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बांग्लादेश की PM शेख हसीना का इस्तीफा,देश भी छोड़ा- हालात यहां तक कैसे पहुंचे? Explained

राजधानी ढाका में हजारों प्रदर्शनकारी शेख हसीना के आधिकारिक आवास में घुस गए हैं.

Published
कुंजी
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बांग्लादेश (Bangladesh) में जारी हिंसा के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, और देश भी छोड़ दिया है. बताया जा रहा है कि देश छोड़ते वक्त उनके साथ उनकी बहन शेख रेहाना भी थीं.

बांग्लादेश के सेना प्रमुख वकार-उज-जमान ने इस्तीफे की पुष्टि करते हुए कहा है कि अब देश को एक अंतरिम सरकार चलाएगी. उन्होंने प्रदर्शनकारियों से हिंसा छोड़ने की अपील की है. हालांकि इसी बीच राजधानी ढाका में हजारों प्रदर्शनकारी शेख हसीना के आधिकारिक आवास में घुस गए हैं.

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आपको इस एक्सप्लेनर में आसान भाषा में बताते हैं कि आखिर बांग्लादेश में हालात इतने हिंसक कैसे हुए? आरक्षण के विरोध में शुरू हुआ आंदोलन शेख हसीना के इस्तीफे तक कैसे पहुंचा? हिंसा के बीच भारत का क्या स्टैंड क्या है?

विरोध कैसे शुरू हुआ?

बांग्लादेश में 1 जुलाई को छात्रों के विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे. प्रदर्शनकारी छात्र देश के 1971 के मुक्ति संग्राम ("मुक्तिजोधा") में लड़ने वालों की तीसरी पीढ़ी के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण रद्द कराना चाहते थे. देश की कुल आबादी में "मुक्तिजोधा" की 0.13 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि कोटा 30 प्रतिशत दिया जा रहा है, जो छात्रों को असंगत लगता है.

पहली बार भड़की हिंसा के दौरान पुलिस गोलीबारी में 100 से अधिक प्रदर्शनकारी मारे गए थे और 25,000 प्रदर्शनकारी घायल हुए थे. इसके बाद शेख हसीना सरकार ने 19 जुलाई को पूरे देश में कर्फ्यू लागू कर दिया था.

इसके बाद बांग्लादेश की अदालत मामले को संभालने सामने आई. बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को फैसला सुनाते हुए सरकारी नौकरियों में अधिकांश कोटा खत्म कर दिया. कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि केवल 5% नौकरी ही मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के रिश्तेदारों के लिए आरक्षित की जा सकती हैं. वहीं 2% कोटा अन्य, जैसे अल्पसंख्यक समूह के लिए.

अदालत के फैसले के बाद कुछ दिनों के लिए कुछ हद तक शांति देखने को मिली. लेकिन दो हफ्तों के अंदर ही शेख हसीना सरकार को बर्खास्त करने के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.

दोबारा क्यों भड़की हिंसा?

भले ही हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार कर लिया, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने हिंसा के लिए जवाबदेही की मांग जारी रखी. उन्होंने हिंसा और मौतों के लिए सरकार के बल प्रयोग को जिम्मेदार ठहराया.

हिंसा दोबारा रविवार, 4 अगस्त को शुरू हुई. प्रदर्शनकारियों ने इस बार "असहयोग" आंदोलन का आह्वान किया. कहा गया कि लोग टैक्स या कंज्यूमर बिलों का भुगतान न करें और रविवार को काम पर न जाएं. ऑफिस, बैंक और कारखाने खुले, लेकिन ढाका और अन्य शहरों में यात्रियों को अपने काम तक पहुंचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा.

अब प्रदर्शनकारी छात्र सरकार की वैधता और देश में लोकतंत्र की गैरमौजूदगी का ही मूल सवाल उठा रहे हैं. उन्होंने अपना रुख कोटा के विरोध से हटकर प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे पर केंद्रित कर दिया. रविवार की हिंसा में भी लगभग 100 लोगों की मौत हुई.

AFP न्यूज एजेंसी का कहना है कि अबतक की हिंसा से मरने वालों की कुल संख्या करीब 300 है.

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हसीना सरकार का प्रदर्शनकारियों के खिलाफ क्या रुख रहा?

शेख हसीना की सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर तोड़फोड़ करने और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद करने का आरोप लगाया था. हसीना ने कहा था कि तोड़फोड़ करने वाले प्रदर्शनकारी अब छात्र नहीं बल्कि अपराधी हैं और लोगों को उनसे सख्ती से निपटना चाहिए.

प्रदर्शन शुरू होने से पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने प्रदर्शनकारियों की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि “वे स्वतंत्रता सेनानी कोटा का विरोध क्यों कर रहे हैं? क्या वे चाहते हैं कि रजाकारों के वंशजों को सारी सुविधाएं मिलें?”

रजाकार एक अपमानजनक शब्द है जिसका इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जाता है जिन्होंने 1971 में पश्चिमी पाकिस्तान सेना के साथ सहयोग किया था.

फिर गद्दारों के साथ अपमानजनक तुलना से छात्रों में भारी गुस्सा फैल गया.

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भारत का क्या रुख रहा है?

दिल्ली ने एक तरह से बांग्लादेश में जारी इस हिंसा से दूरी बना रखी है. यह कुछ हद तक चकित भी नहीं करता. भारत आम तौर पर उन देशों में राजनीतिक संकटों या संवेदनशील आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने से बचता है जिनके साथ उसके घनिष्ठ संबंध हैं.

इसके अलावा, बांग्लादेश में अस्थिरता के दौरान, दिल्ली चाहेगी कि वो वहां मौजूद अपने कर्मचारियों और अपने हितों की रक्षा हो. अगर अभी भारत प्रदर्शन के खिलाफ कुछ टिप्पणी करे दे तो भारत विरोधी भावना भड़क सकती है, विशेषकर हसीना के विरोधियों में जो दिल्ली के साथ हसीना के घनिष्ठ संबंधों का विरोध करते हैं.

भारत के विदेश मंत्रालय ने सभी नागरिकों को बांग्लादेश की यात्रा करने से बचने और वहां पहले से मौजूद लोगों को अत्यधिक सावधानी बरतने, बाहर नहीं निकलने और ढाका में मौजूद उच्चायोग के संपर्क में रहने की सलाह दी है. बांग्लादेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए BSF ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर हाई अलर्ट जारी किया है.

माना जा रहा है कि शेख हसीना भारत में शरण ले सकती हैं.

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