप में देखते है जबकि अदालत इस घटना को गैर कानूनी मान चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद-राम मंदिर पर फैसला देते हुए कहा था कि 1992 में मस्जिद का विध्वंस सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन था.
जब बजरंग दल पर लगा था बैन...
बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद 1992 में पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार ने बजरंग दल पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन एक साल बाद ही यह प्रतिबंध हटा लिया गया था. नरसिम्हा राव की सरकार ने 9 दिसंबर 1992 की रात को एक गजट जारी कर Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967 के तहत पांच संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS), विश्व हिन्दू परिषद (VHP), बजरंग दल, इस्लामिक सेवक संघ, और जमात-ए-इस्लामी हिंद थे.
लेकिन तब साम्प्रदायिक उन्माद की स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस संगठनों के किसी बड़े नेता की गिरफ्तारी नहीं की थी. नरसिम्हा राव की सरकार ने RSS, विश्व हिन्दू परिषद (VHP) और बजरंग दल पर आरोप लगाया था कि इन संगठनों का बाबरी मस्जिद विध्वंस में सक्रिय रोल था, और ये संगठन देश में साम्प्रदायिक उन्माद फैला रहे थे. इसलिए इनकी गतिविधियों को नियंत्रित करना जरूरी था.
मुसलमानों और ईसाईयों के खिलाफ हमलों के आरोप
ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) ने दक्षिण-पूर्वी गुजरात में ईसाइयों पर 1998 के हमलों के दौरान बजरंग दल की भागीदारी की सूचना दी. जहां दर्जनों चर्च और प्रार्थना हॉल संघ परिवार के संगठनों द्वारा जला दिए गए थे. एचआरडब्ल्यू के अनुसार, बजरंग दल 2002 में गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ दंगों में शामिल था.
मुसलमानों और ईसाईयों पर VHP का क्या स्टैंड है? इसके जवाब में VHP के जॉइंट जनरल सेक्रेटरी सुरेंद्र जैन कहते हैं कि,
हमारा बड़ा स्पष्ट स्टैंड है वह अपनी मस्जिद में जाए नमाज पढ़ें, चर्च में जाए प्रार्थना करें कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन लव जिहाद करना, धर्मांतरण करना, दंगे करना यह सब स्वीकार नहीं हो सकता. इस तरह की गैर-कानूनी गतिविधियां अगर कोई करेगा तो कानूनी रूप से रोकना तो पड़ेगा ही.सुरेंद्र जैन, संयुक्त महासचिव , VHP
सुरेंद्र जैन मुसलमानों के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि, "जो सर से तन से जुदा की बात करेगा, देश में दहशत करेगा, देश में कोरोना फैलाएगा, राष्ट्र विरोधी गतिविधयां करेगा हमे केवल उससे दिक्कत है."
वह आगे कहते हैं कि एपीजे अब्दुल कलाम जैसे मुसलमानों को बजरंग दल के लोग संत मानते थे, उनके कैंडिडेचर का बजरंग दल ने समर्थन किया था.
इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली के मुताबिक अप्रैल 2006 में, नांदेड़ में बम बनाने की प्रक्रिया में बजरंग दल के दो कार्यकर्ता मारे गए थे. कार्यकर्ताओं के इसी समूह पर 2003 में परभणी मस्जिद विस्फोटों की साजिश रचने का भी आरोप लगा था. गिरफ्तार किए गए लोगों ने पूछताछकर्ताओं को बताया था कि वे देश भर में हुए कई विस्फोटों का बदला लेना चाहते थे.
वीएचपी नेता प्रवीण तोगड़िया को अप्रैल 2003 में अजमेर में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को प्रतिबंध और निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए त्रिशूल बांटने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
कई मौकों पर, "मोरल पुलिस" के रूप में कार्य करते हुए, बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने वेलेंटाइन डे पर अविवाहित जोड़ों को परेशान किया है और उन्हें उनकी इच्छा के विरुद्ध सिंदूर लगाने या राखी बांधने के लिए मजबूर किया है. वैलेंटाइन्स डे पर बजरंग दल के कार्यकर्ता पर अक्सर हिंसा में शामिल होने, गिफ्ट्स की दुकानों और रेस्तरां पर हमला करने और वैलेंटाइन्स डे पर कपल्स को धमकाने के आरोप लगते रहे हैं.
इन सभी मुद्दों पर क्या आरएसएस की तरह विहिप और बजरंग दल अपने स्वाभाव में कोई बदलाव लाने की कोशिश करेगा इसके जवाब में VHP के जॉइंट जनरल सेक्रेटरी सुरेंद्र जैन कहते हैं कि, "हिन्दू के स्वभाव में ही फ्लेक्सिबल होने है, भारत में पहली मस्जिद भी एक हिंदू राजा ने बनाई थी. हम मुसलमानों के खिलाफ नहीं हैं, जो हमारे खिलाफ है हम उसके खिलाफ है."
जब CIA ने वर्ल्ड फेक्टबुक में बजरंग दल को बताया था 'उग्रवादी संगठन'
CIA की वर्ल्ड फैक्टबुक ने साल 2018 में VHP और बजरंग दल को 'उग्रवादी धार्मिक संगठन' के रूप में सूचीबद्ध किया था. CIA ने विहिप और बजरंग दल को "राजनीतिक दबाव समूहों" के तहत वर्गीकृत किया था, जो कि ऐसे संगठनों के रूप में परिभाषित हैं जो राजनीति में शामिल हैं या जो राजनीतिक दबाव डालते हैं लेकिन जिनके नेता विधायी चुनाव के लिए खड़े नहीं होते हैं.
बाद में इस सूची को 25 जून 2018 तक हटा दिया गया था. साथ ही, नई वर्ल्ड फैक्टबुक में इसका उल्लेख नहीं था. CIA की वर्ल्ड फैक्टबुक के एक पुराने संस्करण ने RSS को एक 'राष्ट्रवादी संगठन' के रूप में सूचीबद्ध किया था.
आज के परिपेक्ष में बजरंग दल
बजरंग दल आज उत्तर प्रदेश से निकलकर देशभर में सक्रिय है. वर्तमान में बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक नीरज डोनेरिया है. बजरंग दल के कई पूर्व संयोजक सत्ताधारी पार्टी बीजेपी में शामिल है, जैसे की बजरंग दल के पूर्व संयोजक प्रकाश शर्मा बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.
कांग्रेस अब कर्नाटक में पूर्ण बहुमत से विधानसभा चुनाव जीत चुकी है. इसके साथ ही लोग कांग्रेस को मेनिफेस्टों में बजरंग दल को बैन करने वाला वादा याद दिला रहे हैं. अब कांग्रेस इसपर क्या फैसला लेगी यह तो वक्त बताएगा, लेकिन केंद्र में काबिज बीजेपी की सरकार कांग्रेस के इस फैसले का बिल्कुल भी समर्थन नहीं करती दिख रही है.
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