Waqf (Amendment) Bill, 2024: पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड से जुड़े दो बिल संसद में लेकर आई है. सरकार वक्फ बोर्ड में बदलाव करने के मकसद से ये बिल लायी है. पहले बिल के जरिए मुसलमान वक्फ कानून 1923 कानून को समाप्त किया जाएगा और दूसरे बिल, वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के जरिए वक्फ कानून 1995 में संशोधन किया जाएगा. इससे पहले अधिनियम में आखिरी बार 2013 में संशोधन किया गया था.
वक्फ संशोधन विधेयक को विपक्षी INDIA ब्लॉक की पार्टियों के विरोध के बीच संसदीय समिति को भेजा गया है.
इस एक्सप्लेनर में आपको हम बताएंगे कि सरकार इन दोनों बिल के जरिए मुसलमान वक्फ कानूनों में क्या बदलाव करने जा रही है? आगे हम यह ही आसान भाषा में बताएंगे कि आखिर वक्फ है क्या? यह कैसे मुस्लिम समुदाय से जुड़ा हुआ है? वक्फ बोर्ड क्या है और काम क्या करता है? साथ ही हम बताएंगे कि विपक्ष की कई पार्टियां इस बिल का विरोध क्यों कर रही हैं?
बिल के जरिए वक्फ कानून 1995 में कौन से बड़े बदलाव करने को तैयार सरकार?
नए बिल के जरिए सरकार 1995 के वक्फ कानून में बड़े बदलावों के तैयार है. इनमें से मुख्य यह रहें:
इस कानून का नाम भी बदला जाएगा. अब तक यह वक्फ अधिनियम, 1995 नाम था. अब इसे 'एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995' यानी यूनाइटेड वक्फ एक्ट मैनेजमेंट एंपावरमेंट एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) नाम दिया गया है.
अब वक्फ बोर्ड (राष्ट्रीय और राज्यों के) में गैर-मुस्लमानों और महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य होगा. अब तक ऐसी कोई बाध्यता नहीं थी. एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ के पंजीकरण के तरीकों को सुव्यवस्थित करना होगा.
वक्फ परिषद में केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, मुस्लिम संगठनों के तीन नुमाइंदे, मुस्लिम कानून के तीन जानकार, सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के दो पूर्व जज, एक प्रसिद्ध वकील, राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चार लोग, भारत सरकार के अतिरिक्त या संयुक्त सचिव आदि होंगे. इनमें दो महिलाओं का होना जरूरी होगा.
पहले किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने का अधिकार (कानून के सेक्शन 40 के जरिए) वक्फ बोर्ड के पास होता था. लेकिन बिल में वक्फ कानून 1950 के सेक्शन 40 को हटाया जा रहा है. अब बिल में वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए एक केंद्रीकृत प्रणाली का प्रस्ताव है, जिसमें वक्फ बोर्डों के सर्वे कमिश्नर के बजाय जिले के कलेक्टरों को वक्फ संपत्तियों के सर्वे का अधिकार दिया गया है.
पहले कोई भी किसी संपत्ति को वक्फ को दान कर सकता था लेकिन अब जो व्यक्ति कम से कम पांच साल से मुस्लिम धर्म का पालन कर रहा है वही अपनी चल अचल संपत्ति को वक्फ को दान कर सकता है. साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वक्फ करते हुए महिलाओं के विरासत अधिकारों से इनकार नहीं कर सकता है.
अबतक वक्फ बोर्ड के किसी फैसले के खिलाफ वक्फ के ट्रिब्यूनल में ही अपील की जा सकती थी और उसका फैसला अंतिम होता था. अब ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ 90 दिनों के अंदर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का समय निर्धारित किया गया है.
कौन और क्यों कर रहा विरोध?
संसद के अंदर और बाहर भी इस संसोधन बिल का विरोध हो रहा है. इंडियन मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय सचिव मौलाना कौसर हयात ने ऐतराज जताते हुए कहा है कि बीजेपी के पास देश के विकास के लिए कोई ठोस कार्यक्रम नहीं है और वह मुसलमानों को दबाने और नुकसान पहुंचाने के लिए नए-नए उपाय ढूंढ़ रही है. उन्होंने चिंता जताई कि सरकार वक्फ बोर्ड को समाप्त करने की कोशिश कर रही है, जबकि वक्फ की करोड़ों की संपत्ति को अपने कब्जे में लेने की मंशा रखती है.
कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने लोकसभा में कहा,
"यह विधेयक संविधान पर एक मौलिक हमला है...इस विधेयक के माध्यम से वे यह प्रावधान कर रहे हैं कि गैर-मुस्लिम भी वक्फ गवर्निंग काउंसिल के सदस्य होंगे. यह धर्म की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है. इसके बाद ईसाइयों, फिर जैनियों का नंबर आएगा. भारत के लोग अब इस तरह की विभाजनकारी राजनीति को बर्दाश्त नहीं करेंगे..."
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड’ का ये सब संशोधन भी बस एक बहाना है. रक्षा, रेल, नजूल लैंड की तरह जमीन बेचना निशाना है.
AAP की तरफ से संजय सिंह ने कहा है कि मोदी सरकार ने पूरे देश की जमीन अपने दोस्त अदाणी को दे दी है. अयोध्या में भी सेना की हजारों एकड़ जमीन अपने दोस्तों को दे दी. वक्फ बिल लाकर ये लोग जमीनों पर कब्जा करवाना चाहते हैं. इनके दोस्तों को जमीन कम पड़ती रहती है और इसलिए बीजेपी और प्रधानमंत्री यह बिल लेकर आए हैं.
BSP सुप्रीमो मायावती ने कहा कि केंद्र व यूपी सरकार द्वारा मस्जिद, मदरसा, वक्फ आदि मामलों में जबरदस्ती की दखलन्दाजी तथा मन्दिर व मठ जैसे धार्मिक मामलों में अति-दिलचस्पी लेना संविधान व उसकी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्त के विपरीत अर्थात ऐसी संकीर्ण व स्वार्थ की राजनीति क्या जरूरी? सरकार राष्ट्रधर्म निभाए.
वक्फ क्या है?
दरअसल वक्फ एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ होता है रोकना. इस्लाम में इसका मतलब होता है वैसी चीज या संपत्ति जो लोगों के हित के लिए अल्लाह के नाम पर दान की जाती है. यानी चैरिटी देना. अगर आपके पास कोई ऐसी जमीन है जिसको आप लोगों के हित में दान करना चाहते हैं तो आप उस जमीन को वक्फ की प्रॉपर्टी में शामिल करवाते हैं. अब इस जमीन पर आप हॉस्पिटल, स्कूल, कॉलेज, कब्रिस्तान, मुसाफिरों के लिए आश्रम बना सकते हैं.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी देश की 872,324 अचल संपत्ति और 16,713 चल संपत्ति वक्फ की हैं. भारत में रेलवे और रक्षा विभाग के बाद सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी वक्फ के पास है.
वक्फ कैसे मुस्लिम समुदाय से जुड़ा हुआ है?
इस सवाल का जवाब इस्लामिक इतिहास से जुड़ा है. पैग़म्बर मोहम्मद के वक्त से ऐसे दान का कॉन्सेप्ट मिलता है. इस्लामिक हिस्ट्री के मुताबिक हजरत उमर को खैबर की लड़ाई में जमीन का एक टुकड़ा मिला, जिसके बारे में उन्होंने पैगंबर मोहम्मद से पूछा कि क्या करना चाहिए, मोहम्मद साहब ने कहा कि इसको इसी तरह रखिए और इससे होने वाले फायदे दान में दें, जिससे लोगों को फायदा पहुंचे.
लेकिन साथ ही इसके लिए कुछ शर्त भी रखी गई. जैसे-
इसे बेचा नहीं जाएगा.
किसी को विरासत में नहीं दिया जाएगा
अब अगर आपने कोई प्रॉपर्टी दान में दे दी तो वो वापस नहीं ले सकते हैं. कोई ये नहीं कह सकता कि ये मेरे दादा की जमीन है और मुझे वापस चाहिए. साथ ही वक्फ संपत्ति को बेच नहीं सकते हैं लेकिन उसे किराए पर या लीज पर दिया जा सकता है. लेकिन उसके लिए भी नियम कानून हैं.
वक्फ बोर्ड क्या है और काम क्या करता है?
जिस तरह आपकी सोसाइटी या मुहल्ले में मेंटेनेंस के लिए RWA या कोई कमेटी होती है वैसे ही भारत सरकार ने वक्फ प्रॉपर्टी के रखरखाव के लिए वक्फ बोर्ड और सेंट्रल वक्फ काउंसिल का सिस्टम बनाया है. दरअसल वक्फ बोर्ड का काम है वक्फ की संपत्ति का रिकार्ड रखना, वक्फ की संपत्ति से आने वाली आमदनी का हिसाब रखना. साथ ही यह चेक करना कि आमदनी और संपत्ति का इस्तेमाल सही जगह हो रहा है कि नहीं.
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