इस्लाम (Islam) धर्म की पवित्र पुस्तक कुरान (Quran) की प्रतियां जलाने के विरोध में स्वीडन (Sweden) के कई शहरों में पुलिस और नागरिकों के बीच हिंसक झड़प की घटना सामने आई है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा भड़कने के बाद आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं भी सामने आई हैं. विरोध करने वाले लोगों के द्वारा कई शहरों में वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया. 15 अप्रैल को शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बाद से अब तक 40 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
स्वीडन क्यों सुलग रहा है, सड़कों पर भड़की हिंसा की वजह क्या है?
1. स्वीडन में क्यों हुई हिंसक घटनाएं?
स्वीडन के नेशनल पुलिस चीफ एंडर्स थॉर्नबर्ग ने कहा कि उन्होंने देश में इस तरह की हिंसक घटनाएं कभी नहीं देखी. बता दें कि स्वीडन 2021 ग्लोबल पीस इंडेक्स में 15 वें स्थान पर हैं.
दक्षिणपंथी स्ट्राम कुर्स पार्टी के नेता डेनिश-स्वीडिश राजनेता रस्मस पालुदन द्वारा आयोजित रैलियों के बाद स्वीडन में तनाव बढ़ते देखा गया. रासमस ने दावा किया कि उसने कुरान की एक प्रति जला दी थी और वो फिर से ऐसा करना चाहता है. इसके बाद देश में विरोध प्रदर्शन के साथ अशांति फैल गई. बता दें कि इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग पवित्र पुस्तक कुरान को जानबूझकर नुकसान पहुंचाना या उसके प्रति गलत व्यवहार करना बेहद आक्रामक माना जाता है.
कौन है रस्मस पालुदन?
रस्मस पालुदन एक डेनिश वकील हैं, जिनके पास स्वीडिश नागरिकता भी है. 2017 में उन्होंने Stram Kurs पार्टी की स्थापना की, जो आप्रवास विरोधी और इस्लाम विरोधी एजेंडे पर चलती है. पार्टी की वेबसाइट के मुताबिक यह डेनमार्क में एक देशभक्त पार्टी है.
Expand2. क्या पहले भी हुए हैं ऐसे दंगें?
2019 के दौरान पिछले डेनिश चुनाव में पालुदन की स्ट्राम कुर्स पार्टी को केवल 1.8% वोट मिले और एक भी सीट नहीं जीत सकी. 2020 में पालदुन को नस्लवाद सहित कई अपराधों के लिए डेनमार्क में एक महीने के लिए जेल में डाल दिया गया था.
2020 के दौरान स्ट्रैम कुर्स पार्टी द्वारा कुरान को जलाने की योजना के खिलाफ इसी तरह का विरोध स्वीडन में हिंसक हो गया था. तब प्रदर्शनकारियों ने कारों में आग लगा दी थी और माल्मो में झड़पों में दुकानों में तोड़फोड़ की गई थी.
स्वीडन में हिंसा कैसे फैली और कौन से शहर प्रभावित हुए?
शुक्रवार, 15 अप्रैल को स्टॉकहोम, रिंकीबी, ओरेब्रो, लिंकोपिंग और नॉरकोपिंग जैसे इलकों में संघर्ष की खबरें आई हैं. दिलचस्प बात यह है कि ये वे इलाके हैं जहां स्ट्रैम कुर्स ने या तो योजना बनाई थी या प्रदर्शन किया था.
शुक्रवार को स्टॉकहोम से करीब 160 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित नोरकोपिंग और पास के लिंकोपिंग में हिंसा की शुरुआत हुई. रिंकीबी के उपनगर स्टॉकहोम और पश्चिमी शहर ओरेब्रो में भी प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच छिटपुट झड़पें हुईं. सोशल मीडिया पर दिख रहे वीडियोज और तस्वीरों में पुलिस की जलती हुई कारों को देखा जा सकता है.
Expand3. क्या कह रहा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय?
स्वीडन के राष्ट्रीय पुलिस कमांडर जोनास हिसिंग ने कहा कि पुलिस और नागरिकों के बीच हुई मुठभेड़ 26 पुलिस और 14 नागरिक घायल हुए हैं, इसके अलावा 20 पुलिस वाहन नष्ट हो गए.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने कहा कि लगभग 200 लोग हिंसा में शामिल थे.
स्वीडन में हुई हिंसा की निंदा करते हुए सऊदी अरब ने इसे स्वीडन में कुछ चरमपंथियों द्वारा पवित्र कुरान का जानबूझकर दुरुपयोग और मुसलमानों के खिलाफ उत्तेजना कहा है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान और इराक ने विरोध दर्ज कराने के लिए स्वीडिश राजदूतों को तलब किया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
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स्वीडन के नेशनल पुलिस चीफ एंडर्स थॉर्नबर्ग ने कहा कि उन्होंने देश में इस तरह की हिंसक घटनाएं कभी नहीं देखी. बता दें कि स्वीडन 2021 ग्लोबल पीस इंडेक्स में 15 वें स्थान पर हैं.
स्वीडन में क्यों हुई हिंसक घटनाएं?
दक्षिणपंथी स्ट्राम कुर्स पार्टी के नेता डेनिश-स्वीडिश राजनेता रस्मस पालुदन द्वारा आयोजित रैलियों के बाद स्वीडन में तनाव बढ़ते देखा गया. रासमस ने दावा किया कि उसने कुरान की एक प्रति जला दी थी और वो फिर से ऐसा करना चाहता है. इसके बाद देश में विरोध प्रदर्शन के साथ अशांति फैल गई. बता दें कि इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग पवित्र पुस्तक कुरान को जानबूझकर नुकसान पहुंचाना या उसके प्रति गलत व्यवहार करना बेहद आक्रामक माना जाता है.
कौन है रस्मस पालुदन?
रस्मस पालुदन एक डेनिश वकील हैं, जिनके पास स्वीडिश नागरिकता भी है. 2017 में उन्होंने Stram Kurs पार्टी की स्थापना की, जो आप्रवास विरोधी और इस्लाम विरोधी एजेंडे पर चलती है. पार्टी की वेबसाइट के मुताबिक यह डेनमार्क में एक देशभक्त पार्टी है.
2019 के दौरान पिछले डेनिश चुनाव में पालुदन की स्ट्राम कुर्स पार्टी को केवल 1.8% वोट मिले और एक भी सीट नहीं जीत सकी. 2020 में पालदुन को नस्लवाद सहित कई अपराधों के लिए डेनमार्क में एक महीने के लिए जेल में डाल दिया गया था.
क्या पहले भी हुए हैं ऐसे दंगें?
2020 के दौरान स्ट्रैम कुर्स पार्टी द्वारा कुरान को जलाने की योजना के खिलाफ इसी तरह का विरोध स्वीडन में हिंसक हो गया था. तब प्रदर्शनकारियों ने कारों में आग लगा दी थी और माल्मो में झड़पों में दुकानों में तोड़फोड़ की गई थी.
स्वीडन में हिंसा कैसे फैली और कौन से शहर प्रभावित हुए?
शुक्रवार, 15 अप्रैल को स्टॉकहोम, रिंकीबी, ओरेब्रो, लिंकोपिंग और नॉरकोपिंग जैसे इलकों में संघर्ष की खबरें आई हैं. दिलचस्प बात यह है कि ये वे इलाके हैं जहां स्ट्रैम कुर्स ने या तो योजना बनाई थी या प्रदर्शन किया था.
शुक्रवार को स्टॉकहोम से करीब 160 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित नोरकोपिंग और पास के लिंकोपिंग में हिंसा की शुरुआत हुई. रिंकीबी के उपनगर स्टॉकहोम और पश्चिमी शहर ओरेब्रो में भी प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच छिटपुट झड़पें हुईं. सोशल मीडिया पर दिख रहे वीडियोज और तस्वीरों में पुलिस की जलती हुई कारों को देखा जा सकता है.
एपी की रिपोर्ट के मुताबिक लैंडस्क्रोना में 100 से अधिक लोगों ने पत्थर फेंके, कारों, टायरों, कूड़ेदानों और ट्रैफिक बैरियर की बाड़ लगा दी.
उसके बाद शनिवार, 16 अप्रैल को माल्मो के एक पार्क में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, जहां रस्मस पालुदन ने कुछ लोगों को संबोधित किया. प्रदर्शनकारियों ने लोगों पर पथराव किया, जिसके बाद पुलिस ने काली मिर्च स्प्रे का उपयोग किया. स्वीडिश मीडिया ने कहा कि रस्मस पालुदन के पैर में पत्थर लगने की खबर है.
स्वीडन के तीसरे सबसे बड़े शहर माल्मो में रविवार रात हिंसा का ताजा दौर शुरू हो गया. रोसेनगार्ड जिले में मुख्य रूप से युवाओं की भीड़ ने कार के टायर, मलबे और कचरे के डिब्बे में आग लगा दी.
प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया और पुलिस ने भीड़ पर आंसू गैस के गोले छोड़े. इस दौरान एक स्कूल और कई कारों में आग लगा दी गई.
स्वीडन के राष्ट्रीय पुलिस कमांडर जोनास हिसिंग ने कहा कि पुलिस और नागरिकों के बीच हुई मुठभेड़ 26 पुलिस और 14 नागरिक घायल हुए हैं, इसके अलावा 20 पुलिस वाहन नष्ट हो गए.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने कहा कि लगभग 200 लोग हिंसा में शामिल थे.
क्या कह रहा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय?
स्वीडन में हुई हिंसा की निंदा करते हुए सऊदी अरब ने इसे स्वीडन में कुछ चरमपंथियों द्वारा पवित्र कुरान का जानबूझकर दुरुपयोग और मुसलमानों के खिलाफ उत्तेजना कहा है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान और इराक ने विरोध दर्ज कराने के लिए स्वीडिश राजदूतों को तलब किया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)