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RBI की रीटेल डायरेक्ट स्कीम PM मोदी ने की लॉन्च, क्या है ये?

क्या है RBI की ये नई स्कीम और क्या होती है सरकारी सिक्योरिटीज?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने 12 नवंबर को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की रिटेल डायरेक्ट स्कीम लॉन्च की. इस स्कीम के बाद रीटेल निवेशकों के लिए सरकारी सिक्योरिटीज को खरीदना आसान हो जाएगा.

क्या है RBI की ये नई स्कीम और क्या होती है सरकारी सिक्योरिटीज? जानिए.

RBI की रीटेल डायरेक्ट स्कीम PM मोदी ने की लॉन्च, क्या है ये?

  1. 1. क्या है RBI की रिटेल डायरेक्ट स्कीम?

    RBI की रिटेल डायरेक्ट सुविधा की घोषणा गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसी साल फरवरी में की थी. दास ने इसे बड़ा सुधार बताया था. इस स्कीम से रीटेल निवेशकों की सरकारी सिक्योरिटीज मार्केट तक पहुंच आसान हो जाएगी. वहीं, रीटेल निवेशक अब मुफ्त में RBI में अपना सरकारी सिक्योरिटीज अकाउंट (रिटेल डायरेक्ट गिल्ट अकाउंट- RDG) खोल सकते हैं.

    RDG अकाउंट को ऑनलाइन खोला जा सकता है. इसका फॉर्म सबमिट करने के लिए आपको रजिस्टर्ड फोन नंबर और ईमेल आईडी पर आए OTP को भरना होगा. इसका भुगतान, लिंक किए गए बैंक खाते से नेट बैंकिंग/यूपीआई सुविधा के जरिये किया जा सकता है. अगर कोई रिफंड होता है, तो वो तय समयसीमा के मुताबिक निवेशक के बैंक खाते में जमा हो जाएगा.

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  2. 2. क्या होती है सरकारी सिक्योरिटीज?

    सरकारी सिक्योरिटीज मूल रूप से सरकार द्वारा जारी उधार है. इन्हें G-Sec भी कहा जाता है. RBI के मुताबिक, सरकारी सिक्योरिटी, केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी एक ट्रेड किया जाने वाला इंस्ट्रूमेंट है. केंद्र सरकार और राज्य सरकारें फंड जुटाने के लिए इन्हें जारी करती हैं.

    ये दो तरह के होते हैं- ट्रेजरी बिल और डेट सिक्टोरिटी. ट्रेजरी बिल 91 दिनों, 182 दिनों और 364 दिनों के लिए जारी किए जाते हैं. वहीं, डेट सिक्योरिटी 5 से 40 सालों तक के लिए जारी किए जाते हैं.

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  3. 3. सरकारी सिक्योरिटीज कैसे जारी की जाती है?

    ये सिक्योरिटीज RBI द्वारा आयोजित नीलामी के जरिये जारी होती हैं. नीलामी RBI के ई-कुबेर प्लेटफॉर्म पर आयोजित की जाती है. कॉमर्शियल बैंक, बीमा कंपनियां आदि इस प्लेटफॉर्म के सदस्य हैं. ई-कुबेर के सभी सदस्य इसके जरिये नीलामी में अपनी बोली लगा सकते हैं.

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  4. 4. क्या सरकारी सिक्योरिटी टैक्स फ्री हैं?

    बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की तरह, सरकारी सिक्योरिटीज (G-Secs) टैक्स फ्री नहीं हैं. हालांकि, ऐसा नहीं है कि इसमें जोखिम नहीं है. सरकारी सिक्योरिटीज ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव के अधीन हैं.

    (इनपुट्स: The Indian Express)

    (क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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क्या है RBI की रिटेल डायरेक्ट स्कीम?

RBI की रिटेल डायरेक्ट सुविधा की घोषणा गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसी साल फरवरी में की थी. दास ने इसे बड़ा सुधार बताया था. इस स्कीम से रीटेल निवेशकों की सरकारी सिक्योरिटीज मार्केट तक पहुंच आसान हो जाएगी. वहीं, रीटेल निवेशक अब मुफ्त में RBI में अपना सरकारी सिक्योरिटीज अकाउंट (रिटेल डायरेक्ट गिल्ट अकाउंट- RDG) खोल सकते हैं.

RDG अकाउंट को ऑनलाइन खोला जा सकता है. इसका फॉर्म सबमिट करने के लिए आपको रजिस्टर्ड फोन नंबर और ईमेल आईडी पर आए OTP को भरना होगा. इसका भुगतान, लिंक किए गए बैंक खाते से नेट बैंकिंग/यूपीआई सुविधा के जरिये किया जा सकता है. अगर कोई रिफंड होता है, तो वो तय समयसीमा के मुताबिक निवेशक के बैंक खाते में जमा हो जाएगा.

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क्या होती है सरकारी सिक्योरिटीज?

सरकारी सिक्योरिटीज मूल रूप से सरकार द्वारा जारी उधार है. इन्हें G-Sec भी कहा जाता है. RBI के मुताबिक, सरकारी सिक्योरिटी, केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी एक ट्रेड किया जाने वाला इंस्ट्रूमेंट है. केंद्र सरकार और राज्य सरकारें फंड जुटाने के लिए इन्हें जारी करती हैं.

ये दो तरह के होते हैं- ट्रेजरी बिल और डेट सिक्टोरिटी. ट्रेजरी बिल 91 दिनों, 182 दिनों और 364 दिनों के लिए जारी किए जाते हैं. वहीं, डेट सिक्योरिटी 5 से 40 सालों तक के लिए जारी किए जाते हैं.

सरकारी सिक्योरिटीज कैसे जारी की जाती है?

ये सिक्योरिटीज RBI द्वारा आयोजित नीलामी के जरिये जारी होती हैं. नीलामी RBI के ई-कुबेर प्लेटफॉर्म पर आयोजित की जाती है. कॉमर्शियल बैंक, बीमा कंपनियां आदि इस प्लेटफॉर्म के सदस्य हैं. ई-कुबेर के सभी सदस्य इसके जरिये नीलामी में अपनी बोली लगा सकते हैं.

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क्या सरकारी सिक्योरिटी टैक्स फ्री हैं?

बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की तरह, सरकारी सिक्योरिटीज (G-Secs) टैक्स फ्री नहीं हैं. हालांकि, ऐसा नहीं है कि इसमें जोखिम नहीं है. सरकारी सिक्योरिटीज ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव के अधीन हैं.

(इनपुट्स: The Indian Express)

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