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मालेगांव ब्लास्ट: प्रज्ञा,पुरोहित पर आतंकी साजिश का चलेगा केस

मालेगांव ब्लास्ट केस में 2008 के बाद कब क्या हुआ? ATS और NIA  ने अपनी जांच में क्या पाया

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कुंजी
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महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को हुए बम धमाका केस में NIA कोर्ट ने आरोप तय कर दिए हैं. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित पर IPC की धारा 120 B , 302, 307, 304, 326 , 427 153 A के तहत केस चलेगा. साथ ही UAPA की धारा 18 के तहत भी साथ-साथ ही केस चलेगा.

बता दें कि UAPA की धारा 18 के तहत आरोपी पर दोष साबित होने के बाद कम से कम 5 साल की कैद और ज्यादा से ज्यादा आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. साफ है कि इस मामले में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित पर आतंकी साजिश (UAPA-18) के तहत केस चलने जा रहा है. हालांकि, उनके ऊपर से MCOCA अब हट गया है. मामले के सभी आरोपी फिलहाल बेल पर ही रहेंगे. अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी.

इस धमाके में 7 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 80 लोग जख्मी हुए थे. बाद में इसे अज्ञात ‘हिंदू चरमपंथियों’का पहला आतंकी मामला बताया गया. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत 14 लोगों पर आरोप लगे.

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दो बम धमाके में 7 लोगों की मौत, करीब 80 जख्मी

29 सितंबर, 2008 को नासिक जिले का मालेगांव शहर बम धमाके से दहल उठा. पहला धमाका शहर के भीड़भाड़ वाले इलाके में नूरजी मस्जिद के पास भीखू चौक पर हुआ, जहां मोटरसाइकिल में बम रखा गया था.

मालेगांव ब्लास्ट केस में 2008 के बाद कब क्या हुआ? ATS और NIA  ने अपनी जांच में क्या पाया
मालेगांव ब्लास्ट केस में 7 लोगों की मौत हो गई थी
(फोटो: Reuters)

त्योहार का वक्त होने के कारण चौराहे पर भीड़भाड़ थी और रात के करीब 9.30 बजे ये धमाका हुआ जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई, करीब 80 लोग जख्मी हो गए. दूसरा धमाका उसी वक्त मोदासा में हुआ जिसमें 15 साल के एक बच्चे की मौत हो गई.

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मुंबई ATS की जांच, 3 आरोपियों की गिरफ्तारी

मालेगांव ब्लास्ट केस की जांच शुरू में मुंबई की आतंकवाद-रोधी दल (ATS) ने किया, जिसे बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया. ATS चीफ हेंमत करकरे ने मामले की शुरुआती जांच की, जो 26/11 मुंबई हमले में शहीद हो गए थे.

ATS को पहली सफलता बम धमाके में इस्तेमाल हुए मोटरसाइकिल के मालिक का पता लगाने के बाद मिली. ATS ने 24 अक्टूबर, 2008 को 3 आरोपियों साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, शिवनारायण गोपाल सिंह और श्याम भंवरलाल साहू को गिरफ्तार किया.

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हिंदू चरमपंथी संगठनों पर लगे आरोप

जांच एजेंसियों ने मामले के तार अभिनव भारत, राष्ट्रीय जागरण मंच, हिंदू राष्ट्र सेना जैसे 'कट्टर दक्षिणपंथी संगठनों' से जोड़े. मस्जिद के पास किए गए इस विस्फोट को कांग्रेस ने 'भगवा आतंकवाद' नाम दिया था, क्योंकि पकड़े गए आरोपियों का ताल्लुक 'हिंदूवादी संगठनों' से है. मामले में जितने भी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया या जिनका चार्जशीट में नाम आया वो इन्हीं संगठनों से जुड़े हुए थे.

ATS ने इन समूहों के तार 2006 मालेगांव बम ब्लास्ट, अजमेर दरगाह ब्लास्ट और समझौता ट्रेन ब्लास्ट जैसे केस से जुड़ते हुए पाया.

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चार मुख्य साजिशकर्ता?

मालेगांव ब्लास्ट केस में 2008 के बाद कब क्या हुआ? ATS और NIA  ने अपनी जांच में क्या पाया
मालेगांव बम धमाका साल 2008 में हुआ था
(फोटो: द क्विंट)

मालेगांव ब्लास्ट केस में कर्नल पुरोहित, प्रवीण मुतालिक, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और दयानंद पांडेय को मुख्य साजिशकर्ता बताया गया.

कर्नल पुरोहित: आर्मी ऑफिसर पुरोहित को नवंबर 2008 में गिरफ्तार किया गया. पुरोहित को मालेगांव ब्लास्ट केस का मास्टरमाइंड बताया जाता है साथ ही कहा जाता है कि बम भी उन्होंने ही तैयार किए.

प्रवीण मुतालिक: प्रवीण की गिरफ्तारी कर्नाटक से साल 2011 में हुई. वो कथित तौर पर कर्नल पुरोहित के पर्सनल सेक्रेटरी के तौर पर काम कर रहे थे. बमों की एसेंबलिंग का आरोप उनपर लगा.

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर: पूर्व एबीवीपी पदाधिकारी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को अक्टूबर 2008 में ATS ने गिरफ्तार किया. साध्वी पर ब्लास्ट की प्लानिंग करने और ब्लास्ट के लिए इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल उपलब्ध कराने का आरोप है.

दयानंद पांडेय: सुधाकर द्विवेदी उर्फ दयानंद पांडेय एक स्वयंभू आध्यात्मिक गुरु हैं, जो जम्मू में अपना आश्रम चलाते थे, महाराष्ट्र ATS ने नवंबर 2008 को उन्हें कानपुर से गिरफ्तार किया था. जांच एजेंसी के मुताबिक, साल 2003 में उनकी मुलाकात कर्नल पुरोहित से हुई और मालेगांव ब्लास्ट की साजिश तय की गई.

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NIA को जांच सौंपी गई, क्या हासिल हुआ?

13 अप्रैल, 2011 को गृह मंत्रालय ने मालेगांव ब्लास्ट केस की जांच NIA को सौंप दी. इस केस में पहली चार्जशीट 20 जनवरी 2009 को महाराष्ट्र एटीएस ने MCoCA कोर्ट में पेश की थी. जुलाई, 2009 में आरोपियों पर से मकोका की धाराओं को हटा दिया गया, लेकिन 2010 में एक बार उनपर मकोका की धाराओं को लगाया गया. साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों पर से MCoCA की धारा हटाने का फैसला सुनाया.

इससे पहले 21 अप्रैल 2011 को एडिशनल चार्जशीट फाइल की गई, जिसमें प्रमोद मुतालिक का नाम मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर दर्शाया गया था.

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जमानत पर बाहर हैं आरोपी

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को अप्रैल, 2017 में 9 साल की हिरासत के बाद जमानत दी गई थी. बंबई हाईकोर्ट ने साध्वी को सेहत और दूसरे आधारों पर ये जमानत दी थी.

मालेगांव ब्लास्ट केस में 2008 के बाद कब क्या हुआ? ATS और NIA  ने अपनी जांच में क्या पाया
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को अप्रैल, 2017 में 9 साल की हिरासत के बाद जमानत दी गई थी.
(फाइल फोटो: PTI)

इसके बाद केस के एक और आरोपी कर्नल प्रसाद एस. आरोपी को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी. समानता के आधार पर सितंबर, 2017 में NIA कोर्ट ने सुधाकर चतुर्वेदी और सुहार द्विवेदी को भी सशर्त जमानत दे दी गई.

मामले की जांच करने वाले NIA और ATS के बीच कई बिंदुओं पर विरोधाभास भी नजर आया. सबसे बड़ा आरोप तब लगा जब एनआईए ने ये कहकर विवाद खड़ा कर दिया है कि चश्मदीदों ने उन्हें बताया है कि कर्नल पुरोहित के घर जो विस्फोटक बरामद किए गए थे, उसे असल में एटीएस ने ही उनके घर में रखवाया था, ताकि उन्हें फंसाया जा सके. ये पूरी तरह से चौंकाने वाला आरोप है, जिसे हर हाल में चुनौती दी जा सकती है, क्योंकि एटीएस ने जब कर्नल पुरोहित को गिरफ्तार किया था, तब उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत थे. इतना ही नहीं गवाहों के मुकरने की बात भी सामने आई.

वहीं कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी पार्टियों ने मालेगांव धमाके के आरोपियों को रिहा किए जाने के बाद बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा था. आरोप लगाने वालों का कहना था की इस केस के आरोपियों का केंद्र सरकार से 'संबंध' है. इसलिए केस को कमजोर किया जा रहा है और आरोपियों को रिहा किया जा रहा है.

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