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Online Gaming और Gambling में कानूनी तौर पर क्या फर्क, किन राज्यों में क्या वैध?

online gaming and gambling: भारत में कानूनी तौर पर ऑनलाइन गेमिंग और गैम्बलिंग में फर्क है.

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कुंजी
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हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने ऑलाइन गेमिंग और ऑनलाइन गैम्बलिंग (ऑनलाइन जुआ) पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक अध्यादेश जारी किया था, जिसके खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में याचिकाएं लगाई गई थीं. राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अध्यादेश अभी तक लागू ही नहीं हुआ है, इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट ने 16 नवंबर को उन याचिकाओं के एक बैच को वापस ले लिया.

ऐसा होते हुए भी, केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक टास्क फोर्स ने ऑनलाइन गेमिंग और डिजिटल गैम्बलिंग को रेगुलेट (कानूनी तौर पर नियंत्रित) करने के लिए एक नए राष्ट्रव्यापी कानून की सिफारिश की है.

Online Gaming और Gambling में कानूनी तौर पर क्या फर्क, किन राज्यों में क्या वैध?

  1. 1. अभी इसकी चर्चा क्यों?

    तमिलनाडु सरकार ने राज्य विधानसभा में 26 सितंबर को एक अध्यादेश और 19 अक्टूबर को एक विधेयक (बिल) पारित किया, जिसमें पोकर और रमी सहित ऑनलाइन गैम्बलिंग और गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है. सरकार के इस फैसले की वजह की तमिलनाडु का नाम देश के उन राज्यों में जुड़ जाता, जिन्होंने गैम्बलिंग कानूनों को पारित किया है.

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  2. 2. ऐसे कानून लाने की वजह क्या है?

    इस पर तमिलनाडु सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में जुए से संबंधित आत्महत्याओं के साथ-साथ जस्टिस चंद्रू समिति के निष्कर्षों (इसके बारे में हम इस लेख में बाद में विस्तार से बताएंगे) का हवाला दिया.

    आइए जानते हैं. ऑनलाइन गेमिंग और गैम्बलिंग में भारत कहां है? क्या आपके राज्य में ऑनलाइन गैम्बलिंग पर बैन है? और बाकी दुनिया की तुलना में भारत किस स्थिति में है?

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  3. 3. ऑनलाइन गेमिंग और गैम्बलिंग में क्या अंतर है?

    वेरम लीगल में वकील और मैनेजिंग वसुंधरा शंकर, कई गेमिंग कंपनियों और पेमेंट एग्रीगेटर्स के साथ काम कर चुकी हैं. वसुंधरा बताती हैं कि "कानून की नजर में, गेमिंग और गैम्बलिंग के बीच का अंतर स्किल एलिमेंट यानी कौशल तत्व को लेकर है."

    वे आगे बताती हैं कि "कानून के नजरिए से ऐसे ऑनलाइन गेम जिनके लिए स्किल की जरूरत नहीं होती है उसे गैम्बलिंग एक्टिविटी माना जाता है न कि गेमिंग एक्टिविटी."

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  4. 4. किस कानून और किस धारा के तहत?

    पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट, 1867. इसी अधिनियम के तहत के देश में "सार्वजनिक जुआ" के लिए दंड तय किया जाता है.

    इस अधिनियम की धारा (सेक्शन) 12 में कहा गया है कि ये दंड "मात्र कौशल के लिए कहीं भी खेले गए किसी भी खेल" पर लागू नहीं होंगे.

    इसलिए, कम से कम कानून के तहत मुख्य अंतर यह है कि जिस गेमिंग में स्किल शामिल है उसे कानून के नजरिए से अनुमति दी गई है और गैम्बलिंग पूरी तरह से मौके पर निर्भर है.

    कानूनी परिभाषा के अनुसार भले ही स्किल एलिमेंट के अनुसार गेमिंग और गैम्बलिंग में अंतर किया जाता है. लेकिन वास्तव में कानूनी तौर पर यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इसमें कौन-कौन से गेम शामिल हैं. केंद्रीय रूप से ऐसी कोई लिस्ट नहीं मेंटेन की गई है जिसमें प्रतिबंधित गेमों को शामिल किया गया है.

    यहां गेमिंग का मतलब दांव यानी पैसे के लिए गेमिंग से है. वसुंधरा शंकर के अनुसार, इन खेलों को जुआ कानूनों के दायरे में लाने के लिए पैसे का आदान-प्रदान एक जरूरी फैक्टर है.

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  5. 5. ऑनलाइन गैम्बलिंग और गेमिंग के बारे में भारत का कानून क्या कहता है?

    इस समय, भारत में केवल एक केंद्रीय कानून है जो सभी तरह की गैम्बलिंग (जुआ) को नियंत्रित करता है. इस कानून को पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट, 1867 के नाम से जाना जाता है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है यह कानून काफी पुराना (1867) है, ऐसे में यह डिजिटल कैसीनो, ऑनलाइन गैम्बलिंग और ऑनलाइन गेमिंग की चुनौतियों से निपटने में कारगर नहीं है.

    इसी वजह से 14 नवंबर को एक अंतर-मंत्रालयी (इंटर-मिनिस्ट्रियल) टास्क फोर्स ने भारत में गैम्बलिंग और ऑनलाइन गेमिंग को नियंत्रित करने के लिए एक नया केंद्रीय कानून बनाने की सिफारिश की है.

    फिलहाल, पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट में उन खेल या गतिविधियों को शामिल किया जाता है जिसमें जुए के दौरान पैसा, कोई कीमती वस्तु या अन्य कुछ दांव पर लगाया गया है. जबकि "कौशल के लिए कहीं भी खेले गए किसी भी खेल पर" यह लागू नहीं होता है. इसके अलावा जुए के दंड को मौके की स्थिति-परिस्थिति के आधार पर भी तय किया जाता है.

    पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट इसलिए भी अछूता रहा है क्योंकि भारत में जुआ काफी हद तक राज्य का विषय है. जिसका मतलब यह है कि राज्यों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने-अपने अधिकार क्षेत्रों में जुए (गैम्बलिंग) को रेगुलेट करने के लिए अपने खुद के नियम-कानून बनाएं.

    यही वजह है कि ऑनलाइन गेमिंग को नियंत्रित करने के लिए कुछ राज्यों में विशिष्ट कानून हैं, जबकि अन्य राज्यों में नहीं हैं.

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  6. 6. क्या आपके राज्य में ऑनलाइन गैम्बलिंग लीगल है?

    ऑनलाइन गेमिंग कानून किन राज्यों में हैं?

    दिल्ली, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट को कुछ संशोधनों के साथ अपनाया है.

    वहीं, गोवा, सिक्किम, दमन, मेघालय और नागालैंड जैसे अन्य क्षेत्रों ने अपने अधिकार क्षेत्र में पब्लिक गैम्बलिंग (सार्वजनिक जुए) को रेगुलेट करने के लिए विशिष्ट कानूनों का मसौदा तैयार किया है. चूंकि यह (ऑनलाइन गेमिंग और गैम्बलिंग) नया और लगातार बढ़ता हुआ सेक्टर है इसलिए इन सभी राज्यों में ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट करने के लिए कानून नहीं हैं.

    यहां उन राज्यों की एक छोटी सी लिस्ट दी जा रही है, जिन्होंने ऑनलाइन गेमिंग को संचालित करने के लिए विशिष्ट कानून पारित किए हैं :

    • सिक्किम - सिक्किम ऑनलाइन गेमिंग (रेगुलेशन) एक्ट, 2008 के तहत सिक्किम ब्लैकजैक जैसे गेम्स की पेशकश करने वाले डिजिटल कैसीनो को रेगुलेट (विनियमित) करता है. इस एक्ट के तहत ऑपरेटरों को एक लाइसेंस लेने की जरूरत होती है और ऐसे गेम्स को केवल इंट्रानेट टर्मिनल्स पर खेलाने की अनुमति होती है. सिक्किम ऐसा राज्य है जो इंट्रानेट टर्मिनल्स पर स्पोर्ट्स बेटिंग (खेलों में सट्टेबाजी) करनी की अनुमति देता है.

    • मेघालय - मेघालय रेगुलेशन ऑफ गेमिंग एक्ट, 2021 के तहत, मेघालय सरकार जमीनी स्तर पर मौजूद कैसीनों और डिजिटल कैसीनो दोनों की अनुमति देती है. एक बार लाइसेंस प्राप्त हो जाने के बाद, हॉर्स बेटिंग (घोड़ों पर सट्टेबाजी) के तौर पर स्पोर्ट्स बेटिंग की भी अनुमति मेघालय सरकार देती है.

    • नागालैंड - द नागालैंड प्रोहिबिशन ऑफ गैम्बलिंग एंड प्रमोशन ऑफ रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेम्स ऑफ स्किल एक्ट, 2016 राज्य में पोकर को "कौशल के खेल" (गेम ऑफ स्किल) के तौर पर रेगुलेट करता है.

    नागालैंड और मेघालय को छोड़कर भारत के किसी भी राज्य में "कौशल के खेल" (गेम ऑफ स्किल) को रेगुलेट करने के लिए अलग से कोई विशिष्ट कानून नहीं हैं.

    इसके अलावा फैंसी लीग बेटिंग जैसे कि फैंटेसी फुटबॉल, क्रिकेट और अन्य फैंटेसी स्पोर्ट्स लीग पर होने वाली सट्टेबाजी में से ज्यादातर भारत में अनियमित (अनरेगुलेटेड) हैं.

    हालांकि जहां एक ओर नागालैंड और मेघालय में फैंटेसी लीग सट्टेबाजी को रेगुलेट करने और यहां तक ​​कि लाइसेंस देने के लिए विशिष्ट कानून हैं. वहीं दूसरी ओर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और असम ने फैंटेसी स्पोर्ट्स लीगों पर होने सट्टेबाजी पर भी बैन लगा दिया है.

    • तेलंगाना - 2017 में, तेलंगाना गेमिंग एक्ट में संशोधन करते हुए तेलंगाना ने सभी तरह की ऑनलाइन गेमिंग और गैम्बलिंग पर प्रतिबंध लगा दिया.

    • कर्नाटक - 2021 में, कर्नाटक पुलिस एक्ट, 1963 में संशोधन करते हुए कर्नाटक ने सभी ऑनलाइन गेम (स्किल के आधार और परिस्थिति के आधार पर, दोनों) पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि फरवरी 2022 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस फैलले को पलट दिया था.

    केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में भी इसी तरह के कानून पारित किए गए थे जिसमें कौशल पर अधारित खेल सहित सभी ऑनलाइन खेलों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी. लेकिन बाद में कौशल आधारित खेल को छूट देने के लिए कोर्ट में केरल और तमिलनाडु के कानूनों को चुनौती दी गई और इसे कोर्ट में पलट दिया गया.

    ऐसी कौन सी बात है जो हमें मौजूदा मामले (ऑनलाइन गेमिंग और गैम्बलिंग को लेकर तमिलनाडु के अध्यादेश) की ओर ले जाती है.

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  7. 7. तमिलनाडु ऑनलाइन गेमिंग अध्यादेश

    इस आर्टिकल की शुरुआत में ही हमने बताया था कि 26 सितंबर 2022 को तमिलनाडु राज्य सरकार ने रमी और पोकर सहित सभी तरह के ऑनलाइन गेम्स पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक अध्यादेश पारित किया था. इसके तीन सप्ताह बाद, राज्य सरकार ने अध्यादेश को बदलने के लिए एक विधेयक पारित किया था.

    इस रिपोर्ट के अनुसार, कानूनी रूप लेने से पहले इस विधेयक को राज्य के राज्यपाल की स्वीकृति का इंतजार है. इसके अलावा अभी तक अध्यादेश भी प्रभावी नहीं हुआ है.

    तमिलनाडु सरकार द्वारा अध्यादेश लागू करने के तुरंत बाद अखिल भारतीय गेमिंग फेडरेशन (AIGF) द्वारा इसे असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दे दी गई थी.

    इस मामले में AIGF का बयान लेने के लिए क्विंट ने फेडरेशन से संपर्क किया.

    "संवैधानिक रूप से यह अध्यादेश असमर्थनीय है. यह छह दशकों के स्थापित न्यायशास्त्र की अवहेलना कर रहा है. पिछले साल के मद्रास हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले की भी यह प्रतिबंध अवहेलना कर रहा है, उस फैसले में कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर तमिलनाडु राज्य के भीतर ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगाने वाले पहले के कानून को खत्म कर दिया था. हमारी चिंता इस बात को लेकर है कि इस तरह के उपायों या कार्रवाई से केवल ऑफशोर और अवैध गैम्बलिंग ऑपरेटर्स को मदद मिलेगी और इसके परिणामस्वरूप प्रदेश के यूजर्स का ज्यादा नुकसान होगा."
    रोलैंड लैंडर्स, सीईओ, ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन

    तमिलनाडु सरकार के अध्यादेश को लेकर एआईजीएफ का मुख्य मुद्दा यह है कि ये अध्यादेश रमी और पोकर जैसे कौशल के खेल (गेम्स ऑफ स्किल) को भी प्रतिबंधित कर रहा है.

    हालांकि राज्य सरकार की ओर कहा जा रहा है कि अभी तक अध्यादेश लागू नहीं हुआ है. ऐसे में आगे क्या हो सकता है?

    "तमिलनाडु विधानसभा ने विधेयक पारित कर दिया है, लेकिन इसे अधिसूचित (नोटिफाई) किया जाना बाकी है. हम इसके नोटिफिकेशन की प्रतीक्षा कर रहे हैं और फिलहाल सक्रिय रूप से कानून का विश्लेषण कर रहे हैं. अगर यह बिल (विधेयक) अध्यादेश की लाइन पर ही है और गेम्स ऑफ स्किल -संवैधानिक रूप से जिन पर पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट प्रभावी नहीं होता है- उन पर प्रतिबंध लगाता है तो हम उचित कानूनी सहारा लेने के लिए मजबूर होंगे. हमें पूरा विश्वास है कि भारत की न्यायपालिका हमारे सदस्यों और भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करेगी."
    रोलैंड लैंडर्स, सीईओ, ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन

    (हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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अभी इसकी चर्चा क्यों?

तमिलनाडु सरकार ने राज्य विधानसभा में 26 सितंबर को एक अध्यादेश और 19 अक्टूबर को एक विधेयक (बिल) पारित किया, जिसमें पोकर और रमी सहित ऑनलाइन गैम्बलिंग और गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है. सरकार के इस फैसले की वजह की तमिलनाडु का नाम देश के उन राज्यों में जुड़ जाता, जिन्होंने गैम्बलिंग कानूनों को पारित किया है.

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ऐसे कानून लाने की वजह क्या है?

इस पर तमिलनाडु सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में जुए से संबंधित आत्महत्याओं के साथ-साथ जस्टिस चंद्रू समिति के निष्कर्षों (इसके बारे में हम इस लेख में बाद में विस्तार से बताएंगे) का हवाला दिया.

आइए जानते हैं. ऑनलाइन गेमिंग और गैम्बलिंग में भारत कहां है? क्या आपके राज्य में ऑनलाइन गैम्बलिंग पर बैन है? और बाकी दुनिया की तुलना में भारत किस स्थिति में है?

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ऑनलाइन गेमिंग और गैम्बलिंग में क्या अंतर है?

वेरम लीगल में वकील और मैनेजिंग वसुंधरा शंकर, कई गेमिंग कंपनियों और पेमेंट एग्रीगेटर्स के साथ काम कर चुकी हैं. वसुंधरा बताती हैं कि "कानून की नजर में, गेमिंग और गैम्बलिंग के बीच का अंतर स्किल एलिमेंट यानी कौशल तत्व को लेकर है."

वे आगे बताती हैं कि "कानून के नजरिए से ऐसे ऑनलाइन गेम जिनके लिए स्किल की जरूरत नहीं होती है उसे गैम्बलिंग एक्टिविटी माना जाता है न कि गेमिंग एक्टिविटी."

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किस कानून और किस धारा के तहत?

पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट, 1867. इसी अधिनियम के तहत के देश में "सार्वजनिक जुआ" के लिए दंड तय किया जाता है.

इस अधिनियम की धारा (सेक्शन) 12 में कहा गया है कि ये दंड "मात्र कौशल के लिए कहीं भी खेले गए किसी भी खेल" पर लागू नहीं होंगे.

इसलिए, कम से कम कानून के तहत मुख्य अंतर यह है कि जिस गेमिंग में स्किल शामिल है उसे कानून के नजरिए से अनुमति दी गई है और गैम्बलिंग पूरी तरह से मौके पर निर्भर है.

कानूनी परिभाषा के अनुसार भले ही स्किल एलिमेंट के अनुसार गेमिंग और गैम्बलिंग में अंतर किया जाता है. लेकिन वास्तव में कानूनी तौर पर यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इसमें कौन-कौन से गेम शामिल हैं. केंद्रीय रूप से ऐसी कोई लिस्ट नहीं मेंटेन की गई है जिसमें प्रतिबंधित गेमों को शामिल किया गया है.

यहां गेमिंग का मतलब दांव यानी पैसे के लिए गेमिंग से है. वसुंधरा शंकर के अनुसार, इन खेलों को जुआ कानूनों के दायरे में लाने के लिए पैसे का आदान-प्रदान एक जरूरी फैक्टर है.

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ऑनलाइन गैम्बलिंग और गेमिंग के बारे में भारत का कानून क्या कहता है?

इस समय, भारत में केवल एक केंद्रीय कानून है जो सभी तरह की गैम्बलिंग (जुआ) को नियंत्रित करता है. इस कानून को पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट, 1867 के नाम से जाना जाता है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है यह कानून काफी पुराना (1867) है, ऐसे में यह डिजिटल कैसीनो, ऑनलाइन गैम्बलिंग और ऑनलाइन गेमिंग की चुनौतियों से निपटने में कारगर नहीं है.

इसी वजह से 14 नवंबर को एक अंतर-मंत्रालयी (इंटर-मिनिस्ट्रियल) टास्क फोर्स ने भारत में गैम्बलिंग और ऑनलाइन गेमिंग को नियंत्रित करने के लिए एक नया केंद्रीय कानून बनाने की सिफारिश की है.

फिलहाल, पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट में उन खेल या गतिविधियों को शामिल किया जाता है जिसमें जुए के दौरान पैसा, कोई कीमती वस्तु या अन्य कुछ दांव पर लगाया गया है. जबकि "कौशल के लिए कहीं भी खेले गए किसी भी खेल पर" यह लागू नहीं होता है. इसके अलावा जुए के दंड को मौके की स्थिति-परिस्थिति के आधार पर भी तय किया जाता है.

पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट इसलिए भी अछूता रहा है क्योंकि भारत में जुआ काफी हद तक राज्य का विषय है. जिसका मतलब यह है कि राज्यों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने-अपने अधिकार क्षेत्रों में जुए (गैम्बलिंग) को रेगुलेट करने के लिए अपने खुद के नियम-कानून बनाएं.

यही वजह है कि ऑनलाइन गेमिंग को नियंत्रित करने के लिए कुछ राज्यों में विशिष्ट कानून हैं, जबकि अन्य राज्यों में नहीं हैं.

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ऑनलाइन गेमिंग कानून किन राज्यों में हैं?

दिल्ली, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट को कुछ संशोधनों के साथ अपनाया है.

वहीं, गोवा, सिक्किम, दमन, मेघालय और नागालैंड जैसे अन्य क्षेत्रों ने अपने अधिकार क्षेत्र में पब्लिक गैम्बलिंग (सार्वजनिक जुए) को रेगुलेट करने के लिए विशिष्ट कानूनों का मसौदा तैयार किया है. चूंकि यह (ऑनलाइन गेमिंग और गैम्बलिंग) नया और लगातार बढ़ता हुआ सेक्टर है इसलिए इन सभी राज्यों में ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट करने के लिए कानून नहीं हैं.

यहां उन राज्यों की एक छोटी सी लिस्ट दी जा रही है, जिन्होंने ऑनलाइन गेमिंग को संचालित करने के लिए विशिष्ट कानून पारित किए हैं :

  • सिक्किम - सिक्किम ऑनलाइन गेमिंग (रेगुलेशन) एक्ट, 2008 के तहत सिक्किम ब्लैकजैक जैसे गेम्स की पेशकश करने वाले डिजिटल कैसीनो को रेगुलेट (विनियमित) करता है. इस एक्ट के तहत ऑपरेटरों को एक लाइसेंस लेने की जरूरत होती है और ऐसे गेम्स को केवल इंट्रानेट टर्मिनल्स पर खेलाने की अनुमति होती है. सिक्किम ऐसा राज्य है जो इंट्रानेट टर्मिनल्स पर स्पोर्ट्स बेटिंग (खेलों में सट्टेबाजी) करनी की अनुमति देता है.

  • मेघालय - मेघालय रेगुलेशन ऑफ गेमिंग एक्ट, 2021 के तहत, मेघालय सरकार जमीनी स्तर पर मौजूद कैसीनों और डिजिटल कैसीनो दोनों की अनुमति देती है. एक बार लाइसेंस प्राप्त हो जाने के बाद, हॉर्स बेटिंग (घोड़ों पर सट्टेबाजी) के तौर पर स्पोर्ट्स बेटिंग की भी अनुमति मेघालय सरकार देती है.

  • नागालैंड - द नागालैंड प्रोहिबिशन ऑफ गैम्बलिंग एंड प्रमोशन ऑफ रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेम्स ऑफ स्किल एक्ट, 2016 राज्य में पोकर को "कौशल के खेल" (गेम ऑफ स्किल) के तौर पर रेगुलेट करता है.

नागालैंड और मेघालय को छोड़कर भारत के किसी भी राज्य में "कौशल के खेल" (गेम ऑफ स्किल) को रेगुलेट करने के लिए अलग से कोई विशिष्ट कानून नहीं हैं.

इसके अलावा फैंसी लीग बेटिंग जैसे कि फैंटेसी फुटबॉल, क्रिकेट और अन्य फैंटेसी स्पोर्ट्स लीग पर होने वाली सट्टेबाजी में से ज्यादातर भारत में अनियमित (अनरेगुलेटेड) हैं.

हालांकि जहां एक ओर नागालैंड और मेघालय में फैंटेसी लीग सट्टेबाजी को रेगुलेट करने और यहां तक ​​कि लाइसेंस देने के लिए विशिष्ट कानून हैं. वहीं दूसरी ओर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और असम ने फैंटेसी स्पोर्ट्स लीगों पर होने सट्टेबाजी पर भी बैन लगा दिया है.

  • तेलंगाना - 2017 में, तेलंगाना गेमिंग एक्ट में संशोधन करते हुए तेलंगाना ने सभी तरह की ऑनलाइन गेमिंग और गैम्बलिंग पर प्रतिबंध लगा दिया.

  • कर्नाटक - 2021 में, कर्नाटक पुलिस एक्ट, 1963 में संशोधन करते हुए कर्नाटक ने सभी ऑनलाइन गेम (स्किल के आधार और परिस्थिति के आधार पर, दोनों) पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि फरवरी 2022 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस फैलले को पलट दिया था.

केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में भी इसी तरह के कानून पारित किए गए थे जिसमें कौशल पर अधारित खेल सहित सभी ऑनलाइन खेलों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी. लेकिन बाद में कौशल आधारित खेल को छूट देने के लिए कोर्ट में केरल और तमिलनाडु के कानूनों को चुनौती दी गई और इसे कोर्ट में पलट दिया गया.

ऐसी कौन सी बात है जो हमें मौजूदा मामले (ऑनलाइन गेमिंग और गैम्बलिंग को लेकर तमिलनाडु के अध्यादेश) की ओर ले जाती है.

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तमिलनाडु ऑनलाइन गेमिंग अध्यादेश

इस आर्टिकल की शुरुआत में ही हमने बताया था कि 26 सितंबर 2022 को तमिलनाडु राज्य सरकार ने रमी और पोकर सहित सभी तरह के ऑनलाइन गेम्स पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक अध्यादेश पारित किया था. इसके तीन सप्ताह बाद, राज्य सरकार ने अध्यादेश को बदलने के लिए एक विधेयक पारित किया था.

इस रिपोर्ट के अनुसार, कानूनी रूप लेने से पहले इस विधेयक को राज्य के राज्यपाल की स्वीकृति का इंतजार है. इसके अलावा अभी तक अध्यादेश भी प्रभावी नहीं हुआ है.

तमिलनाडु सरकार द्वारा अध्यादेश लागू करने के तुरंत बाद अखिल भारतीय गेमिंग फेडरेशन (AIGF) द्वारा इसे असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दे दी गई थी.

इस मामले में AIGF का बयान लेने के लिए क्विंट ने फेडरेशन से संपर्क किया.

"संवैधानिक रूप से यह अध्यादेश असमर्थनीय है. यह छह दशकों के स्थापित न्यायशास्त्र की अवहेलना कर रहा है. पिछले साल के मद्रास हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले की भी यह प्रतिबंध अवहेलना कर रहा है, उस फैसले में कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर तमिलनाडु राज्य के भीतर ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगाने वाले पहले के कानून को खत्म कर दिया था. हमारी चिंता इस बात को लेकर है कि इस तरह के उपायों या कार्रवाई से केवल ऑफशोर और अवैध गैम्बलिंग ऑपरेटर्स को मदद मिलेगी और इसके परिणामस्वरूप प्रदेश के यूजर्स का ज्यादा नुकसान होगा."
रोलैंड लैंडर्स, सीईओ, ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन

तमिलनाडु सरकार के अध्यादेश को लेकर एआईजीएफ का मुख्य मुद्दा यह है कि ये अध्यादेश रमी और पोकर जैसे कौशल के खेल (गेम्स ऑफ स्किल) को भी प्रतिबंधित कर रहा है.

हालांकि राज्य सरकार की ओर कहा जा रहा है कि अभी तक अध्यादेश लागू नहीं हुआ है. ऐसे में आगे क्या हो सकता है?

"तमिलनाडु विधानसभा ने विधेयक पारित कर दिया है, लेकिन इसे अधिसूचित (नोटिफाई) किया जाना बाकी है. हम इसके नोटिफिकेशन की प्रतीक्षा कर रहे हैं और फिलहाल सक्रिय रूप से कानून का विश्लेषण कर रहे हैं. अगर यह बिल (विधेयक) अध्यादेश की लाइन पर ही है और गेम्स ऑफ स्किल -संवैधानिक रूप से जिन पर पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट प्रभावी नहीं होता है- उन पर प्रतिबंध लगाता है तो हम उचित कानूनी सहारा लेने के लिए मजबूर होंगे. हमें पूरा विश्वास है कि भारत की न्यायपालिका हमारे सदस्यों और भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करेगी."
रोलैंड लैंडर्स, सीईओ, ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन

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