एक ट्रेन जिसमें आग लगी हुई है वह पटरी से उतर जाती है और उसमें कभी भी विस्फोट हो सकता है, वहीं जब ट्रेन पुल से नीचे गिरती है तो एक लड़का नीचे नदी पर डोंगे में फंस जाता है, वह चारों ओर से आग की लपटों से घिर जाता है. तभी डरे हुए प्रत्यक्षदर्शियों के बीच से दो आदमी चीरते हुए निकलते हैं, जो आंखों ही आंखों में बात करते हैं. इन दोनों में से एक शख्स घोड़े पर सवार रहता है तो दूसरा बाइक पर.
वे अपनी कमर में एक रस्सी बांधते हुए, एक प्लान बनाते हैं : योजना के अनुसार वे पुल से हवा में ऐसे उछलते हैं जैसे किसी तोप से गोला निकल रहा हो और पुल के नीचे जाकर पेंडुलम की तरह दोलन करते हुए नजर आते हैं. प्लान सक्सेस होता है, उनमें से एक शख्स लड़के का हाथ पकड़ता और सामने वाले शख्स की ओर उछाल देता है, जबकि दूसरा शख्स सामने वाले की तरफ गीला झंडा फेंकता ताकि वह आग की लपटों से बच जाए. आग की लपटों से निकलने वाला शख्स कोमाराम भीम (जूनियर एनटीआर) है, और इस प्लान को तैयार करने वाला शख्स अल्लूरी सीताराम राजू (राम चरण) है.
आंग ली और राजामौली की दुनिया
लड़के को उछालने के बाद जैसे ही दोनों वापस लटकते हैं, वे हवा में एक-दूसरे की बाहों को थाम लेते हैं. यहां पर दो ताकतों (बलों) का संकेत मिलता है; यहां पर एक भाई आग और एक पानी में अभिषेक करता हुआ दिखाई देता है.
इस रोमांचक और हैतरअंगेज सीक्वेंस की रूपरेखा जिस शख्स ने तैयार की है वह कोई और सिर्फ और सिर्फ एसएस राजामौली (SS Rajamouli) हैं.
RRR में कई आश्चर्यजनक और इमोशनल सीन दिखाए गए हैं, उनमें से यह आईकॉनिक "ट्रेन सीक्वेंस" एक है. यह भारतीय ब्लॉकबस्टर मूवी (RRR) न केवल अमेरिका में बल्कि जापान और चीन में भी बड़ी तेजी से एक लैंडमार्क फिल्म बन गई है.
RRR से पहले आखिरी बार जब हमने ऐसी कोई मूवी देखी थी, जिसमें इंसानों को ऐसे मूल स्टंट कोरियोग्राफी के साथ हवा में छलांग लगाते हुए दिखाया गया था, जिसे देखकर पूरी दुनिया आश्चर्यचकित रह गई थी. वह फिल्म थी आंग ली की 'क्राउचिंग टाइगर, हिडन ड्रैगन (2000)', जिसने एक गैर-अंग्रेजी फिल्म के लिए सबसे अधिक अकादमी पुरस्कार नॉमिनेशन प्राप्त करने का रिकॉर्ड बनाया था.
RRR की वैश्विक लोकप्रियता के लिए कभी भी कोई एक एक्सप्लेनेशन नहीं हो सकता है, सिवाय इसके कि जिस तरह से आंग ली की फिल्म भारतीय दर्शकों के लिए थी, वैसे ही आरआरआर अमेरिकी दर्शकों के लिए है. आइए उन फैक्टर्स की पहचान करने का प्रयास करें जिन्होंने आरआरआर को आगामी अकादमी पुरस्कारों के लिए नामांकन प्राप्त करने में योगदान दिया है.
RRR ने वहां अपनी चमक बिखेरी जहां मार्वल फेल हो गई
बॉक्स ऑफिस पर शायद ही कभी किसी फिल्म को दूसरा जीवन मिलता है, वह भी तब जब उसका प्रचार पूरी तरह से मौखिक रूप से किया गया हो. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के थिएटर्स में कुछ हफ्तों के प्रदर्शन के बाद RRR को अमेरिका में केवल एक रात के लिए प्रदर्शित किया गया था. यह स्क्रीनिंग इस फिल्म के विदेशी डिस्ट्रीब्यूटर सरिगामा सिनेमा और वेरिएंस फिल्म्स और पोटेंटेट फिल्म्स के बीच एक समझौते के तहत की गई थी.
महामारी के बीच जब धीरे-धीरे सब पटरियों पर लौट रहा था, तब अमेरिका में दो चीजें एक साथ हुईं : पहली यह कि हॉलीवुड टेंटपोल फिल्मों ने दर्शकों को नए सिनेमाई अनुभव प्रदान करना बंद कर दिया जिसे दर्शकों ने पहले नहीं देखा था और दूसरी यह कि मार्वल सुपरहीरो फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करने में विफल रहीं.
भारत में पहले से ही ब्लॉकबस्टर घोषित RRR ने ऐसे समय पर अमेरिका का दौरा किया जब हॉलीवुड की हाई-प्रोफाइल फिल्में दर्शकों को आकर्षित करने के लिए संघर्ष कर रही थीं, वहां के दर्शक "पॉपकॉर्न एंटरटेनर्स" के लिए बेताब थे." हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि अमेरिका के अन्य हिस्सों में अपना डंका बजाने से पहले RRR को मैनहट्टन में केवल एक रात के लिए प्रदर्शित किया जाना था. अचानक से, हर कोई सोशल मीडिया पर RRR के बारे में चर्चा करने लगा था. कम से कम दर्जन भर हॉलीवुड लेखकों और निर्देशकों ने इस फिल्म के बारे में ट्वीट किया. वहीं अमेरिका में नेटफ्लिक्स की टॉप फाइव में एंट्री करने के बावजूद इस फिल्म की स्क्रीनिंग की मांग बढ़ रही थी.
जिस तरह से RRR ने अमेरिका में धूम मचाई वह अकल्पनीय है. आम धारणा के विपरीत वहां इसके प्रचार में पीआर मशीनरी ने बहुत कम भूमिका निभाई.
RRR को एक फिल्म कहना शायद इसके साथ पूरी तरह से न्याय नहीं होगा. फिल्ममेकर राम गोपाल वर्मा ने इसे "सर्कस" कहा है. शायद वह सही हैं. अवतार मूवी के फिल्ममेकर जेम्स कैमरन, जिनकी फिल्मों से राजामौली प्रेरणा लेते हैं, उन्होंने (कैमरन ने) RRR का गुणगान करते हुए कहा कि "उन्हें और आपके सेटअप-आग, पानी, कहानी- को देखना बहुत ही खास अनुभव था. एक के बाद एक कुछ नया प्रकट हो रहा था. ऐसा लगता है कि ये सभी एक होमली सेटअप है. इसमें सबकुछ था."
कैमरन ने आगे कहा कि RRR "काफी पावरफुल है" और जिस तरह से आपने (राजामौली ने) "इस फिल्म में सब कुछ झोंक दिया; उससे यह फिल्म एक फुल शो बन गई", मैं आपके इस काम से से प्यार करता हूं. शायद वह सही भी है. केवल तीन भारतीय फिल्मों-मदर इंडिया, सलाम बॉम्बे, और लगान- को ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया है. लेकिन ऑस्कर के इतिहास में इससे पहले कभी भी ऐसा कोई मामला नहीं देखने को मिला है जहां किसी भारतीय फिल्म ने ऐसी मिसाल कायम की हो.
RRR स्वतंत्रता के पूर्व की कहानी को दिखाती है. यह फिल्म दो क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों (अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम) की काल्पनिक कहानी को दिखाती है, जो ब्रिटिश साम्राज्यवाद से लड़ने के लिए एकजुट हो जाते हैं. हालांकि रियल लाइफ में उन्होंने कभी भी ऐसी कोई मुलाकात नहीं की थी.
राष्ट्रवाद एक कॉमन विशेषता है, जो RRR के साथ अन्य दो ऑस्कर नामांकित फिल्मों मदर इंडिया और लगान में देखने को मिलती है. पिछली मूवी में जो राष्ट्रवाद काफी महीन था, उसे RRR में बखूबी प्रकट किया गया है.
हालांकि जब यह फिल्म रिलीज हुई उस समय इसके रिव्यू काफी कमाल थे, लेकिन कुछ जगह RRR को इसके 'हिंदुत्व सबटेक्स्ट' और 'एक प्रमुख जाति को दिखाने' की आलोचना की गई थी. कारवां मैगज़ीन के एक लेख में आरआरआर द्वारा गोंड जनजाति के चित्रण को लेकर "अमानवीयकरण" कहते हुए आलोचना की गई. वहीं वोक्स मैग्जीन में छपे एक अन्य आर्टिकल ने क्लाइमेक्स में रामायण और महाभारत जैसे हिंदू पौराणिक कथाओं के साथ तुलना करके भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को दो हिंदू शख्सियतों के वीरतापूर्ण कार्यों तक सीमित करने के लिए इस फिल्म की आलोचना की है. लेकिन क्या इस तरह की आलोचना अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों के सामने कुछ मायने रखती है?
ऑस्कर में कहां हैं RRR की संभावनाएं
फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (एफएफआई) हर साल नामांकित होने पर सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म श्रेणी के लिए आधिकारिक तौर पर ऑस्कर में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक फिल्म चुनती है. एफएफआई ने इस साल गुजराती फिल्म छेलो शो भेजकर RRR के अवार्ड जीतने की संभावना को कम कर दिया है. इसका मतलब यह है कि RRR सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म श्रेणी में प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकती है, लेकिन अन्य श्रेणियों जैसे बेस्ट पिक्चर्स, बेस्ट सॉन्ग, बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट स्क्रीनप्ले में प्रतिस्पर्धा कर सकती है.
जब ऑस्कर की दौड़ की बात आती है तो कई अलग-अलग थ्योरी वहां मौजूद होती हैं. सबसे सटीक बात यह है कि ऑस्कर एक कैसीनो है जिसे केवल पैसे वाले लोग ही खेल सकते हैं और आनंद उठा सकते हैं.
द न्यू यॉर्कर ने 2017 की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि वोटर्स की लॉबी के लिए ऑस्कर अभियानों पर स्टूडियो 15 मिलियन डॉलर से अधिक खर्च करते हैं.
टाइम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्कर कैंपेन शुरू होने से काफी पहले अकादमी अवार्ड्स के मेंबर्स ऐसी अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों की तलाश करते हैं जो फेस्टिवल सर्किट और प्रेस (मीडिया) के बीच जमकर चर्चा पैदा करती हों.
उदाहरण के लिए 2019 में दक्षिण कोरियाई फिल्म निर्माता बोंग जून-हो की पैरासाइट ने अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में जमकर धूम मचाया था; इस फिल्म ने प्रतिष्ठित कान्स फिल्म फेस्टिवल में पाल्मे डी'ओर, बाफ्टा (ब्रिटिश एकेडमी फिल्म अवार्ड्स) में सर्वश्रेष्ठ मूल पटकथा और सर्वश्रेष्ठ गैर-अंग्रेजी फिल्म, और गोल्डन ग्लोब अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म का पुरस्कार जीता था. पैरासाइट ने ऑस्कर की दौड़ से पहले ही चारों ओर एक मजबूत चर्चा स्थापित कर ली थी, आखिरकार 2020 में इस मूवी ने चार अकादमी पुरस्कार अपने नाम किए.
2020 में, मलयालम फिल्ममेकर लिजो जोस पेलिसरी की जल्लीकट्टू ने उस समय हलचल मचा दी थी, जब इसे आधिकारिक चयन के रूप में चुना गया था. हालांकि तब कई लोगों ने तर्क दिया कि अगर इसके बजाय द डिसिपल को चुना गया होता तो उसके पास कम से कम लड़ने का मौका होता. यह तर्क इसलिए था क्योंकि द डिसिपल में मैक्सिकन फिल्ममेकर अल्फोंसो क्वारोन की सीधी भागीदारी थी, उनकी फिल्म रोमा ने 2019 में तीन ऑस्कर जीते थे.
इसी तरह, पिछले साल के फिल्म समारोहों में तमिल फिल्म कूझंगल (पेबल्स) को स्क्रीनिंग के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समीक्षकों से जबरदस्त मौखिक स्वीकृति मिली थी. इस फिल्म ने रॉटरडैम फिल्म फेस्टिवल 2021 में टाइगर अवार्ड जीता, जो कि सर्वोच्च सम्मान है.
एक अन्य थ्योरी यह भी है कि वोटिंग करने वाले मेंबर्स उन फिल्मों के प्रति पक्षपाती हैं जिनसे अमेरिकी दर्शक खुद को रिलेट करते हैं; ऐसी फिल्में जिनकी फिल्म मेकिंग स्टाइल हॉलीवुड से प्रभावित है लेकिन उनका कैरेक्टर अलग है. यही वह बात है जिससे RRR अमेरिका में अपनी चमक बिखेर रही है. यह एक ऐसी फिल्म बनाने में भारत के अब तक के सबसे नजदीक है जो अपने दायरे और अभिनय (हैरतअंगेज दृश्यों) में बेहद कल्पनाशील है, और इसके बावजूद भी दृढ़ता से भारतीय फिल्म-निर्माण संवेदनाओं में निहित है.
जैसा कि तमिल फिल्ममेकर वेत्रिमारन (जिनकी फिल्म विसरनाई 2016 में ऑस्कर के लिए भारत की ऑफिशियल सलेक्शन थी) ने एक बार साक्षात्कार के दौरान कहा था कि "ऑस्कर्स वाइन और डाइन के बारे में हैं, और जीतने वाले घोड़े पर दांव लगाने के बारे में हैं." वेत्रिमारन विसरनाई के लिए अपने ऑस्कर कैंपेन से मिली सीख पर बात करते हुए बोल रहे थे. आप कभी भी यह भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं कि रेस में कौन सा घोड़ा जीत रहा है.
पिछले कुछ वर्षों में इस बात को लेकर विवाद रहा है कि अमेरिकी दर्शकों के बीच भारतीय मसाला सिनेमा को लेकर क्या धारणा है. उनके द्वारा भारतीय सिनेमा को इस तरह से परिभाषित किया गया है कि इसमें प्रत्यक्ष मेलोड्रामा, गाना और डांस होता है, वहीं इसका रनटाइम जरूरत से ज्यादा होता है; लगान के ऑस्कर में हारने के कारणों में से एक के तौर पर इसका हवाला दिया गया था. दूसरी ओर, RRR में ये सभी तत्व मौजूद हैं वह भी 10 गुना मात्रा में.
चाहे कुछ भी हो, RRR ने अमेरिकियों को खड़े होकर तालियां बजाने और 'नाटू नाटू' के स्टेप्स की नकल करने के लिए मजबूर किया है.
(श्रीवत्सन एस चेन्नई के एक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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