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संसद आने वाले विजिटर्स के लिए क्या हैं नियम, एक सांसद को क्या गारंटी देनी होती है?

Parliament Security Breach: लोकसभा में दो युवक घुस आए और कलर स्मोक का इस्तेमाल किया, जिससे अफरा-तफरी फैल गई.

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कुंजी
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नई संसद भवन (Parliament Security Breach) में बुधवार, 13 दिसंबर को सुरक्षा में बड़ी चूक हुई. लोकसभा में उस वक्त अफरा-तफरी का माहौल हो गया जब दो युवकों ने नारेबाजी की और कलर स्मोक का इस्तेमाल किया. संसद हमले की 22वीं बरसी के दिन हुए इस घटना से एक बार फिर सदन की सुरक्षा पर सवाल उठे हैं.

लोकसभा में हंगामा करने वाले दोनों आरोपी को मैसूर-कोडागु से बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा (MP Pratap Simha) की सिफारिश पर विजिटर्स पास मिला था. विपक्ष ने सिम्हा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, संसद में विजिटर्स के आने पर रोक लगा दी गई है, हालांकि इसको लेकर कोई आधिकारिक आदेश नहीं जारी की गई है.

इस पूरे घटनाक्रम के बीच आपको बताते हैं कि संसद आने वाले विजिटर्स के लिए क्या नियम हैं? वहीं सांसद को विजिटर्स को लेकर क्या गारंटी देनी होती है?

संसद आने वाले विजिटर्स के लिए क्या हैं नियम, एक सांसद को क्या गारंटी देनी होती है?

  1. 1. नियम क्या कहते हैं?

    सदन के नियम सुरक्षा कर्मचारियों को दर्शक दीर्घा में कड़ी निगरानी रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य करते हैं कि विजिटर्स किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न करें और न ही चैंबर में कूदने की कोशिश करें.

    विजिटर्स (संसदीय भाषा में "अजनबी") का "प्रवेश, वापसी और निष्कासन" लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 386 द्वारा शासित होता है.

    जिसमें कहा गया है कि "सदन की बैठकों के दौरान सदन के उन हिस्सों में अजनबियों का प्रवेश जो सदस्यों के विशेष उपयोग के लिए आरक्षित नहीं हैं, उसे अध्यक्ष द्वारा दिए गए आदेशों के तहत रेगुलेट किया जाएगा".

    नियम 387 अध्यक्ष को यह शक्ति देता है कि अगर वह उचित समझे तो सदन के किसी भी हिस्से से "अजनबियों" को हटा सकता है.

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  2. 2. संसद में 'अजनबियों' की एंट्री की क्या प्रक्रिया है?

    एमएन कौल और एसएल शकधर द्वारा लिखित "संसद की कार्यप्रणाली और प्रक्रिया" के मुताबिक, "एक सदस्य केवल उन लोगों के लिए विजिटर्स कार्ड जारी करने के लिए आवेदन कर सकता है, जिन्हें वो व्यक्तिगत रूप से बहुत अच्छी तरह से जानते हैं".

    विजिटर कार्ड के लिए आवेदन करने वाले सदस्यों को एक प्रमाणपत्र भी देना अनिवार्य होता है. जिसमें लिखा होता है, "उपर्युक्त नामित आगंतुक मेरा रिश्तेदार/व्यक्तिगत मित्र है/मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूं और मैं उसके लिए पूरी जिम्मेदारी लेता हूं." सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए, आगंतुकों को एक फोटो पहचान पत्र ले जाना भी अनिवार्य है.

    नियमों के मुताबिक, आगंतुकों को अपना पूरा नाम बताना होता है. इसके साथ ही, “आगंतुक के पिता/पति का नाम भी अनिवार्य रूप से पूरा देना होता है. सार्वजनिक गैलरी में प्रवेश कार्ड के लिए आवेदन केंद्रीकृत पास इशू सेल (CPIC) में विजिट की तारीख से पहले के वर्किंग डे पर शाम 4 बजे तक जमा कराना होता है".

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  3. 3. क्या पास एक निश्चित समय के लिए जारी किए जाते हैं?

    विजिटर कार्ड आमतौर पर किसी सदस्य को किसी विशेष दिन के लिए निश्चित घंटों के लिए जारी किए जाते हैं. हालांकि, कुछ मामलों में, नियम दो कार्ड जारी करने की अनुमति देते हैं.

    एक प्रावधान यह भी है जो सदस्यों को आपातकालीन मामलों में उसी दिन विजिटर कार्ड के लिए आवेदन करने की अनुमति देता है जब उनके लिए निर्धारित समय सीमा के भीतर आवेदन करना संभव नहीं होता है.

    ऐसे मामले में अगर सीट खाली रहती है तो निम्नलिखित शर्तों पर एक सदस्य को CPIC से एक कार्ड जारी किया जाता है:

    1. किसी सदस्य को किसी विशेष दिन के लिए चार से अधिक 'एक ही दिन' विजिटर कार्ड जारी नहीं किए जाते हैं.

    2. सदस्य को खुद जाकर कार्ड प्राप्त करना होता है.

    3. कार्ड पर समय सीमा लिखी हुई होती है.

    4. आवेदन प्राप्त होने के कम से कम दो घंटे बाद कार्ड उपयोग के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं.

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  4. 4. संसद में कितने तरह के दर्शक दीर्घा हैं?

    लोकसभा में दो प्रकार की दीर्घाएं होती हैं:

    1. सार्वजनिक दीर्घा

    2. अध्यक्ष दीर्घा

    एक सदस्य सार्वजनिक दीर्घा में एक दिन में चार लोगों को एंट्री करवा सकता है, जबकि अध्यक्ष की गैलरी में केवल दो लोगों की ही एंट्री हो सकती है. अध्यक्ष दीर्घा के लिए आगंतुकों के नामों की जांच अध्यक्ष द्वारा की जानी चाहिए. नियम के मुताबिक, सदस्य कार्ड में लिखे गए समय से पहले अपने मेहमानों की एंट्री नहीं करा सकता हैं.

    राज्य सभा में विजिटर्स की एंट्री के लिए भी यही नियम लागू होते हैं. उच्च सदन की सार्वजनिक दीर्घा में प्रवेश के लिए विजिटर कार्ड का आवेदन जिस दिन एंट्री चाहिए उससे एक दिन पहले दोपहर तीन बजे तक देना होता है.

    नियमों के मुताबिक, एक सदस्य किसी ऐसे व्यक्ति के लिए विजिटर कार्ड के लिए आवेदन कर सकता है जो उसे व्यक्तिगत रूप से जानता है या चुनिंदा मामलों में उन लोगों के लिए, जिन्हें सदस्य से किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा मिलवाया गया है जो उसे व्यक्तिगत रूप से जानता है.

    दिशानिर्देश के मुताबिक, दर्शक दीर्घा में होने वाली किसी अप्रिय घटना या अवांछनीय चीज के लिए सदस्य जिम्मेदार हैं.
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  5. 5. सुरक्षा जांच की प्रक्रिया

    लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय द्वारा जारी नियमित बुलेटिन सदस्यों को आगंतुकों के प्रवेश के लिए अपनाई जाने वाली सुरक्षा प्रक्रियाओं के बारे में सूचित करते हैं.

    गाइडलाइन के मुताबिक, सार्वजनिक दीर्घा चेकिंग पोस्ट पर तैनात संसद सुरक्षा कर्मचारी यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी आगंतुकों की डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर/हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर (DFMD/HHMD) के माध्यम से तलाशी ली जाए.

    सुरक्षा कर्मचारियों को विजिटर कार्ड की सावधानीपूर्वक जांच करने और अपने पास मौजूद अनुमोदित सूची के साथ इसकी जांच करने का आदेश दिया गया है.

    (हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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नियम क्या कहते हैं?

सदन के नियम सुरक्षा कर्मचारियों को दर्शक दीर्घा में कड़ी निगरानी रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य करते हैं कि विजिटर्स किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न करें और न ही चैंबर में कूदने की कोशिश करें.

विजिटर्स (संसदीय भाषा में "अजनबी") का "प्रवेश, वापसी और निष्कासन" लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 386 द्वारा शासित होता है.

जिसमें कहा गया है कि "सदन की बैठकों के दौरान सदन के उन हिस्सों में अजनबियों का प्रवेश जो सदस्यों के विशेष उपयोग के लिए आरक्षित नहीं हैं, उसे अध्यक्ष द्वारा दिए गए आदेशों के तहत रेगुलेट किया जाएगा".

नियम 387 अध्यक्ष को यह शक्ति देता है कि अगर वह उचित समझे तो सदन के किसी भी हिस्से से "अजनबियों" को हटा सकता है.

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संसद में 'अजनबियों' की एंट्री की क्या प्रक्रिया है?

एमएन कौल और एसएल शकधर द्वारा लिखित "संसद की कार्यप्रणाली और प्रक्रिया" के मुताबिक, "एक सदस्य केवल उन लोगों के लिए विजिटर्स कार्ड जारी करने के लिए आवेदन कर सकता है, जिन्हें वो व्यक्तिगत रूप से बहुत अच्छी तरह से जानते हैं".

विजिटर कार्ड के लिए आवेदन करने वाले सदस्यों को एक प्रमाणपत्र भी देना अनिवार्य होता है. जिसमें लिखा होता है, "उपर्युक्त नामित आगंतुक मेरा रिश्तेदार/व्यक्तिगत मित्र है/मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूं और मैं उसके लिए पूरी जिम्मेदारी लेता हूं." सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए, आगंतुकों को एक फोटो पहचान पत्र ले जाना भी अनिवार्य है.

नियमों के मुताबिक, आगंतुकों को अपना पूरा नाम बताना होता है. इसके साथ ही, “आगंतुक के पिता/पति का नाम भी अनिवार्य रूप से पूरा देना होता है. सार्वजनिक गैलरी में प्रवेश कार्ड के लिए आवेदन केंद्रीकृत पास इशू सेल (CPIC) में विजिट की तारीख से पहले के वर्किंग डे पर शाम 4 बजे तक जमा कराना होता है".

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क्या पास एक निश्चित समय के लिए जारी किए जाते हैं?

विजिटर कार्ड आमतौर पर किसी सदस्य को किसी विशेष दिन के लिए निश्चित घंटों के लिए जारी किए जाते हैं. हालांकि, कुछ मामलों में, नियम दो कार्ड जारी करने की अनुमति देते हैं.

एक प्रावधान यह भी है जो सदस्यों को आपातकालीन मामलों में उसी दिन विजिटर कार्ड के लिए आवेदन करने की अनुमति देता है जब उनके लिए निर्धारित समय सीमा के भीतर आवेदन करना संभव नहीं होता है.

ऐसे मामले में अगर सीट खाली रहती है तो निम्नलिखित शर्तों पर एक सदस्य को CPIC से एक कार्ड जारी किया जाता है:

  1. किसी सदस्य को किसी विशेष दिन के लिए चार से अधिक 'एक ही दिन' विजिटर कार्ड जारी नहीं किए जाते हैं.

  2. सदस्य को खुद जाकर कार्ड प्राप्त करना होता है.

  3. कार्ड पर समय सीमा लिखी हुई होती है.

  4. आवेदन प्राप्त होने के कम से कम दो घंटे बाद कार्ड उपयोग के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं.

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संसद में कितने तरह के दर्शक दीर्घा हैं?

लोकसभा में दो प्रकार की दीर्घाएं होती हैं:

  1. सार्वजनिक दीर्घा

  2. अध्यक्ष दीर्घा

एक सदस्य सार्वजनिक दीर्घा में एक दिन में चार लोगों को एंट्री करवा सकता है, जबकि अध्यक्ष की गैलरी में केवल दो लोगों की ही एंट्री हो सकती है. अध्यक्ष दीर्घा के लिए आगंतुकों के नामों की जांच अध्यक्ष द्वारा की जानी चाहिए. नियम के मुताबिक, सदस्य कार्ड में लिखे गए समय से पहले अपने मेहमानों की एंट्री नहीं करा सकता हैं.

राज्य सभा में विजिटर्स की एंट्री के लिए भी यही नियम लागू होते हैं. उच्च सदन की सार्वजनिक दीर्घा में प्रवेश के लिए विजिटर कार्ड का आवेदन जिस दिन एंट्री चाहिए उससे एक दिन पहले दोपहर तीन बजे तक देना होता है.

नियमों के मुताबिक, एक सदस्य किसी ऐसे व्यक्ति के लिए विजिटर कार्ड के लिए आवेदन कर सकता है जो उसे व्यक्तिगत रूप से जानता है या चुनिंदा मामलों में उन लोगों के लिए, जिन्हें सदस्य से किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा मिलवाया गया है जो उसे व्यक्तिगत रूप से जानता है.

दिशानिर्देश के मुताबिक, दर्शक दीर्घा में होने वाली किसी अप्रिय घटना या अवांछनीय चीज के लिए सदस्य जिम्मेदार हैं.
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सुरक्षा जांच की प्रक्रिया

लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय द्वारा जारी नियमित बुलेटिन सदस्यों को आगंतुकों के प्रवेश के लिए अपनाई जाने वाली सुरक्षा प्रक्रियाओं के बारे में सूचित करते हैं.

गाइडलाइन के मुताबिक, सार्वजनिक दीर्घा चेकिंग पोस्ट पर तैनात संसद सुरक्षा कर्मचारी यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी आगंतुकों की डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर/हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर (DFMD/HHMD) के माध्यम से तलाशी ली जाए.

सुरक्षा कर्मचारियों को विजिटर कार्ड की सावधानीपूर्वक जांच करने और अपने पास मौजूद अनुमोदित सूची के साथ इसकी जांच करने का आदेश दिया गया है.

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