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खुला PM म्यूजियम, नेहरू-वाजपेयी से मनमोहन तक की गैलरी, मोदी अभी नहीं

प्रधानमंत्रियों के परिवारों ने पीएम म्यूजियम के लिए दी हैं खास निशानियां, इन आठ प्वॉइंट्स में समझिए इस म्यूजियम को

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने हाल ही में संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर (BR Ambedkar) की जयंती के मौके पर तीन मूर्ति भवन परिसर में जिस नवनिर्मित प्रधानमंत्री संग्रहालय (PM Sangrahalaya) का उद्घाटन किया था, वह आज 21 अप्रैल से आम लोगों के लिए खुलने वाला है. इसी के साथ घूमने-फिरने के शौकीन और जानकारी की चाह रखने वालों को राजधानी दिल्ली में एक और ठौर मिल जाएगा. आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर देश को जिस प्रधानमंत्री संग्रहालय की सौगात मिली है, उसमें क्या खास है यह हम आपको बिंदुवार तरीके से इस आर्टिकल के माध्यम से बताने जा रहे हैं.

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जानें पूरे संग्रहालय को

प्रधानमंत्रियों के परिवारों ने पीएम म्यूजियम के लिए दी हैं खास निशानियां, इन आठ प्वॉइंट्स में समझिए इस म्यूजियम को

दिल्‍ली के तीन मूर्ति परिसर में निर्मित इस प्रधानमंत्री संग्रहालय में पूर्व प्रधानमंत्रियों की पुरानी तस्वीरें, समाचार पत्र, वीडियो क्लिप, इंटरव्यू, भाषण, जैसी चीजें देखने को मिलेंगी.

यहां उनके महत्वपूर्ण पत्र, रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुएं, गिफ्ट, सम्मान, पदक, उनके नाम पर छपे टिकट-सिक्के आदि भी प्रदर्शित किए गए हैं. संग्रहालय का उद्देश्य देश के 14 पूर्व-प्रधानमंत्रियों के योगदान व व्यक्तित्व के बारे में जागरूकता लाना है, चाहे वह किसी विचारधारा के रहे हों.

इसके ग्राउंड फ्लोर पर दो नई दीर्घाएं कॉन्स्टिट्यूशन गैलरी और 'इंडिया एट इंडिपेंडेंस: ब्रिटिश लीगेसी' जोड़ी गई हैं. नए संग्रहालय का मुख्य परिसर ब्लॉक 2 अशोक चक्र के आकार में बनाया गया है. यहीं से पर्यटक विभिन्न दीर्घाओं तक जाते हैं. इसी फ्लोर पर गुलजारीलाल नंदा, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, पी वी नरसिम्हा राव, एच डी देवेगौड़ा, आई के गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह की गैलरीज हैं.
प्रधानमंत्रियों के परिवारों ने पीएम म्यूजियम के लिए दी हैं खास निशानियां, इन आठ प्वॉइंट्स में समझिए इस म्यूजियम को

पहली मंजिल पर राजीव गांधी, वीपी सिंह, चंद्रशेखर, मोरारजी देसाई और चरण सिंह को समर्पित गैलरीज हैं.

शास्त्री गैलरी हरित क्रांति और 1965 के भारत-पाक युद्ध में उनकी भूमिका पर प्रकाश डालती है. इंदिरा गैलरी बांग्लादेश की मुक्ति और बैंकों के राष्ट्रीयकरण में भारत की भूमिका पर प्रकाश डालती है.

वाजपेयी गैलरी उन्हें एक महान सांसद और वक्ता के रूप में बताती है, और कारगिल युद्ध में भारत की जीत व पोखरण परमाणु परीक्षणों पर प्रकाश डालती है. मनमोहन सिंह के योगदानों में 1990 के दशक की शुरुआत में आर्थिक सुधार और अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु समझौता दिखाए गए हैं.

पीएम म्यूजियम की खास बातें

प्रधानमंत्रियों के परिवारों ने पीएम म्यूजियम के लिए दी हैं खास निशानियां, इन आठ प्वॉइंट्स में समझिए इस म्यूजियम को

संग्रहालय में कुल 43 गैलरी हैं और इसे बनाने पर 306 करोड़ रुपये की लागत आई है. स्वतंत्रता संग्राम और संविधान के निर्माण के समय से लेकर विकासशील भारत के प्रधानमंत्रियों तक संग्रहालय यह दास्तां दिखाता है कि कैसे हमारे प्रधानमंत्रियों ने चुनौतियों के बीच से भी देश को आगे बढ़ाया.

  • प्रधानमंत्री संग्रहालय में जो जानकारियां दिखाई जा रही हैं, उनका संदर्भ प्रसार भारती, फिल्म प्रभाग, संसद टीवी, दूरदर्शन, मीडिया हाउस, रक्षा मंत्रालय, विदेशी समाचार एजेंसियों आदि संस्थानों से लिया गया है.

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे बनाने के लिए विशेष प्रयास किए पर उनके कार्यकाल (2014 से अब तक) को इस म्यूजियम का हिस्सा नहीं बनाया गया है. आखिरी गैलरी में प्रधानमंत्री के रूप में डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल को दिखाया गया है. 2014 से पीएम मोदी के कार्यकाल पर आगे काम किया जाएगा.

  • संग्रहालय को पुराने और नए आधार को मिलाकर पूर्ण आकार दिया गया है. ब्लॉक 1 पहले से बना हुआ हिस्सा है जिसमें तीन मूर्ति भवन शामिल है, इसे ब्लॉक 2 के रूप में बने नए प्रधानमंत्री संग्रहालय से मिला दिया गया है. दोनों ब्लॉकों का कुल क्षेत्रफल 15,619 वर्ग मीटर हो गया है.

  • संग्रहालय की इमारत में सस्टेनेबल तरीकों से ऊर्जा बचाने की तकनीक अपनाई गई है. संग्रहालय के निर्माण कार्य के दौरान न तो किसी पेड़ को काटा गया है और न ही पेड़ को स्थानांतरित किया गया.

  • यह प्रधानमंत्री संग्रहालय जिस तीन मूर्ति कॉम्प्लेक्स में बनाया गया है, वह देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू का 16 साल तक आवास रहा.

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ऐसे इकट्ठा हुई सामग्री

पिछले दो वर्षों में, सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवारों से अनुरोध किया गया था कि वे उनसे जुड़ी कुछ व्यक्तिगत वस्तुओं को प्रदर्शित करने के लिए दें. शास्त्री के परिवार ने उनका चरखा, बैडमिंटन रैकेट और कुछ पत्र दिए.

मोरारजी के परिवार ने उनकी भगवद गीता की प्रति, उनकी गांधी टोपी, कलम और रुद्राक्ष माला दान में दी. शास्त्री जी की फिएट कार भी यहां देखने को मिलेगी. जिसे उन्होंने 1964 में पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद खरीदा था.

चंद्रशेखर की कुछ हस्तलिखित डायरियां प्रदर्शित की गई हैं. वाजपेयी का भारत रत्न पदक, चश्मा, कलाई घड़ी और कुछ पत्र उनके संग्रह से लाकर यहां रखे गए हैं.

डिस्प्ले में दिखाई तस्वीरें, भाषण, समाचार पत्र साक्षात्कार और कुछ मूल लेखन को रिसर्च के जरिए जुटाया गया. वीडियो क्लिप्स दूरदर्शन, फिल्म प्रभाग, संसद टीवी, रक्षा मंत्रालय, भारतीय और विदेशी मीडिया घरानों और समाचार एजेंसियों से एकत्र किए गए थे. नेताओं के बारे में बहुमूल्य जानकारी का परिवारों से लिया गया अधिकांश हिस्सा स्थायी लाइसेंस पर हासिल किया गया है.

यह रहेंगे निर्देश

मार्च से अक्टूबर तक इसके खुलने का समय सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक रहेगा. नवंबर से फरवरी तक समय सीमा एक घंटे कम करके सुबह 10 से शाम 5 बजे तक कर दी जाएगी. हर सोमवार को और सरकारी अवकाश वाले दिन यह म्यूजियम बंद रहेगा.

टिकट ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से उपलब्ध हैं. भारतीय और विदेशियों के लिए टिकट दर अलग-अलग रखी गई है. भारतीयों को ऑनलाइन के 100 रुपये और ऑफलाइन टिकट पर 110 रुपये देने होंगे. विदेशियों को यहां भ्रमण के लिए 750 रुपये का भुगतान करना होगा.

12 साल से छोटे बच्चों का आधा ही टिकट लगेगा, इनमें भी बच्चे पांच साल से छोटे हैं तो टिकट लगेगा ही नहीं. स्कूल-कॉलेजों के छात्रों को व 20 के ग्रुप में आने वालों को 25 प्रतिशत की छूट होगी. संग्रहालय की जानकारी टिकट बुकिंग इसकी वेबसाइट pmsangrahalaya.gov.in पर अवेलेबल है.

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टिकट के पैकेज भी बनाए गए

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यहां का टूर करने के लिए टिकट पैकेज के रूप में भी उपलब्ध हैं.

  • जो लोग संग्रहालय घूमने के साथ शाम का लाइट एंड साउंड शो देखना चाहते हैं तो (संग्रहालय + लाइट एंड साउंड शो) पैकेज की टिकट ऑनलाइन 150 रुपये और ऑफलाइन 160 रुपये में मिल जाएगी.

  • म्यूजियम में 12 साल से ऊपर के लोगों की तारामंडल में भी एंट्री है. इस पैकेज (संग्रहालय + प्लैनेटेरियम) के लिए ऑनलाइट टिकट 150 रुपये और ऑफलाइन 160 रुपये की रखी गई है.

  • इन तीनों का कॉम्बो पैकेज (संग्रहालय + प्लैनेटेरियम + लाइट एंड साउंड शो) भी मिल सकता है, इसके लिए ऑनलाइन टिकट 200 में और ऑफलाइन 220 रुपये में मिलेगी. अकेले लाइट एंड साउंड शो की ऑनलाइन टिकट 75 और ऑफलाइन 85 रुपये की है.

तकनीक का खूब प्रयोग

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संग्रहालय में इंटरैक्टिव और आकर्षक तरीके से सामग्री प्रस्तुत करने के लिए टेक्नोलॉजी बेस्ड इंटरफेस रखा गया है. इसी तकनीकी प्रयोग के तहत इसमें लाल किले का एक माॅडल रखा गया है, जिस पर अब तक प्रधानमंत्रियों के दिए गए भाषण थ्रीडी प्रोजेक्टर से होलोग्राम के रूप में रूबरू सुनने का अनुभव कर सकेंगे.

यहां एक अनुभूति’ एंगेजमेंट जोन बनाया गया है, जिसमें पीएम के साथ सेल्फी लेने, उनकी हैंडराइटिंग रोबॉट से लिखवाने, स्केच ऐप और मेमोरी वॉल जैसे अट्रेक्शन दिए गए हैं. इसमें ‘भविष्य की झलकियां’ नाम का एक वर्चुअल रिएलिटी शो भी होगा,

जिसमें पर्यटकों को हेलीकॉप्टर में बैठाकर देश की भविष्य की तस्वीर दिखाई जाएगी. यहां एक ‘टाइम मशीन’ भी बनाई गई है, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्रियों के बारे में जानकर पास्ट में जाने का अनुभव कर सकेंगे. म्यूजियम में ऑगमेंटेड रिएलिटी, वॉकिंग आइडॉल, इंटरेक्टिव कियोस्क आदि को शुमार किया गया है, जो तकनीक के प्रयोग से रोचक अंदाज में नॉलेज देंगे.

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नेहरु काे भुलाया नहीं

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कुछ अफवाहें हैं कि यह संग्रहालय देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू के 16 साल तक आवास रहे तीन मूर्ति कॉम्प्लेक्स में बनाया गया है, और उनकी यादों पर ही इसमें ध्यान नहीं दिया जा रहा है. तो आपको बता दें कि यह धारणा गलत है.

इस म्यूजियम में पहले से ही बना नेहरू संग्रहालय भवन अभी भी उसी तरह शामिल है. इसका नाम पीएम संग्रहालय ब्लॉक-1 कर दिया गया है. इस संग्रहालय में पं. जवाहरलाल नेहरू के जीवन व योगदान से संबंधित अब तक की सारी जानकारियां मौजूद हैं.

नेहरू स्मारक म्यूजियम और लाइब्रेरी परिसर को प्रधानमंत्री संग्रहालय का हिस्सा बनाने इसका और अच्छे से व विस्तृत तरीके से निर्माण किया गया है. दुनिया भर से नेहरू को मिले कई उपहार, जिन्हें अब तक प्रदर्शित ही नहीं किया गया था, वे म्यूजियम की पहली मंजिल पर तोशखाने में प्रदर्शित किए गए हैं.

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ऐसे चली निर्माण टाइमलाइन

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इस संग्रहालय का विचार 2016 में रखा गया था. चूंकि तीन मूर्ति एस्टेट नेहरू का निवास था, इसलिए कांग्रेस ने इस विचार का विरोध किया

कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) और तीन मूर्ति परिसर के स्ट्रक्चर को बदलने को एजेंडा बताते हुए इस पर चिंता व्यक्त करने वाला पत्र पीएम मोदी को लिखा.

2018 में 270 करोड़ रुपये की इस परियोजना को मंजूरी दी गई थी, और एनएमएमएल को मई 2019 में परियोजना के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया. क्यूरेशन मुद्दों में देरी के साथ-साथ कोरोना लॉकडाउन के कारण परियोजना देर से पूरी हुई. बनने के बाद इसकी अंतिम लागत 306 करोड़ रुपये आई. कुल 10,491 वर्ग मीटर के इस संग्रहालय की 43 दीर्घाएं में एक बार में 4,000 आगंतुक आ सकते हैं.

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