ADVERTISEMENTREMOVE AD

न्यूक्लियर बम से 24 गुना खतरनाक! धरती की ओर आते एस्टेरॉयड से NASA ने सैंपल कैसे लिया?

NASA के मिशन OSIRIS REx को मिली बड़ी सफलता, एस्टेरॉयड बेनू की सतह का सैंपल लेकर कैप्सूल से धरती पर आया

Published
कुंजी
4 min read
छोटा
मध्यम
बड़ा

अमेरिकी स्पेस एजेंसी, NASA को अपने एक मिशन में सफलता मिली है. नासा ने सात साल पहले एक स्पेसक्राफ्ट में एक एस्टेरॉयड (उल्कापिंड) पर कैप्सूल भेजा था. अब ये कैप्सूल 24 सितंबर 2023 को एस्टेरॉयड बेनू (Bennu) से सैंपल लेकर पृथ्वी पर वापस आ चुकी है. इस मिशन का नाम OSIRIS-REx है.

लेकिन नासा का ये मिशन क्या था? एस्टेरॉयड से सैंपल क्यों लाया गया? एस्टेरॉयड का अध्ययन क्यों जरूरी है? इससे क्या-क्या हासिल होगा? सबकुछ समझते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या है नासा का मिशन OSIRIS-REx?

OSIRI-REx का फुल फॉर्म है - ओरिजिंस, स्पेक्ट्रल इंटरप्रिटेशन, रिसोर्स आइडेंटिफिकेशन एंड सिक्योरिटी रिगोलिथ एक्सप्लोरर. इस मिशन को 8 सितंबर 2016 को लॉन्च किया गया था. ताकी OSIRIS-REx स्पेसक्राफ्ट में एक ऐसी कैप्सूल को भेजा जाए जो एस्टेरॉयड बेनू की सतह से सैंपल धरती पर ला सके.

इसके जरिए एस्टेरॉयड बेनू की जानकारी निकाली जाएगी जो कई सालों बाद धरती से टकरा सकता है. इसके जरिए सूरज और ग्रहों की जानकारियां भी मिल सकती हैं और ये भी पता चल सकता है कि ये सब कैसे बने.

ये अपने आप में पहला मिशन है जिसमें स्पेसक्राफ्ट को एस्टेरॉयड पर भेजा गया और वहां से अरबों साल पुराने एस्टेरॉयड बेनू की मिट्टी का सैंपल लाया गया, इसमें कुल 7 साल का समय लगा है. बता दें कि मिशन के अनुसार 60 ग्राम सैंपल लाया जाना था लेकिन ये कैप्सूल ड्रिलिंग कर 250 ग्राम सैंपल लेकर आई है.
NASA के मिशन OSIRIS REx को मिली बड़ी सफलता, एस्टेरॉयड बेनू की सतह का सैंपल लेकर कैप्सूल से धरती पर आया

OSIRIS-REx स्पेसक्राफ्ट

(फोटो- एक्स)

0

क्या है एस्टेरॉयड बेनू?

सबसे पहले तो ये समझ लीजिए कि एस्टेरॉयड क्या होते हैं. एस्टेरॉयड चट्टानों की तरह होते हैं जो बाकी ग्रहों की तरह सूरज की परिक्रमा करते हैं. हालांकि ये आकार में ग्रहों से छोटे होते हैं और जरूरी नहीं कि इनका आकार ग्रहों की तरह गोल ही हो.

इन एस्टेरॉयड की एक बेल्ट मंगल (मार्स) ग्रह और जूपिटर ग्रह के बीच की जगह में मौजूद है. इसके अलावा जूपिटर प्लेनेट के ऑर्बिट में भी कई एस्टेरॉयड घूम रहे हैं. अगर कोई एस्टेरॉयड किसी प्लेनट के ऑर्बिट पर घूमते हैं तो उन्हें ट्रॉजन कहा जाता है. 2011 में एक ऐसा एस्टेरॉयड पाया गया था जो पृथ्वी के ऑर्बिट में था यानी वो पृथ्वी के साथ साथ सूर्य की परिक्रमा कर रहा था.

NASA के मिशन OSIRIS REx को मिली बड़ी सफलता, एस्टेरॉयड बेनू की सतह का सैंपल लेकर कैप्सूल से धरती पर आया

एस्टेरॉयड की बेल्ट 

फोटो- नासा/ऑल्टर्ड बाय क्विंट हिंदी

वहीं अगर कोई एस्टेरॉयड पृथ्वी के ऑर्बिट को क्रॉस करे तो उन एस्टेरॉयड को नीयर अर्थ एस्टेरॉयड (NEA) कहा जाता है. ऐसे 10 हजार की संख्या में एस्टेरॉयड हैं जो पृथ्वी के ऑर्बिट को क्रॉस कर रहे हैं, इनमें से 1400 एस्टेरॉयड ऐसे हैं जिनकी पहचान खतरनाक एस्टेरॉयड के रूप में की गई है. इन्हीं में से एक है एस्टेरॉयड बेनू.
NASA के मिशन OSIRIS REx को मिली बड़ी सफलता, एस्टेरॉयड बेनू की सतह का सैंपल लेकर कैप्सूल से धरती पर आया

एस्टेरॉयड बेनू

(फोटो- नासा)

ADVERTISEMENTREMOVE AD

एस्टेरॉयड बेनू का ही क्यों हो रहा अध्ययन?

एस्टेरॉयड बेनू अमेरिका की एंपायर स्टेट बिल्डिंग से भी बड़ा है और 510 मीटर चौड़ा है. बेनू पृथ्वी से 20 करोड़ मील दूर है. अरबों साल पुराना एस्टेरॉयड बेनू में अब तक ज्यादा बदलाव नहीं आए, यानी जब से ये बना है तब से वैसा ही है, इसलिए इसके जरिए ग्रह कैसे बने ये पता लगाया जा सकता है.

NASA के मिशन OSIRIS REx को मिली बड़ी सफलता, एस्टेरॉयड बेनू की सतह का सैंपल लेकर कैप्सूल से धरती पर आया

एस्टेरॉयड बेनू अमेरिका की एंपायर स्टेट बिल्डिंग से भी बड़ा है.

फोटो- ऑल्टर्ड बाय क्विंट हिंदी

एस्टेरॉयड बेनू बी टाइप एस्टेरॉयड है. यानी इस एस्टेरॉयड पर कार्बन की मात्रा बहुत ही ज्यादा है. इतनी ज्यादा कि सूरज की रोशनी जब इसपर पड़ती है तब यह सूरज की रोशनी को केवल 4 फीसदी ही रिफ्लेक्ट कर पाता है जबकि पृथ्वी सूरज की रोशनी को 30 फीसदी रिफ्लेक्ट करती है.

वैज्ञानिकों के अनुसार, एस्टेरॉयड बेनू 4.5 अरब साल पुराना हो सकता है. अंदर से ये 20-40 फीसदी खोखला है.

एस्टेरॉयड बेनू अगर पृथ्वी से टकराता है तो ये धरती का बहुत ज्यादा नुकसान कर सकता है. इसमें 12,000 मेगाटन ऊर्जा है यानी न्यूक्लियर हथियार की तुलना में 24 गुना ज्यादा खतरनाक. वैज्ञानिकों के अनुसार ये एस्टेरॉयड 22वीं या 23वीं सदी के दौरान पृथ्वी से टकरा सकता है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

नासा के मिशन को कैसे मिली सफलता, क्या चुनौती रही?

एस्टेरॉयड बेनू से सैंपल लाने के लिए स्पेसक्राफ्ट में भेजी गई कैप्सूल को वापस लाने का अलग तरीका अपनाया गया. दरअसल पृथ्वी पर कैप्सूल को स्पेसक्राफ्ट नहीं लाया बल्कि स्पेसक्राफ्ट ने ऊपर से कैप्सूल को नीचे धरती पर फेंका है.

NASA के मिशन OSIRIS REx को मिली बड़ी सफलता, एस्टेरॉयड बेनू की सतह का सैंपल लेकर कैप्सूल से धरती पर आया

कैप्सूल

फोटो- नासा

स्पेसक्राफ्ट ने इस कैप्सूल को नीचे ड्रॉप किया, इसे अमेरिका के उटाह (Utah) रेगिस्तान में सफलतापूर्वक ड्रॉप किया गया है. नासा के लिए इसे ड्रॉप करना ही सबसे बड़ी चुनौती रही. इसे स्पेस में से ही ड्रॉप किया गया है. इसके बाद इसे लैब में लाकर इसकी जांच की जा रही है.

NASA के मिशन OSIRIS REx को मिली बड़ी सफलता, एस्टेरॉयड बेनू की सतह का सैंपल लेकर कैप्सूल से धरती पर आया

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×