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France में आगजनी,उपद्रव और बवाल- क्या है पेंशन रिफॉर्म बिल?

Pension reform Bill: राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन को इस वजह से अब तक की सबसे कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

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फ्रांस में पेंशन नीति (Pension Reform Bill) को लेकर किए गए नए बदलावों के खिलाफ बीते कई दिनों से हो रहे प्रदर्शन उग्र हो गए हैं. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन (Emmanuel Macron) को अब तक की सबसे कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

बता दें उनकी सरकार ने सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने वाले अलोकप्रिय पेंशन सुधार बिल को आगे बढ़ाने के लिए निचले सदन को दरकिनार कर दिया था.

फ्रांस में इस पेंशन सुधार बिल को लेकर प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं? क्या है यह पेंशन सुधार बिल? क्या इमैनुएल मैक्रॉन को बैकफुट पर आने के लिए मजबूर होना पड़ा है आइए आपको विस्तार से समझाते हैं.

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क्या है पेंशन सुधार बिल?

यह पेंशन सुधार बिल फ्रांस में रिटायरमेंट की उम्र को 62 साल से दो साल बढ़ाकर 64 कर देता है. इस बदलाव को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा, इस साल सितंबर से शुरू होकर 2030 तक हर साल उम्र में तीन महीने की बढ़ोत्तरी होगी. शारीरिक या मानसिक रूप से कठिन मानी जाने वाली नौकरियों में कुछ कर्मचारी पहले रिटायर होने का अधिकार बनाए रखेंगे.

2027 से पहले पेंशन प्राप्त करने के लिए ज्यादातर कर्मचारियों को 42 वर्षों के बजाय 43 की उम्र तक सामाजिक सुरक्षा योगदान देना होगा. यह 2014 के सुधार में पहले से ही किया जा चुका था, लेकिन मैक्रॉन इसकी गति को तेज कर रहे हैं.

इमैनुएल मैक्रॉन का क्या कहना है?

इमैनुएल मैक्रॉन की सरकार का कहना है कि पेंशन बजट को सुचारू बनाए रखने के लिए सुधार जरूरी है. सरकार के पूर्वानुमान के मुताबिक, कार्य करने में विफलता से पेंशन प्रणाली को 2030 तक 13.5 बिलियन यूरो का वार्षिक घाटा दर्ज करना पड़ेगा.

विरोध प्रदर्शन और अविश्वास प्रस्ताव ?

सरकार द्वारा प्रस्तावित 2023 फ्रेंच पेंशन सुधार बिल के विरोध में लोगों ने 19 जनवरी 2023 को फ्रांस में आम हड़तालों और प्रदर्शनों की एक श्रृंखला शुरू की. हड़तालों ने सड़कों पर कचरे के ढेर और सार्वजनिक परिवहन रद्द करने सहित बड़ी रुकावटें पैदा की. मार्च में, सरकार ने फ्रांसीसी संसद के जरिए विधेयक को लागू करने के लए संविधान के अनुच्छेद 49.3 का इस्तेमाल किया. जिसके बाद उग्र विरोध प्रदर्शन बढ़ गए. कई दिनों से लाखों लोग सड़क पर विरोध कर रहे हैं. सफाई कर्मचारी विरोध में कूड़ा नहीं उठा रहे हैं. कई जगह हिंसक प्रदर्शन भी हुए है जैसे बौर्डिओक्स सिटी हॉल में आगजनी हुई है.

सरकार के खिलाफ हाल ही में दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया जो विफल रहा. इमैनुएल मैक्रॉन की सरकार सोमवार, 20 मार्च को फ्रांसीसी संसद में अविश्वास मत से बाल-बाल बच गई.

प्रदर्शनकारियों का क्या कहना है?

एक 48 वर्षीय हड़ताली कर्मचारी ने न्यूज एजेंसी द गार्जियन को बताया, "गुस्सा बढ़ रहा है. यह पेंशन से बहुत आगे निकल गया है, यह हमारी राजनीतिक व्यवस्था के बारे में है. राष्ट्रपति के पास कार्यकारी शक्तियां हैं जिन पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनाई गई सामाजिक सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की रक्षा करने के बारे में है. यह हमारे कल्याणकारी राज्य पर टिके रहने के बारे में है, जिसे मैक्रॉन खत्म करने की कोशिश में हैं - आवास लाभ से लेकर बेरोजगारी प्रणाली तक. फ्रांसीसी लोग अच्छी तरह से सूचित और राजनीतिक हैं, वे इसे पास नहीं होने देंगे."

अब आगे क्या? 

वोट के बिना पेंशन कानून को पारित करने के मैक्रॉन के फैसले ने विरोधियों को नाराज कर दिया है और हिंसक अशांति की स्थिति पैदा कर दी है.

सरकार को संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ रहा है. प्रस्ताव के विफल होने के बाद भी ट्रेड यूनियनों ने अपनी लड़ाई जारी रखने का वादा किया है.

अगर आगे फिर अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता और वह कामयाब हो जाता हो तो मैक्रॉन को संसद में कामकाजी बहुमत के बिना एक नई सरकार बनानी होगी और समर्थन के लिए सेंटर और राइट विंग दोनों पार्टियों से समर्थन लेना होगा. वह पेंशन सुधार पर एक जनमत संग्रह बुला सकते हैं. अपने राष्ट्रपति पद के दौरान जनमत संग्रह का जोखिम उठा सकते है. या वह संसद को भंग कर सकते हैं और स्नैप चुनाव करा सकते हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह कदम उन्हें नेशनल असेंबली में और कमजोर कर देगी. एक्सपर्ट्स के अनुसार यह भी मुमकिन है कि इमैनुएल मैक्रॉन सत्ता में बने रहने के लिए बिल को वापस ले लें.

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