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Moonlighting क्या है? जिसकी वजह से गई Wipro के 300 कर्मचारियों की नौकरी

Moonlighting को Wipro के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने सीधे तौर पर धोखा करार दिया है.

Published
कुंजी
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देश में इस वक्त मूनलाइटिंग (Moonlighting) की चर्चा गर्म है. खास करके आईटी सेक्टर (IT Sector) में. कोई इसे सही कह रहा है तो कोई इसे धोखा बता रहा है. पर आखिरकार ये मूनलाइटिंग है क्या और इसकी इतनी चर्चा क्यों हो रही है? इस पूरे बहस की शुरुआत कैसे हुई? ये सब हम आपको बताते हैं.

Moonlighting क्या है? जिसकी वजह से गई Wipro के 300 कर्मचारियों की नौकरी

  1. 1. Moonlighting क्या है?

    जब कोई कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी के साथ ही चोरी-छिपे दूसरी जगह भी काम करता है तो उसे तकनीकी तौर पर ‘मूनलाइटिंग’ (Moonlighting) कहा जाता है. जैसा कि अधिकांश 'सामान्य' नौकरियां दिन में सुबह 9 से शाम 5 बजे तक होती है, वहीं दूसरी नौकरी रात में की जाती है, इसलिए इसमें 'मून यानी चंद्रमा' का संबंध है.

    आमतौर पर कम सैलरी वाले लोग अतिरिक्त आय के लिए ऐसा करते हैं. लेकिन अब अच्छी सैलरी पाने वाले आईटी सेक्टर के कर्मचारी भी ऐसा कर रहे हैं. कोरोना काल में इसका चलन बढ़ा है. जानकारों के मुताबिक आईटी कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम की वजह से कर्मचारियों को मूनलाइटिंग का मौका मिला है.
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  2. 2. Moonlighting की क्यों हो रही चर्चा?

    आईटी प्रोफेशनल्स (IT professionals) के बीच मूनलाइटिंग (Moonlighting) के बढ़ते चलन की वजह से आईटी सेक्टर में नई बहस शुरू हो गई है. विप्रो (Wipro) ने मूनलाइटिंग मतलब एक ही वक्त में कई कंपनियों के लिए काम करने के आरोप में अपने 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया, जिसके बाद इस चर्चा ने जोर पकड़ा.

    आपको बता दें कि बीते दिनों आईटी कंपनी इन्फोसिस (Infosys) ने भी अपने कर्मचारियों को इंटरनल मेल के जरिए मूनलाइटिंग को लेकर चेतावनी दी थी. वहीं, आईबीएम (IBM) और टीसीएस (TCS) भी मूनलाइटिंग को लेकर आपत्ति जता चुकी है.

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  3. 3. कैसे हुई Moonlighting पर बहस की शुरुआत? 

    देश की दिग्गज टेक कंपनी विप्रो (Wipro) के चेयरमैन रिशद प्रेमजी (Rishad Premji) ने सबसे पहले इस मुद्दे पर राय देते हुए इसे धोखा करार दिया था. बुधवार को प्रेमजी ने ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (AIMA) के कार्यक्रम कहा कि, "मूनलाइटिंग कंपनी के प्रति निष्ठा का पूरी तरह से उल्लंघन है." इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी कर्मचारी के लिए एक ही समय में विप्रो और प्रतिद्वंदी XYZ के लिए काम करने के लिए कंपनी में कोई जगह नहीं है.

    विप्रो चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने इससे पहले ट्विटर पर भी मूनलाइटिंग (Moonlighting) के खिलाफ आवाज उठाई थी.

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  4. 4. Moonlighting का समर्थन और विरोध?

    मूनलाइटिंग (Moonlighting) को लेकर लोगों की अपनी-अपनी राय है. कई कंपनियां इसके विरोध में हैं तो कुछ कंपनियों ने इसका समर्थन भी किया है. आईटी कंपनी विप्रो (Wipro), इन्फोसिस (Infosys), आईबीएम (IBM) और टीसीएस (TCS) मूनलाइटिंग को लेकर आपत्ति जता चुकी हैं.

    वहीं टेक महिंद्रा के सीईओ सीपी गुरनानी (CP Gurnani) ने इसका समर्थन किया है. हाल ही में उन्होंने एक ट्वीट में कहा था कि समय के साथ बदलते रहना जरूरी है और मैं हमारे काम करने के तरीकों में बदलाव का स्वागत करता हूं.

    फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी (Swiggy) ने अपने यहां मूनलाइटिंग को मंजूरी दी है. स्विगी की ओर से कहा गया कि कंपनी के कर्मचारी वर्किंगऑवर्स (Working Hours) के बाद दूसरे प्रोजेक्ट्स के लिए भी काम कर सकते हैं. वहीं आईटी सहित अन्य सेक्टर के कर्मचारी भी मूनलाइटिंग का समर्थन कर रहे हैं.

    (क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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Moonlighting क्या है?

जब कोई कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी के साथ ही चोरी-छिपे दूसरी जगह भी काम करता है तो उसे तकनीकी तौर पर ‘मूनलाइटिंग’ (Moonlighting) कहा जाता है. जैसा कि अधिकांश 'सामान्य' नौकरियां दिन में सुबह 9 से शाम 5 बजे तक होती है, वहीं दूसरी नौकरी रात में की जाती है, इसलिए इसमें 'मून यानी चंद्रमा' का संबंध है.

आमतौर पर कम सैलरी वाले लोग अतिरिक्त आय के लिए ऐसा करते हैं. लेकिन अब अच्छी सैलरी पाने वाले आईटी सेक्टर के कर्मचारी भी ऐसा कर रहे हैं. कोरोना काल में इसका चलन बढ़ा है. जानकारों के मुताबिक आईटी कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम की वजह से कर्मचारियों को मूनलाइटिंग का मौका मिला है.
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Moonlighting की क्यों हो रही चर्चा?

आईटी प्रोफेशनल्स (IT professionals) के बीच मूनलाइटिंग (Moonlighting) के बढ़ते चलन की वजह से आईटी सेक्टर में नई बहस शुरू हो गई है. विप्रो (Wipro) ने मूनलाइटिंग मतलब एक ही वक्त में कई कंपनियों के लिए काम करने के आरोप में अपने 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया, जिसके बाद इस चर्चा ने जोर पकड़ा.

आपको बता दें कि बीते दिनों आईटी कंपनी इन्फोसिस (Infosys) ने भी अपने कर्मचारियों को इंटरनल मेल के जरिए मूनलाइटिंग को लेकर चेतावनी दी थी. वहीं, आईबीएम (IBM) और टीसीएस (TCS) भी मूनलाइटिंग को लेकर आपत्ति जता चुकी है.

कैसे हुई Moonlighting पर बहस की शुरुआत? 

देश की दिग्गज टेक कंपनी विप्रो (Wipro) के चेयरमैन रिशद प्रेमजी (Rishad Premji) ने सबसे पहले इस मुद्दे पर राय देते हुए इसे धोखा करार दिया था. बुधवार को प्रेमजी ने ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (AIMA) के कार्यक्रम कहा कि, "मूनलाइटिंग कंपनी के प्रति निष्ठा का पूरी तरह से उल्लंघन है." इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी कर्मचारी के लिए एक ही समय में विप्रो और प्रतिद्वंदी XYZ के लिए काम करने के लिए कंपनी में कोई जगह नहीं है.

विप्रो चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने इससे पहले ट्विटर पर भी मूनलाइटिंग (Moonlighting) के खिलाफ आवाज उठाई थी.

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Moonlighting का समर्थन और विरोध?

मूनलाइटिंग (Moonlighting) को लेकर लोगों की अपनी-अपनी राय है. कई कंपनियां इसके विरोध में हैं तो कुछ कंपनियों ने इसका समर्थन भी किया है. आईटी कंपनी विप्रो (Wipro), इन्फोसिस (Infosys), आईबीएम (IBM) और टीसीएस (TCS) मूनलाइटिंग को लेकर आपत्ति जता चुकी हैं.

वहीं टेक महिंद्रा के सीईओ सीपी गुरनानी (CP Gurnani) ने इसका समर्थन किया है. हाल ही में उन्होंने एक ट्वीट में कहा था कि समय के साथ बदलते रहना जरूरी है और मैं हमारे काम करने के तरीकों में बदलाव का स्वागत करता हूं.

फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी (Swiggy) ने अपने यहां मूनलाइटिंग को मंजूरी दी है. स्विगी की ओर से कहा गया कि कंपनी के कर्मचारी वर्किंगऑवर्स (Working Hours) के बाद दूसरे प्रोजेक्ट्स के लिए भी काम कर सकते हैं. वहीं आईटी सहित अन्य सेक्टर के कर्मचारी भी मूनलाइटिंग का समर्थन कर रहे हैं.

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