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भारत से 'महापलायन':7 साल में 8.81 लाख ने छोड़ी नागरिकता,अरबपति भी छोड़ रहे देश

नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों में बसने की ये हैं 5 बड़ी वजह.

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देश में माहौल बनाया जा रहा है कि यहां अद्वितीय विकास हो रहा है. दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की हो रही है. सिर्फ आर्थिक ही नहीं, जीवन के क्षेत्र में कीर्तिमान बनाए जा रहे हैं लेकिन इन दावों के बीच भारत से हो रहा है 'महापलायन'. इसे आप द ग्रेट इंडियन माइग्रेशन (The great India Migration) कह सकते हैं. हर रोज 350 भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ रहे हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ बेरोजगारी और गरीबी से परेशान लोग ऐसा कर रहे हैं, बल्कि माहौल ऐसा है कि अरबपति भी भाग रहे हैं. चौंकाने वाले आंकड़े देखकर आप भी पूछेंगे जरूर कि ऐसा क्यों हो रहा है.

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7 साल में 8.81 लाख भारतीयों ने छोड़ी देश की नागरिकता

लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि 1 जनवरी 2015 से 30 सितंबर 2021 के बीच करीब 9 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है. इस आंकड़े के मुताबिक हर रोज करीब 350 भारतीय देश की नागरिकता छोड़ रहे हैं. राय ने बताया कि विदेश मंत्रालय के पास उपलब्ध जानकारी के मुताबिक अभी कुल 1,33,83,718 भारतीय नागरिक विदेशों में रह रहे हैं.

गृह राज्य मंत्री ने ये भी बताया था कि साल 2017 में 1,33,049 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी. 2018 में 1,34,561 वहीं, 2019 में 1,44,017, जबकि 2020 में 85,248 और 30 सितंबर, 2021 तक 1,11,287 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी थी.

देश की नागरिकता छोड़ किन देशों में जाना पसंद कर रहे भारतीय

भारत छोड़कर जाने वालों की पहली पसंद अमेरिका है. देश छोड़कर जाने वालों में 42 फीसदी लोगों ने अमेरिका की नागरिकता ली है. दूसरी पसंद कनाडा है, जहां की 2017 से 2021 के बीच 91 हजार भारतीयों ने नागरिकता अपनाई. तीसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया रहा, जहां 86,933 भारतीय 5 साल में नागरिक बन गए. उसके बाद इंग्लैंड में 66,193 और फिर 23,490 भारतीयों ने इटली की नागरिकता हासिल की.

देश की नागरिकता छोड़ने वालों में भारत के करोड़पति और अरबपतियों की भी भारी तादाद है.

हाल ही में शिवसेना राज्यसभा सांसद प्रियंका चुतर्वेदी ने इस मुद्दे को सदन में जोरशोर से उठाया था. नीचे दिए लिंक में पहले आप सुनिए उन्होंने क्या बोला. फिर हम बताते हैं उसके पीछे की वजह.

मॉर्गन स्टेनली बैंक ने साल 2018 में एक डेटा जारी किया था. जिसके मुताबिक साल 2014-18 के बीच 23,000 भारतीय करोड़पतियों ने देश छोड़ा था. वहीं, ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू की एक रिपोर्ट में पाया गया कि लगभग 5,000 भारतीय करोड़पति अकेले साल 2020 में भारत छोड़कर विदेश चले गए.

गोल्डन वीजा के जरिए विदेशी नागरिकता ले रहे भारतीय अरबपति

दूसरे देशों की नागरिकता और वीजा दिलाने वाली ब्रिटेन स्थित अंतरराष्ट्रीय कंपनी हेनली ऐंड पार्टनर्स का कहना है कि गोल्डन वीजा यानी निवेश के जरिए किसी देश की नागरिकता चाहने वालों में भारतीयों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.

हेनली ग्लोबल सिटिजंस रिपोर्ट के मुताबिक नागरिकता नियमों के बारे में पूछताछ करने वालों में 2020 के मुकाबले 2021 में भारतीयों की संख्या 54 फीसदी बढ़ी थी. वहीं, 2020 में भी साल 2019 के मुकाबले इस संख्या में 63 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी.

भारतीय क्यों छोड़ रहे देश की नागरिकता?

  1. असुरक्षा: जानकारों का मानना है कि भारत के धनी लोगों द्वारा नागरिकता छोड़ने की बड़ी वजह बिजनेस में असुरक्षा की भावना होना है. सरकार बिजनेस के अनुकूल माहौल नहीं बना पा रही है, जिससे लोग भारतीय नागरिकता छोड़ रहे हैं.

  2. लिविंग स्टैडर्ड: भारत में धनी लोगों के लिए वो लिविंग स्टैडर्ड नहीं है, जो अमेरिका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया, इटली में है. भारत के धनी लोग परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए लगातार नए विकल्प खोज रहे हैं.

  3. एजुकेशन: भारत में एजुकेशन सिस्टम भी उतना अच्छा नहीं है, जितना इन देशों में हैं. बता दें, अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. 2021 में इनकी संख्या 2020 के मुकाबले 12 प्रतिशत बढ़ गई थी, जो बाकी किसी भी देश से ज्यादा है और साल 2022 में भी इस संख्या का बढ़ने का अनुमान है. जानकारों का मानना है कि बेहतर पढ़ाई, करियर, आर्थिक संपन्नता और सुरक्षित भविष्य को देखते हुए भारत से बड़ी संख्या में लोग विदेश का रूख कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक बीते कुछ सालों में देखा गया है कि पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले लोगों में से करीब 70-80 फीसदी युवा वापस भारत नहीं लौटते हैं. करियर और अच्छे भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए वे विदेशों में ही बस जाते हैं.

  4. स्वास्थ्य सेवाएं: भारतीय करोड़पतियों की देश की नागरिकता छोड़ने की वजह में से ये भी एक बड़ी वजह है. भारत में स्वास्थ्य सेवाएं उतनी अच्छी नहीं हैं, जितनी इन देशों में हैं. भारत के धनी लोगों को इलाज के लिए विदेश ही जाना पड़ता हैं.

  5. बेरोजगारी: देश में बेरोजगारी की वजह से पंजाब, दिल्ली और हरियाणा के ज्यादातर लोग कनाडा का रूख करते हैं. वहीं, यूपी और बिहार के लोग खाड़ी देशों में जाना ज्यादा पसंद करते हैं. भारत में बेरोजगारी अपने चरम पर है. मुंबई स्थित सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक पिछले 6 साल में से 5 साल देश की बेरोजगारी दर अंतरराष्ट्रीय दर से ज्यादा रही है. इसमें कोरोनावायरस ने भी अपनी भूमिका अदा की है. अप्रैल 2020 में भारत की बेरोजगारी दर सबसे ऊपर 23.5 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. दरअसल, 2018 से 2021 के बीच भारत ने 1991 के बाद अर्थव्यवस्था की सबसे लंबी गिरावट झेली है. इस दौरान बेरोजगारी की औसत दर 7.2 प्रतिशत रही, जबकि अंतरराष्ट्रीय दर 5.7 फीसदी थी. जिस देश में सालाना एक करोड़ से ज्यादा लोग रोजगार की आयु में पहुंच रहे हों, उसके लिए बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है.

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ये भी ट्रेंड देखने में आया है कि कारोबारी अपने कारोबार का रिजस्ट्रेशन दूसरे देशों में करा रहे हैं ताकि भारत के जटिल टैक्स नियमों से छुटकारा पाए. इसका नतीजा है कि बड़े कारोबारी डील होने पर भारतीय में काम कर रही कंपनियां भी टैक्स अदा नहीं कर रही हैं.

एकल नागरिकता भी बड़ा कारण

भारत के संविधान में एकल नागरिकता का प्रावधान है. संविधान भारतीयों को दोहरी नागरिकता रखने की अनुमति नहीं देता है.

इटली, आयरलैंड, पराग्वे, अर्जेंटीना जैसे देशों में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है. इन देशों में नागरिकता आसानी से पाई जा सकती है. लेकिन, भारत के साथ ऐसा नहीं है. यहां भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार नागरिकता प्राप्त की जा सकती है, लेकिन भारत के नागरिक रहते हुए आप दूसरे देश के नागरिक नहीं रह सकते हैं.

हालांकि, जो भारतीय नागरिकता छोड़ते हैं, वो फिर भी ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिससे उन्हें भारत में रहने और कारोबार चलाने का फायदा मिलता है.

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